2026 तक बदल जाएगा भारतीय सेना का ऑपरेशन सिस्टम, ड्रोन से लेकर स्मार्ट वॉर रूम तक होगी AI की एंट्री
इंडियन आर्मी एआई जैसे तकनीकों से नया हथियार बनाने जा रही है, जिसके लिए एक रोडमैप तैयार किया है. इस रोडमैप का मकसद 2026-27 तक सेना के हर ऑपरेशनल हिस्से में एआई (Artificial Intelligence), मशीन लर्निंग (Machine Learning) और बिग डेटा एनालिटिक्स को शामिल करना है.
Indian Army’s AI Roadmap: इंडियन आर्मी अब युद्ध के मैदान में टेक्नोलॉजी को सबसे बड़ा हथियार बनाने जा रही है. ऑपरेशन सिंदूर जैसे हालिया अनुभवों से सबक लेते हुए सेना एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रोडमैप तैयार कर रहा है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस रोडमैप का मकसद 2026-27 तक सेना के हर ऑपरेशनल हिस्से में एआई (Artificial Intelligence), मशीन लर्निंग (Machine Learning) और बिग डेटा एनालिटिक्स को शामिल करना है. इससे सेना की निगरानी, फैसले लेने की क्षमता और दुश्मन की हरकतों को समझने में मदद मिलेगी.
क्या है ड्रोन स्वॉर्मिंग ?
सेना अब ड्रोन स्वॉर्मिंग यानी कई ड्रोन को एक साथ मिशन पर भेजने जैसी तकनीक पर काम कर रही है. इसके जरिए सीमाओं पर रियल-टाइम निगरानी और दुश्मन की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा सकेगी. साथ ही युद्ध-पूर्वाभ्यास (combat simulations) में भी AI की मदद ली जाएगी जिससे सैनिकों को और बेहतर ट्रेनिंग दी जा सकेगी.
कैसे AI से काम होंगे तेज और सटीक
सेना का मकसद है कि युद्ध के मैदान में तेजी से सही फैसले लिए जा सकें. इसके लिए टेक्स्ट समरी करने वाले एआई टूल, चैटबॉट, वॉयस-टू-टेक्स्ट सिस्टम, फेस रिकग्निशन, और संदिग्ध गतिविधियों को पहचानने वाले ऑटोमेटेड सिस्टम तैयार किए जा रहे हैं. ड्रोन, सैटेलाइट, एयरक्राफ्ट और जमीन से जुड़े सेंसर्स से जो डेटा आएगा, उसे एआई की मदद से तुरंत प्रोसेस कर सेना को लाइव रिपोर्ट दी जाएगी. इससे कमांडर्स को जल्द और सटीक निर्णय लेने में मदद मिलेगी.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ी एआई की रफ्तार
मई में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना ने महसूस किया कि आज के युद्ध में तेजी और तकनीक की अहम भूमिका है. इसलिए एआई पर पहले चल रही चर्चाओं को अब तेजी से अमल में लाया जा रहा है. सेना का DGIS (Directorate General of Information Systems) अब एक विशेष एआई टास्क फोर्स बना रहा है जो इसे पूरे बल में लागू करेगा. इस रोडमैप के तहत एआई का इस्तेमाल न केवल निगरानी के लिए, बल्कि लॉजिस्टिक्स, सोशल मीडिया एनालिसिस, ओपन सोर्स इंटेलिजेंस, दुश्मन की ताकत का विश्लेषण, वॉरगेमिंग सिमुलेशन और ऑपरेशनल प्लानिंग के लिए भी किया जाएगा. साथ ही ऐसे सिस्टम भी तैयार होंगे जो बिना GPS के भी रास्ता ढूंढ सकें.
पुराने सिस्टम को भी मिलेंगे AI फीचर
सेना सिर्फ नए उपकरणों में ही नहीं, बल्कि पुराने सिस्टम में भी एआई जोड़ने की योजना बना रही है. इसके लिए नए उपकरणों की तकनीकी जरूरतों (GSQR) में एआई को शामिल किया जा रहा है. इससे फ्यूचर में जो भी हथियार या सिस्टम खरीदे जाएंगे, वे एआई से लैस होंगे. इसके अलावा DGIS में एक नई एआई लैब बनाई जा रही है जो मॉडल डेवलप और टेस्टिंग का काम करेगी. यह लैब नौसेना और वायुसेना द्वारा विकसित एआई एप्लिकेशन से भी जुड़ी होगी.
इसे भी पढ़ें- IGI का विकल्प बना हिंडन एयरपोर्ट, इंडिगो ने लॉन्च की 9 नई उड़ानें; यात्रियों को मिलेगा सुविधा