खत्म हो सकती है डॉलर की बादशाहत, लॉन्च हो सकती है ब्रिक्स करेंसी, जानिए क्या होगा फायदा
पिछले काफी दिनों से चर्चा है कि ब्रिक्स समूह अपनी करेंसी लॉन्च कर सकता है और अब सबकी निगाहें 22 से 24 अक्टूबर को रूस के कजान में होने वाले आगामी 2024 ब्रिक्स शिखर सम्मेलन पर टिकी हैं. उम्मीद है कि इस दौरान ब्रिक्स करेंसी को लेकर कोई ठोस निर्णय सामने आएगा. अगर यह करेंसी बनाई जाती है, तो रूस, चीन और भारत समेत इसमें शामिल कई देशों के लिए यह फायदे का सौदा होगा.
पिछले कई दशकों से अमेरिकी डॉलर दुनिया पर राज कर रहा है. यूं कहें कि इसका एकाधिकार दुनिया के व्यापार में है, तो इसमें कोई बुराई नहीं होगी. लेकिन जिस तरह से अमेरिका ने रूस की संपत्तियाँ जब्त कीं और कई देशों पर प्रतिबंध लगाए, इससे विकल्पों पर विचार होना शुरू हो गया. कई देश धीरे-धीरे अपनी करेंसी में व्यापार करने लगे हैं, हालांकि इसकी मात्रा अभी बहुत सीमित है. पिछले काफी दिनों से चर्चा है कि ब्रिक्स समूह अपनी करेंसी लॉन्च कर सकता है और अब सबकी निगाहें 22 से 24 अक्टूबर को रूस के कजान में होने वाले आगामी 2024 ब्रिक्स शिखर सम्मेलन पर टिकी हैं.
उम्मीद की जा रही है कि इसमें ब्रिक्स करेंसी को लॉन्च किया जा सकता है. अगर यह करेंसी लॉन्च होती है, तो जाहिर है इससे डॉलर पर असर पड़ेगा और दुनिया को व्यापार करने का एक नया रास्ता भी मिलेगा. अमेरिकी डॉलर की बादशाहत कई वजहों से कायम है. तेल का कारोबार लगभग 95% से अधिक डॉलर में ही होता है. अगर यह करेंसी बनाई जाती है, तो रूस, चीन और भारत समेत इसमें शामिल कई देशों के लिए यह फायदे का सौदा होगा.
ब्रिक्स देश क्यों बनाना चाहते हैं अपनी करेंसी
ब्रिक्स देशों के अपनी करेंसी बनाने के पीछे कई कारण हैं. हाल की चुनौतियां और अमेरिका की आक्रामक विदेश नीतियों ने ब्रिक्स देशों को इसके विकल्प तलाशने पर मजबूर कर दिया है. यूक्रेन युद्ध के बाद जिस तरह से रूस को डॉलर में कारोबार करने में परेशानी आई, वहीं हाल ही में इस समूह में शामिल ईरान पिछले कई सालों से अमेरिकी प्रतिबंध झेल रहा है. ब्रिक्स धीरे-धीरे बड़ा हो रहा है और इसमें शामिल होने के लिए 40 से अधिक देशों ने रुचि दिखाई है.
मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जनवरी 2024 में इस समूह में शामिल हो चुके हैं. जैसे-जैसे ब्रिक्स बड़ा होगा, इसमें व्यापार करने वाले देशों को लाभ मिलेगा. 2023 में ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने ब्रिक्स करेंसी के समर्थन में जोरदार टिप्पणी की थी. ब्रिक्स करेंसी कब जारी की जाएगी और इसका मूल्य किस आधार पर तय होगा, इसको लेकर अभी कोई निश्चित तारीख का ऐलान नहीं हुआ है.
पिछले साल भी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि ऐसी करेंसी की घोषणा की जा सकती है, लेकिन वह केवल उम्मीद ही साबित हुई. माना जा रहा है कि इस बैठक में इस पर कोई ठोस निर्णय लिया जा सकता है.
ब्रिक्स करेंसी से क्या होगा फायदा
ब्रिक्स करेंसी की वजह से इसमें शामिल देशों को कई फायदे होंगे. सीमा पार लेन-देन और वित्तीय समावेशन में बढ़ोतरी हो सकती है. ब्लॉकचेन तकनीक, डिजिटल करेंसी और स्मार्ट कनेक्ट का फायदा उठाकर वैश्विक वित्तीय प्रणाली में क्रांति लाई जा सकती है. सीमा पार लेन-देन में बिना किसी रुकावट के, ब्रिक्स देशों के बीच और अन्य देशों के साथ व्यापार में मदद मिल सकती है.
इससे ब्रिक्स देशों के बीच आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा. वैश्विक मंच पर अमेरिका और अमेरिकी डॉलर का प्रभाव कम होगा और डॉलर पर निर्भरता के कारण उत्पन्न आर्थिक अस्थिरता का खतरा भी कम किया जा सकेगा.