100 साल पुराने कर्नाटक बैंक में बवाल,लगी इस्तीफे की झड़ी; जानें क्यों हो गया विवाद
कर्नाटक बैंक इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. शुक्रवार को बैंक से इस्तीफे से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई. इस खबर के बाद बैंक ने सबका ध्यान खींचा है. करीब 100 साल पुराने कर्नाटक बैंक के CEO श्रीकृष्णन हरि हर शर्मा ने इस्तीफा दे दिया. ऑडिट रिपोर्ट में बिना मंजूरी खर्च को लेकर लापरवाही सामने आई है.
Karnataka Bank CEO Resignation: करीब एक सदी पुराना प्राइवेट बैंक इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. कर्नाटक बैंक के चौथी तिमाही (4QFY2025) के नतीजों में छिपे राज ने तूफान ला दिया. मामला इतना बड़ा हो गया है कि बैंक की कॉर्पोरेट गवर्नेंस को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है. हालात ऐसे हो गए हैं कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) को इस्तीफा देना पड़ा है और कार्यकारी निदेशक के इस्तीफा देने की बात कही जा रही है. अब मामला इतना बड़ा क्यों हो गया है और बैंक की विकास यात्रा कैसी रही है, इन्हीं चीजों को समझेंगे.
CEO ने दिया इस्तीफा
शुक्रवार को खबर आई कि कर्नाटक बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीकृष्णन हरि हर शर्मा ने अपना पद छोड़ दिया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों से जानकारी मिली है कि इस्तीफे का सिलसिला यहीं खत्म नहीं होने वाला है और 30 जुलाई तक एक बड़ा इस्तीफा आने वाला है. सूत्र बताते हैं कि कार्यकारी निदेशक शेखर राव भी इस्तीफा देने वाले हैं.
श्रीकृष्णन शर्मा ने जहां अपने कार्यकाल खत्म होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया है, वहीं अगर शेखर राव भी इस्तीफा देते हैं तो वह भी अपने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पद छोड़ देंगे. श्रीकृष्णन शर्मा ने 9 जून 2023 को बैंक के CEO का कार्यभार संभाला था, वहीं शेखर राव की नियुक्ति 1 फरवरी 2023 को हुई थी. दोनों का कार्यकाल 3 वर्षों का था.
क्या है मामला
यह पूरी उठा-पटक 1.53 करोड़ रुपये को लेकर हो रही है. बैंक के ऑडिटर्स रवि राजन एंड कंपनी और आरजीएन प्राइस एंड कंपनी ने पाया कि बैंक ने बिना बोर्ड की मंजूरी के 15.3 मिलियन रुपये (1.53 करोड़) खर्च किए. इसमें से 11.6 मिलियन रुपये कंसल्टेंट्स को दिए गए, जबकि 3.7 मिलियन रुपये राजस्व और कैपिटल एक्सपेंडिचर में लगाए गए. ऑडिटर्स के मुताबिक, ये खर्च बैंक के फुल-टाइम डायरेक्टर्स की अधिकृत शक्तियों से भी ज्यादा थे और बोर्ड ने इन्हें मंजूरी नहीं दी थी. ऐसे में बैंक के ऑडिटर्स ने इसे गंभीर गवर्नेंस लापरवाही करार दिया है.
मुनाफा घटा, कर्ज में बढ़ोतरी
कर्नाटक बैंक के नेट प्रॉफिट में वित्त वर्ष 2024-25 में मामूली गिरावट दर्ज हुई है. पिछले साल के 1,306.28 करोड़ रुपये की तुलना में इस साल बैंक की आय 1,272.37 करोड़ रुपये रही. चौथी तिमाही में भी नेट प्रॉफिट 274.24 करोड़ रुपये से घटकर 252.37 करोड़ रुपये रह गया.
हालांकि नेट प्रॉफिट घटा है, लेकिन डिपोजिट में बढ़ोतरी हुई है. बैंक की कुल जमाराशि 6.96 फीसदी बढ़कर 1,04,807.49 करोड़ रुपये हो गई, जबकि कुल कर्ज 6.79 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 77,958.72 करोड़ रुपये पर पहुंचा. खुदरा कर्ज में 15.44 फीसदी की अच्छी बढ़ोतरी देखी गई. वहीं, CASA जमा भी 6.35 फीसदी बढ़कर 33,281 करोड़ रुपये हो गया, जो बैंक के लिए सकारात्मक संकेत है.
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100 साल पुराना है इतिहास, लंबा है कस्टमर बेस
कर्नाटक बैंक उन बैंकों में शामिल है जिनका इतिहास काफी पुराना रहा है. कर्नाटक बैंक की स्थापना को 100 साल से भी ज्यादा हो गए हैं. पिछले साल ही बैंक ने अपना शताब्दी वर्ष पूरा किया था. इसकी स्थापना 18 फरवरी 1924 को हुई थी और इसने अपना कामकाज 23 मई 1924 को शुरू कर दिया था. बैंक का कारोबार 22 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों तक फैला हुआ है. इसे ‘ए’ कैटेगरी का बैंक माना जाता है और इसकी 957 से अधिक शाखाएं हैं, साथ ही 1188 एटीएम हैं, जिससे पैसा निकालने की सुविधा मिलती है.