तलाकशुदा पत्नी को देना होगा 50000, हर 2 साल में 5% बढ़ेगी रकम; प्रॉपर्टी भी मिलेगी- सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
Supreme Court ने तलाक के एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि पति को अपनी तलाकशुदा पत्नी को हर महीने 50,000 रुपये गुजारा भत्ता देना होगा, जिसमें हर दो साल में 5% की बढ़ोतरी होगी. डायवोर्स के बाद पत्नी ने दोबारा शादी नहीं की है.
Divorce Case Supreme Court: तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है जिसमें पति को तलाकशुदा पत्नी को हर महीने 50 हजार रुपये गुजारे भत्ते के रूप में देने होंगे और ये रकम हर दो साल बाद 5 फीसदी बढ़ा दी जाएगी. कोर्ट के फैसले के पीछे क्या वजह है, चलिए जानते हैं… बता दें कि पहले कोलकाता हाई कोर्ट ने 2016 में इस राशि को 20,000 रुपये तय किया था जिसमें हर तीन साल में 5% की बढ़ोतरी की व्यवस्था थी.
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट का ये फैसला 29 मई को आया है जिसमें एक पति को आदेश दिया कि वह अपनी पूर्व पत्नी को हर महीने 50,000 रुपये भत्ता देगा और इस राशि में हर दो साल में 5% की बढ़ोतरी होगी.
क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस पत्नी ने तलाक के बाद अब तक दोबारा शादी नहीं की और अकेली रह रही है, उसे वैसा जीवन स्तर मिलना चाहिए जैसा वह शादी के दौरान जीती थी, और ऐसा गुजारा भत्ता तय होना चाहिए जो उसके भविष्य को सुरक्षित कर सके. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस आदेश को भी बरकरार रखा जिसमें पति को मकान का होम लोन चुकता करने और मकान का मालिकाना हक पत्नी के नाम ट्रांसफर करने को कहा गया था. पति ने इस आदेश को मान लिया लेकिन बेटे को भत्ता देने का विरोध किया.
पति का तर्क
पति का कहना है कि उसका बेटा अब 26 साल का हो चुका है और अब वह उस पर निर्भर नहीं है. उसने यह भी कहा कि, उसकी आमदनी तलाक के बाद से आज की तारीख में बढ़ चुकी है लेकिन अब उसकी दोबारा शादी हो चुकी है और उसके बूढ़े माता-पिता भी हैं जिनकी देखभाल का जिम्मा उस पर है.
रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने पूरे मामले को सुनने के बाद कहा कि बेटे को गुजारा भत्ता देने का आदेश नहीं दिया जा सकता. हालांकि, बेटे का अपनी पैतृक संपत्ति पर अधिकार बना रहेगा, और वह कानून के तहत अपना दावा कर सकता है. इसलिए कोर्ट ने बेटे के संबंध में पति की दलील को स्वीकार किया है, लेकिन पत्नी को ज्यादा गुजारा भत्ता देने के विरोध को खारिज कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पति की इनकम बढ़ चुकी है और वह अधिक राशि देने की स्थिति में है. इसलिए हाई कोर्ट द्वारा तय की गई 20 हजार के गुजारा भत्ते की राशि में संशोधन जरूरी था.
17 साल पुराना मामला है
ये मामला 17 साल पुराना है, 17 साल पहले दोनों का तलाक हुआ था-
- 18 जून 1997: दोनों ने हिंदू रीति-रिवाज से शादी की.
- 5 अगस्त 1998: बेटे का जन्म हुआ.
- जुलाई 2008: पति ने डायवोर्स के लिए विशेष विवाह अधिनियम की धारा 27 के तहत याचिका दायर की. पत्नी ने इसके जवाब में हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत खुद और बेटे के लिए अंतरिम गुजारा भत्ते की मांग की.
- 14 जनवरी 2010: ट्रायल कोर्ट ने पति को उसकी पूर्व पत्नी को 8,000 प्रति माह और 10,000 मुकदमे की लागत देने का आदेश दिया.
- 28 मार्च 2014: पत्नी ने CrPC की धारा 125 के तहत मामला दायर किया. ट्रायल कोर्ट ने पति को पत्नी को 8,000 और बेटे को 6,000 मासिक देने को कहा.
- 14 मई 2015: पति ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी. हाई कोर्ट ने भत्ता 15,000 कर दिया.
- 1 जनवरी 2016: ट्रायल कोर्ट ने पति की क्रूरता साबित न होने के कारण तलाक याचिका खारिज कर दी.
- 14 जुलाई 2016: हाई कोर्ट ने पति की 69,000 की मासिक सैलरी को देखते हुए गुजारा भत्ता 20,000 रुपये प्रति माह कर दिया.
- 25 जून 2019: हाई कोर्ट ने मेंटल टॉर्चर के आधार पर तलाक को मंजूरी दे दी.
- 20 फरवरी 2023: सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ गुजारा भत्ता बढ़ाने के सवाल पर सुनवाई के लिए नोटिस जारी किया.
- 7 नवंबर 2023: पति की गैर-हाजिरी में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश में 75,000 प्रति माह भत्ता तय किया. पति बाद में कोर्ट में पेश हुआ और इस आदेश को रद्द कराने की मांग की.
- 29 मई 2025: अंतिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने तय किया कि पत्नी को 50,000 प्रति माह गुजारा भत्ता दिया जाएगा, जो हर दो साल में 5% बढ़ेगा.