क्या अब बड़े बैंक में भी सुरक्षित नहीं है आपका पैसा, कर्मचारी ने ही कर दिया हाथ साफ; 4.58 करोड़ रुपये का लगा चूना

कोटा के एक प्राइवेट बैंक में रिलेशनशिप मैनेजर द्वारा 41 ग्राहकों से करीब 4.58 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. आरोपी ने फिक्स्ड डिपॉजिट खातों का गलत इस्तेमाल कर पैसे शेयर मार्केट में निवेश किए, जो बाद में डूब गए. उसने ओटीपी सिस्टम में छेड़छाड़ और मोबाइल नंबर बदलकर ग्राहकों को गुमराह किया. यह ठगी दो साल तक चली.

बैंक धोखाधड़ी Image Credit: money9live.com

Bank Fraud: अक्सर लोगों को बैंक पैसा जमा करने के लिए सबसे सुरक्षित माध्यम लगता है. लोग सोचते हैं कि यहां पैसे सेफ रहते हैं और कोई गड़बड़ी नहीं हो सकती. हालांकि, इसका उल्टा एक मामला सामने आया है. प्राइवेट बैंक के एक पूर्व कर्मचारी को दो साल से अधिक समय तक चली धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया गया है. इस पर ग्राहकों के खातों से करोड़ों रुपये निकालने का आरोप है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कोटा में एक बड़े बैंक की रिलेशनशिप मैनेजर ने ज्यादा रिटर्न पाने की उम्मीद में कम से कम 41 ग्राहकों से लगभग 4.58 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की, लेकिन अंत में वह पैसा डूब गया. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जांच के बाद 31 मई को उद्योग नगर पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है.

कैसे हुई 4.58 करोड़ की ठगी

जांच के अनुसार, रिलेशनशिप मैनेजर ने 2020 से 2023 के बीच ‘यूजर एफडी (फिक्स्ड डिपॉजिट)’ का गलत इस्तेमाल किया. उसने 41 ग्राहकों के 110 से अधिक अकाउंट्स तक पहुंच बनाई और कई अवैध लेनदेन किए. जांच में यह भी सामने आया कि बैंक की इस कर्मचारी ने कम समय में अच्छा रिटर्न पाने की उम्मीद में इन पैसों का इस्तेमाल शेयर बाजार में निवेश करने के लिए किया. यह धोखाधड़ी दो साल से अधिक समय तक चलती रही और ग्राहकों को पता तक नहीं चला कि उनके खातों से पैसा निकाला जा रहा है.

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डूब गए पैसे

यह धोखाधड़ी लगातार दो वर्षों से अधिक समय तक चलती रही और खाताधारकों को इसकी भनक तक नहीं लगी. हालांकि, बैंक कर्मचारी की योजना सफल नहीं हो सकी. उसने शेयर मार्केट में निवेश किया, लेकिन वहां उसका पैसा डूब गया. धोखाधड़ी को छिपाने के लिए उसने खातों से जुड़े मोबाइल नंबर बदल दिए ताकि ग्राहकों को लेनदेन की कोई जानकारी न मिल सके.

पुलिस के अनुसार, उसने ऐसा सिस्टम तैयार किया था जिससे ओटीपी उसी के सिस्टम पर आता था और खाताधारकों को धोखाधड़ी का संदेह नहीं हो सका. यह पूरा मामला तब सामने आया जब एक ग्राहक अपने एफडी अकाउंट की जानकारी लेने के लिए बैंक पहुंचा. इसके बाद बैंक ने 18 फरवरी को पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई.