BTC vs E-Rupee: बिटकॉइन की बादशाहत को RBI की चुनौती, कैसे CBDC बन सकता है गेमचेंजर?

अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान जैसी बड़ी आर्थिक ताकतें Bitcoin Reserve बना रही हैं. चीन-रूस में तो इंस्टीट्यूशनल लेवल पर बिटकॉइन की माइनिंग हो रही है. ऐसे में भारत इस रेस में शामिल क्यों नहीं हो रहा है? इस सवाल का जवाब E-Rupee है. जानते हैं कैसे ई-रुपी बिटकॉइन की बादशाहत को चुनौती दे सकता है और कैसे भारत के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है?

ई-रुपी बिटकॉइन की तरह ब्लॉकचेन पर काम करता है Image Credit: money9live

E-Rupee VS Bitcoin: बिटकॉइन को लेकर अलग-अलग एक्सपर्ट का प्रेडिक्शन है कि इसकी कीमत आने वाले कुछ वर्षों में 3 से 10 लाख डॉलर तक पहुंच जाएगी. BTC की कीमत जब 3 लाख डॉलर होगी, तो इसका मार्केट कैप करीब 6 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा, जो भारत की मौजूदा GDP के साइज से भी ज्यादा होगा. इस लिहाज से किसी भी देश के लिए Bitcoin को चुनौती देना संभव नहीं, बल्कि अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान जैसी दुनियाी की सबसे बड़ी आर्थिक ताकतें किसी न किसी तरह से बिटकॉइन को अपनी फॉर्मल इकोनॉमी में शामिल कर रहे हैं. हालांकि, भारत में किसी भी क्रिप्टोकरेंसी को किसी तरह के निवेश या भुगतान के लिए लीगल नहीं माना गया है. बिटकॉइन सहित तमाम क्रिप्टोकरेंसी निवेश को सट्टेबाजी के दायरे में रखा गया है. हालांकि, इसे आपराधिक श्रेणी में नहीं रखा गया है.

भारत के पास क्या है BTC का विकल्प?

भारतीय रिजर्व बैंक ने 2022 में CBDC यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी नाम से एक प्रॉजेक्ट शुरू किया. इसे डिजिटल रुपी या E-Rupee नाम दिया गया. असल में यह दुनियाभर में चल रहे क्रिप्टोकरेंसी के ट्रेंड को लेकर भारत का जवाब है. बिटकॉइन या किसी भी दूसरी क्रिप्टोकरेंसी की तरह ई-रुपी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम करता है. हालांकि, BTC और E-Rupee में कई अंतर हैं. नवंबर 2022 में इसका होलसेल कारोबारियों और फिर बाद में रिटेल सेक्टर में इसका पायलट टेस्ट किया गया. गुरुवार को रिजर्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि ई-रुपी का सर्कुलेशन 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है.

क्या है रिजर्व बैंक का ई-रुपी?

CBDC प्रोजेक्ट के तहत भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से जारी की जाने वाली क्रिप्टोकरेंसी ही ई-रुपी है. हालांकि, बिटकॉइन, एथेरियम, सोलाना जैसी डिसेंट्रलाइज्ड क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में इसका कंट्रोल पूरी तरह रिजर्व बैंक के हाथ में है. इसका मूल्य भारतीय रुपये के बराबर है. इसके मूल्य में कोई वोलैटिलिटी नहीं होती है, न इसकी माइनिंग की जा सकती है. हालांकि, ब्लॉकचेन पर आधारित होने की वजह से किसी भी क्रिप्टोकरेंसी की तरह इसमें ट्रांसपेरेंसी, रियल टाइम ट्रांजैक्शन और कम टर्नअराउंट टाइम की सुविधा मिलती है.

कैसे बिटकॉइन की बादशाहत के लिए चुनौती?

भारत दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की तरफ बढ़ रहा है. भले ही अमेरिका में लगातार BTC को सरकार की तरफ से प्रमोट किया जा रहा है. इसकी वजह से BTC लगातार डॉलर के लिए चुनौती बन रहा है. लेकिन, भारतीय रुपये पर इसका सीधे तौर पर कोई असर नहीं है. वहीं, E-Rupee के जरिये रिजर्व बैंक एक नॉन-फिएट करेंसी वाले सभी फीचर दे रही है, जिनके लिए BTC को अपनाया जा रहा है. ऐसे में भारत अपने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार में E-Rupee को बढ़ावा दे रहा है, जिससे भारत के साथ ही उन देशों में भी E-Rupee का एक ईकोसिस्टम बनने की उम्मीद है, जो भारत के साथ कारोबार करते हैं. क्रॉस बॉर्डर ट्रांजैक्शन के लिहाज से यह एक बेहद उपयोगी तरीका बन सकता है.

क्यों बन सकता है गेमचेंजर?

BTC हो या कोई भी दूसरी डिसेंट्रलाइज्ड क्रिप्टोकरेंसी, इन्हें किसी ऐसी एजेंसी का समर्थन नहीं है, जो सुरक्षा की गारंटी दे सके. किसी भी वास्तविक कीमत के बिना क्रिप्टोकरेंसी अटकलबाजी पर वोलैटिलिटी का शिकार होती हैं. वहीं, ई-रुपी को भारत सरकार और रिजर्व बैंक की तरफ से गारंटी दी जाती है. फिलहाल, ई-रुपी को निवेश के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, लेकिन आने वाले दिनोंं में अगर रिजर्व बैंक ई-रुपी में निवेश को मंजूरी देता है, तो यह क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में गेमचेंजर हो सकता है. ई-रुपी दुनियाभर के उन पहली क्रिप्टोकरेंसी में से एक होगा, जिसे किसी रिजर्व बैंक ने जारी किया है.

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