जून से 24 रुपये सस्ता हो गया कमर्शियल LPG सिलेंडर, जानें दिल्ली से लेकर मुंबई में क्या है नया रेट

कमर्शियल LPG सिलेंडर सस्ता हो गया है. 1 जून से कमर्शियल एलपीजी गैस सिलेंडर 24 रुपये सस्ता हो गया है. हालांकि, घरेलू गैस सिलेंडर की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. इस कटौती से होटल और रेस्टोरेंट व्यवसायियों को राहत मिलेगी. यहां जानें नया रेट

कमर्शियल गैस सिलेंडर Image Credit: Money9

LPG Gas Cylinder Price: एलपीजी सिलेंडर 1 जून से सस्ता हो गया है. ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के अनुसार, 1 जून से कमर्शियल एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमत में 24 रुपये की कटौती हो गई है. इस कटौती के बाद दिल्ली में 19 किलोग्राम वाले कमर्शियल सिलेंडर की कीमत घट कर 1,723.50 रुपये हो गई है. बता दें कि 14 किलो वाले घरेलू गैस सिलेंडर की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. यहां जानें बाकी शहरों में क्या है नया रेट…

कमर्शियल गैस सिलेंडर के सस्ते होने से होटल, रेस्टोरेंट और अन्य छोटे कारोबारियों को राहत मिलेगी. इससे पहले अप्रैल में भी कीमत घटाकर 1,762 रुपये की गई थी. फरवरी में इसमें 7 रुपये की मामूली कमी की गई थी, लेकिन मार्च 2025 में फिर 6 रुपये बढ़ा दिया गया था.

अन्य शहरों का रेट

बता दें कि भारत में एलपीजी की कुल खपत का लगभग 90 फीसदी हिस्सा घरेलू रसोई में इस्तेमाल होता है, जबकि बाकी 10 फीसदी इंडस्ट्रियल, कमर्शिय और ऑटोमोबाइल सेक्टर में इस्तेमाल होता है. हालांकि, एलपीजी की कीमतें राज्य दर राज्य अलग-अलग हो सकती हैं क्योंकि इनमें स्थानीय टैक्स और लॉजिस्टिक्स लागत जुड़ी होती है.

घरेलू रसोई गैस की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. मार्च में केंद्र सरकार ने तब घरेलू सिलेंडर की कीमत 50 रुपये बढ़ाई थी जब अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया था, जो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैक्स के कारण हुआ था.

देश में उत्पादित प्राकृतिक गैस की कीमत अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के बास्केट की औसत कीमत का 10 प्रतिशत तय की जाती है. मई 2025 में यह औसत गिरकर 64.5 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया, जो पिछले तीन वर्षों में सबसे कम है.

यदि कच्चे तेल की कीमतें 65 डॉलर प्रति बैरल पर स्थिर बनी रहती हैं, तो अनुमान है कि तेल कंपनियों को होने वाले एलपीजी से जुड़े घाटे में वित्तीय वर्ष 2026 में करीब 45 फीसदी तक की कमी आ सकती है. बीते दस वर्षों में घरेलू एलपीजी उपभोक्ताओं की संख्या दोगुनी हो चुकी है और 1 अप्रैल 2025 तक यह आंकड़ा लगभग 33 करोड़ तक पहुंच चुका है.