स्टील पर डबल हो जाएगा टैरिफ! चीन के सस्ते इंपोर्ट को लगेगा झटका, भारतीय कंपनियों को मिलेगा फायदा

सरकार बड़ी योजना की तैयारी कर रही है. स्टील पर दोगुना टैरिफ बढ़ाने पर विचार चल रहा है ताकि घरेलू निर्माताओं को बढ़ते इंपोर्ट से बचाया जा सके और उनका नुकसान ना हो. बड़े पैमाने पर चीन से सस्ते में स्टील इंपोर्ट होता है जिससे घरेलू मिर्माताओं को नुकसान होता है.

स्टील पर बढ़ सकता है टैरिफ Image Credit: Buena Vista Images/Stone/Getty Images

Steel: भारत का नाम दुनिया में सबसे ज्यादा स्टील का निर्माण वाले देशों की लिस्ट में आता है लेकिन फिर भी भारत बड़े स्तर पर स्टील को इंपोर्ट भी करता है. ऐसे में देश के स्टील निर्माता को नुकसान पहुंचता है. अब इस नुकसान को कुछ कम करने के लिए सरकार स्टील पर लगने वाले टैरिफ को दोगुना करने की योजना पर काम कर रही है ताकि घरेलू निर्माताओं को राहत मिल सके. इससे स्टील बनाने वाली घरेलू कंपनियों को फायदा होगा.

स्टील पर बढ़ेगा सेफगार्ड ड्यूटी

सरकार इस समय स्टील पर सेफगार्ड ड्यूटी को 12% से बढ़ाकर 24% तक करने की संभावना पर विचार कर रही है. इसकी वजह यह है कि चीन से सस्ते स्टील उत्पादों के भारत में आने की आशंका जताई जा रही है जो घरेलू स्टील निर्माताओं को नुकसान पहुंचा सकती है.

ToI की रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि उन्हें शिकायतें मिली हैं कि कुछ चीनी कंपनियां सेफगार्ड ड्यूटी के प्रभाव को कम करने के लिए अलग-अलग रास्तों से इसे दरकिनार करने की कोशिश कर रही हैं. इस पर कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है.

क्या है सेफगार्ड ड्यूटी

सेफगार्ड ड्यूटी को सुरक्षा शुल्क कहा जा सकता है. यह एक अस्थायी टैरिफ है जो इंपोर्टेड सामान पर लगाया जाता है ताकि घरेलू उद्योग को इंपोर्ट में वृद्धि के कारण होने वाले नुकसान से बचाया जा सके.

सरकार ने अप्रैल में 200 दिनों के लिए 12% की अंतरिम सेफगार्ड ड्यूटी लगाई थी.

दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा स्टील उत्पादक भारत वित्त वर्ष 2024-25 में लगातार दूसरे साल स्टील का नेट इंपोर्टर बन रहा है. अनुमान है कि इस दौरान इंपोर्ट 1 करोड़ टन के करीब पहुंच गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, छोटे उद्योगों की ओर से यह शिकायतें भी सामने आई हैं कि सेफगार्ड ड्यूटी की वजह से घरेलू कंपनियों ने स्टील की कीमतें बढ़ा दी हैं जिससे उनकी लागत में वृद्धि हुई है और वे प्रभावित हो रहे हैं. सरकार इन दोनों पक्षों यानी बड़ी घरेलू कंपनियों और छोटे उद्यमों के हितों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करेगी.