डार्क पैटर्न पर सख्त हुई सरकार, सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को एडवाइजरी जारी; कहा- बंद करें भ्रामक ट्रिक्स
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने ई-कॉमर्स कंपनियों को सख्त चेतावनी दी है कि वे अपने प्लेटफॉर्म पर किसी भी तरह के भ्रामक डिजाइन या 'डार्क पैटर्न' का इस्तेमाल न करें. सरकार ने निर्देश दिया है कि सभी कंपनियां तीन महीने में खुद से ऑडिट करें और यह सुनिश्चित करें कि उनके प्लेटफॉर्म पर ग्राहकों को गुमराह करने वाली कोई व्यवस्था न हो.
CCPA warns E-Commerce Dark Pattern: E-Commerce कंपनियों की जरूरत मौजूदा समय में काफी बढ़ गई है. सुबह के उजाले से लेकर रात के अंधेरे तक, कई ऐसे मौके आते हैं जब हम कई कामों के लिए ई-कॉमर्स वेबसाइट का इस्तेमाल करते हैं. इस बढ़ते इस्तेमाल के साथ कई नई परेशानियों ने भी जन्म ले लिया है. दरअसल ये कंपनियां अपने ग्राहकों को गुमराह करने के लिए कई डार्क पैटर्न्स का इस्तेमाल करती हैं जिससे लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. इसी से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा ग्राहकों को गुमराह करने वाले तरीकों यानी ‘डार्क पैटर्न’ के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है.
सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने 7 जून को एक प्रेस रिलीज जारी कर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को चेतावनी दी है. सीसीआरए ने कहा है कि वे अपने प्लेटफॉर्म पर चल रहे किसी भी तरह के भ्रामक या अनुचित व्यापारिक व्यवहार को तुरंत बंद करें. आगे बढ़ने से पहले ये जान लेते हैं कि आखिर डार्क पैटर्न होता क्या है.
क्या हैं डार्क पैटर्न?
डार्क पैटर्न ऐसे डिजाइन या डिजिटल इंटरफेस होते हैं जो ग्राहकों को धोखे से कोई ऐसा निर्णय लेने के लिए प्रेरित करते हैं जो वे आमतौर पर नहीं लेते. उदाहरण के लिए, अधिक कीमत वाला प्रोडक्ट खरीदवाना, सर्विस के लिए साइन अप करवाना जिसे ग्राहक असल में नहीं लेना चाहता या सब्सक्रिप्शन को कैंसल करने वाले ऑप्शन को छिपा देना.
सरकार ने कंपनियों से क्या कहा?
CCPA ने कहा है कि कई मामलों में कुछ ई-कॉमर्स कंपनियों को नोटिस जारी किए गए हैं जो डार्क पैटर्न से जुड़े दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर रही थीं. सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को सलाह दी गई है कि वे ऐसे डिजिटल इंटरफेस का इस्तेमाल बंद करें जो ग्राहकों को भ्रमित या प्रभावित करती हैं. प्रेस रिलीज के मुताबिक, सभी कंपनियों को 3 महीने के भीतर अपने प्लेटफॉर्म पर खुद से ऑडिट कर यह पता लगाना होगा कि कहीं डार्क पैटर्न का इस्तेमाल तो नहीं हो रहा. इसके बाद जरूरी कदम उठाकर यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका प्लेटफॉर्म इन गलत प्रैक्टिस से मुक्त है. कंपनियों को यह भी कहा गया है कि वे एक सेल्फ डिक्लरेशन जारी करें जिसमें वे साफ तौर पर यह बताएं कि उनका प्लेटफॉर्म डार्क पैटर्न से मुक्त है.
किन तरीकों को माना गया है डार्क पैटर्न?
2023 में उपभोक्ता मामलों के विभाग ने ‘डार्क पैटर्न’ की रोकथाम और नियंत्रण के लिए गाइडलाइन जारी किए थे. उसमें 13 तरह के डार्क पैटर्न को परिभाषित किया गया था.
- फॉल्स अर्जेंसी (False Urgency): ग्राहकों पर दबाव डालने के लिए यह दिखाना कि ऑफर जल्द खत्म हो जाएगा या स्टॉक खत्म हो रहा है.
- बास्केट स्नीकिंग (Basket Sneaking): ग्राहक की जानकारी के बिना कार्ट में प्रोडक्ट या सर्विस जोड़ देना.
- कन्फर्म शेमिंग (Confirm Shaming): ग्राहकों को गिल्ट ट्रिप करके निर्णय लेने को मजबूर करना.
- फोर्स्ड एक्शन (Forced Action): ऐसा एक्शन करने के लिए मजबूर करना जो ग्राहक नहीं करना चाहता (जैसे कंटेंट एक्सेस के लिए साइन अप करना).
- सब्सक्रिप्शन ट्रैप: सेवा लेना आसान बनाना लेकिन उसे कैंसल करना बेहद कठिन कर देना.
- इंटरफेस इंटरफेरेंस: किसी जरूरी एक्शन को छिपा देना या उसे जटिल बनाना (जैसे अकाउंट डिलीट करना).
- बैट एंड स्विच (Bait and Switch): एक चीज का प्रचार करना और दूसरी, खराब क्वालिटी वाली चीज देना.
- ड्रिप प्राइसिंग (Drip Pricing): शुरू में कीमत कम दिखाना लेकिन बाद में कई छिपे हुए चार्ज जोड़ना.
- डिसगाइज्ड एड्स (Disguised Ads): विज्ञापनों को ऐसे दिखाना जैसे वे न्यूज या सामान्य जानकारी हो.
- नैगिंग (Nagging): बार-बार पॉपअप या नोटिफिकेशन से ग्राहक को परेशान करना.
- ट्रिक वर्डिंग (Trick Wording): शब्दों के इस्तेमाल से भ्रमित करना ताकि ग्राहक गलत विकल्प चुन ले.
- सास बिलिंग (SaaS Billing): सब्सक्रिप्शन सॉफ्टवेयर की बिलिंग से संबंधित अनजान शुल्क.
- रोग मालवेयर (Rogue Malwares): उपभोक्ता की जानकारी के बिना डिवाइस में खतरनाक सॉफ्टवेयर डालना.
सरकार की चेतावनी
सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वह ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा उपभोक्ताओं के साथ किए जा रहे डार्क पैटर्न जैसे भ्रामक और अनुचित व्यवहार पर लगातार नजर बनाए हुए है. सरकार ने यह साफ किया है कि जो भी प्लेटफॉर्म इन तय दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता पाया जाएगा, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. सरकार का मानना है कि डिजिटल लेनदेन और ऑनलाइन खरीदारी के बढ़ते चलन के बीच उपभोक्ताओं को गुमराह करना एक गंभीर अपराध है, क्योंकि इससे उन्हें आर्थिक नुकसान हो सकता है और वे बिना पूरी जानकारी के ऐसे फैसले ले सकते हैं जो वे लेना नहीं चाहते थे.
ये भी पढ़ें- गोल्ड पर RBI ने दिखाई सख्ती! अब सभी को नहीं मिलेगा लोन, तय हुई गिरवी सोने की लिमिट; जानें क्या-क्या बदला