भारत ने किया हाइपरसोनिक धमाका, पाकिस्तान के छूट जाएंगे पसीने

भारत ने हाइपरसोनिक हथियार टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है. DRDO की हैदराबाद स्थित DRDL लैब ने स्क्रैमजेट सबस्केल कंबस्टर का 1,000 सेकंड से ज्यादा समय तक सफलतापूर्वक परीक्षण किया. यह उपलब्धि भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इस टेस्ट के जरिए भारत अब फ्लाइट वर्थी स्क्रैमजेट इंजन के परीक्षण की तैयारी में है.

डीआरडीओ स्क्रैमजेट इंजन परीक्षण Image Credit: PIB

DRDO hypersonic test: भारत-पाकिस्तान के बीच इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने कई बड़े कदम उठाए हैं. इसी बीच भारत ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) को हाइपरसोनिक हथियार टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है. हैदराबाद स्थित रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL) ने एक्टिव कूल्ड स्क्रैमजेट सबस्केल कंबस्टर ( एक विशेष प्रकार का एयर-ब्रीदिंग इंजन जो हाइपरसोनिक स्पीड पर काम करता है उसका छोटा मॉडल) का 1,000 सेकंड से अधिक समय तक सफलतापूर्वक ग्राउंड टेस्ट किया.

यह परीक्षण DRDO द्वारा हैदराबाद में स्थापित अत्याधुनिक स्क्रैमजेट कनेक्ट टेस्ट फैसिलिटी में 25 अप्रैल 2025 को किया गया. यह सफलता जनवरी 2025 में किए गए 120 सेकंड के परीक्षण से आगे की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है. अब DRDO के द्वारा असली इंजन जितना बड़ा कंबस्टर बनाया जाएगा, जो हवाई परीक्षण (फ्लाइट टेस्ट) में इस्तेमाल किया जा सकता है

हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल टेक्नोलॉजी में क्रांति

हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलें ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक (>6,100 किमी/घंटा) रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम होती हैं और इन्हें एयर-ब्रीदिंग इंजन द्वारा संचालित किया जाता है. स्क्रैमजेट इंजन में सुपरसोनिक कंबशन की प्रक्रिया होती है, जो लंबी दूरी की हाइपरसोनिक उड़ानों के लिए अत्यंत आवश्यक है. इस परीक्षण ने स्क्रैमजेट कंबस्टर डिजाइन और टेस्ट फैसिलिटी की विश्वसनीयता साबित कर दी है.

रक्षा मंत्री और DRDO प्रमुख ने जताई खुशी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, इंडस्ट्री पार्टनर्स और एकेडेमिया को इस सफलता के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि भारत की हाइपरसोनिक हथियार टेक्नोलॉजी को विकसित करने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है. वहीं, DRDO के चेयरमैन डॉ. समीर वी. कामत ने डीजी (मिसाइल्स एंड स्ट्रैटेजिक सिस्टम्स) यू. राजा बाबू और DRDL के निदेशक डॉ. जी.ए. श्रीनिवास मूर्ति के नेतृत्व में पूरी टीम को इस सफलता के लिए बधाई दी.

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देश के लिए क्या है मायने

इस उपलब्धि के बाद भारत का हाइपरसोनिक हथियार विकास कार्यक्रम और मजबूत होगा. साथ ही, स्क्रैमजेट इंजन टेक्नोलॉजी में भारत की आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी. इस तरह भारत उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा, जिनके पास यह अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी मौजूद है.