न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के 122 करोड़ के घाटाले में चेयरमैन का बड़ा खेल, 45 करोड़ खुद डकारे, ईडी का खुलासा

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में हुए 122 करोड़ रुपये के घोटाले को लेकर ईडी की चल रही जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है. ईडी का कहना है कि बैंक के पूर्व चेयरमैन हिरेन भानु ने बैंक से निकाले गए पैसे में से 45 करोड़ रुपये अपनी विदेशी कंपनियों में ट्रांसफर किए हैं.

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक Image Credit: PTI

New India Co-operative Bank Embezzlement Case: न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के 122 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ा खुलासा किया है. ED का कहना है कि बैंक के पूर्व चेयरमैन हिरेन भानु ने बैंक से निकाले गए पैसे में से 45 करोड़ रुपये अपनी विदेशी कंपनियों में ट्रांसफर किए थे. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ED ने मुंबई और गुजरात में सात जगहों पर छापेमारी की. इस दौरान जांच एजेंसी को कई आपत्तिजनक दस्तावेज, संपत्ति से जुड़े कागजात और लगभग 1 करोड़ रुपये के कीमती सामान मिले. दस्तावेजों से पता चला कि बैंक के जिन लोन खातों को बाद में NPA घोषित किया गया, वहीं से पैसा निकालकर भानु की विदेशी कंपनियों में भेजा गया था.

RBI की जांच के बाद सामने आया घोटाला

दरअसल यह मामला तब सामने आया जब RBI ने बैंक के ऑडिट के दौरान 122 करोड़ रुपये के गबन का पता लगाया. इसके बाद ED ने इस मामले की जांच शुरू की. मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) भी इस केस की जांच कर रही है.

हितेन मेहता समेत आठ गिरफ्तार

पुलिस ने अब तक बैंक के पूर्व महाप्रबंधक (GM) हितेन मेहता समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया है. वहीं, बैंक के पूर्व चेयरमैन हिरेन भानु और उनकी पत्नी गौरी भानु, जो बैंक की वाइस-चेयरपर्सन भी हैं, अभी फरार हैं. फिलहाल कोर्ट ने दोनों को ‘भगोड़ा’ घोषित कर दिया है.

ब्रेन मैपिंग टेस्ट से मिली अहम जानकारी

मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने हितेन मेहता का ब्रेन मैपिंग टेस्ट भी कराया. एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि टेस्ट के नतीजों से मेहता समेत दूसरे आरोपियों हिरेन भानु, बैंक के पूर्व CEO अभिन्यु भोजान और मेहता के दोस्त अरुणाचलम उल्लहनाथन मरुथुवर व धर्मेश पौन की संलिप्तता का संकेत मिला है. हालांकि, ये नतीजे सीधे सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश नहीं किए जा सकते.

मामले को लेकर भानु के वकील का बयान

हिरेन भानु और उनकी पत्नी के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किलों को ED की कार्रवाई की जानकारी नहीं है. वकील ने दावा किया, “भानु को जो रकम उनकी विदेशी कंपनियों में मिली है, वह उनके सामान्य व्यवसाय से जुड़ी है और बैंक से चोरी हुए 122 करोड़ रुपये से कोई संबंध नहीं है. वकील ने यह भी आरोप लगाया कि हितेन मेहता ने ऑडिटर्स के साथ मिलकर बैंक से नकदी चोरी की थी, जिसे RBI द्वारा नियुक्त बोर्ड सदस्य भी पकड़ नहीं पाए थे. भानु दंपति ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जांच में शामिल होने की पेशकश की थी, लेकिन EOW ने कोई जवाब नहीं दिया है.

कैसे हुआ घोटाला?

पुलिस के मुताबिक, हितेन मेहता ने 2019 से 2025 के बीच बैंक के लॉकर से नकदी चुराई और उसे धर्मेश पौन व मरुथुवर को सौंपा. 12 फरवरी को RBI की प्रभादेवी और गोरेगांव शाखाओं की जांच के दौरान घोटाले का पर्दाफाश हुआ. जांच में मेहता ने अपना गुनाह कबूल किया और अन्य आरोपियों के नाम बताए. गिरफ्तार किए गए दूसरे आरोपियों में भोजान, मरुथुवर का बेटा मनोहर और कपिल देधिया शामिल हैं.

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