अमेरिका-ईरान तनाव में नरमी? तेल डील के लिए ट्रंप तैयार, चीन को भी मिली हरी झंडी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि अमेरिका ईरान के साथ तेल समझौते के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि चीन अब ईरान से तेल खरीद सकता है और उम्मीद जताई कि वह अमेरिका से भी तेल खरीदेगा. ट्रंप ने ईरान में सत्ता परिवर्तन को खारिज करते हुए इसे अराजक बताया.
US-Iran Oil Deal: पश्चिम एशिया में तनाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा बयान दिया है. ट्रंप ने कहा कि अमेरिका ईरान के साथ तेल समझौते के लिए तैयार है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चीन अब ईरान से तेल खरीद सकता है. ट्रंप के इस बयान से यह संकेत मिल रहा है कि अमेरिका ईरान पर लगे कुछ प्रतिबंधों में नरमी ला सकता है. हालांकि, उन्होंने ईरान में सत्ता परिवर्तन यानी रिजिम चेंज को ‘अराजक’ बताया और इससे इंकार किया. ट्रंप का यह बयान उस समय आया है जब अमेरिका ने हाल ही में ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला किया था.
ईरान पर ट्रंप का रुख नरम
ट्रंप ने साफ किया कि अमेरिका अब ईरान से तेल डील करने को तैयार है. उन्होंने यह भी कहा कि चीन ईरान से तेल खरीद सकता है और उम्मीद जताई कि वह अमेरिका से भी बड़ी मात्रा में तेल खरीदेगा. यह बदलाव ऐसे समय में आया है जब अमेरिका और ईरान के बीच काफी लंबे समय से तनातनी चल रही है.
रिजिम चेंज से इनकार
ट्रंप ने ईरान में सरकार बदलने यानी रिजिम चेंज की संभावना को खारिज कर दिया. उन्होंने इसे ‘अराजक’ करार देते हुए कहा कि अमेरिका ऐसा नहीं चाहता. इससे संकेत मिलता है कि अमेरिका अब अपने पुराने ‘मैक्सिमम प्रेशर’ के एजेंडे से थोड़ा पीछे हट सकता है. ट्रंप ने बताया कि ईरान और इजरायल के बीच अमेरिका की बमबारी के बाद सीजफायर हो गया है. लेकिन उन्होंने दोनों देशों पर शुरुआती उल्लंघन को लेकर नाराजगी जताई.
तेल बाजार पर पड़ सकता है असर
चीन लंबे समय से अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद ईरानी तेल का बड़ा खरीदार रहा है. अगर ट्रंप सरकार प्रतिबंधों को सख्ती से लागू नहीं करती है, तो वैश्विक तेल बाजार में ईरानी तेल की सप्लाई बढ़ सकती है. इससे अमेरिका के सहयोगी सऊदी अरब को नाराजगी हो सकती है जो खुद दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक है.
ईरान पर कई तरह के प्रतिबंध
अमेरिका ने ईरान पर अब तक लगभग 3810 सक्रिय प्रतिबंध लगाए हैं, जो किसी एक देश पर लगाए गए सबसे कड़े और व्यापक प्रतिबंधों में शामिल हैं. ये प्रतिबंध ऊर्जा, बैंकिंग, रक्षा, शिपिंग, स्टील, विमानन और वित्तीय संस्थाओं सहित कई क्षेत्रों पर लागू हैं. साथ ही, ईरान के सरकारी और सैन्य अधिकारियों, रिवोल्यूशनरी गार्ड्स (IRGC) और उनके अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों को भी निशाना बनाया गया है. इन प्रतिबंधों का उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्रीय गतिविधियों पर दबाव बनाना है.