SBI ने दी चेतावनी! इस नए तरीके से खाली हो रहे खाते, ग्राहक रहें सतर्क

SBI ने ग्राहकों को धोखाधड़ी से सावधान रहने को कहा है, जिसमें जालसाज सरकारी अधिकारी बनकर व्यक्तिगत जानकारी मांगते हैं और कानूनी कार्रवाई की धमकी देते हैं. बैंक ने सुरक्षा उपायों और सतर्कता की सलाह दी है.

अगर आपका बैंक अकाउंट हो गया है बंद, ये 3 आसान स्टेप्स अपनाकर मुफ्त में चालू करवाए Image Credit: TV9 Bharatvarsh

भारतीय स्टेट बैंक ने अपने ग्राहकों को एक नए धोखाधड़ी मॉड्यूल के बारे में आगाह किया है. एसबीआई ने बताया कि जालसाज सीबीआई या आयकर विभाग के अधिकारी बनकर ग्राहकों को धमका सकते हैं और फर्जी कानूनी कार्रवाई की धमकी भी दे सकते हैं. एसबीआई ने ग्राहकों को यह भी जानकारी दी है कि धोखाधड़ी कैसे की जाती है और ऐसी स्थिति में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए.

कैसे हो सकती है धोखाधड़ी?

सबसे पहले, धोखेबाज ग्राहकों को फोन करते हैं और बातचीत के दौरान उनके व्यक्तित्व और प्रवृत्तियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करते हैं. वे ग्राहकों का विश्वास जीतने के लिए उन्हें यह बताते हैं कि वे आयकर विभाग के अधिकारी हैं और उनसे कुछ व्यक्तिगत जानकारी मांगते हैं. खासतौर से धोखेबाज ग्राहक से KYC नंबर, पता, आधार कार्ड या पैन कार्ड की जानकारी मांगते हैं. कभी-कभी धोखेबाज ऐसी जानकारी भी मांग सकते हैं जो ग्राहक सार्वजनिक रूप से साझा करते हैं, जैसे कि सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई जानकारी.

इसके अलावा, धोखेबाज ग्राहक के परिवार के बारे में जानकारी इकट्ठा करके, उनके नाम से फोन कर यह कहते हैं कि उनकी UPI सेवा ठीक से काम नहीं कर रही है और वे पैसे भेज रहे हैं, जबकि असल में वे धोखा देने के लिए टैक्स से संबंधित संदेश भेजते हैं. इसके अलावा, धोखेबाज यह भी दावा कर सकते हैं कि आपने हाल ही में कोई प्रॉपर्टी बेची है, जिस पर आयकर लगता है और आपने उसका भुगतान नहीं किया है. यह जानकारी उन्हें प्रॉपर्टी वेबसाइट, प्रॉपर्टी ब्रोकर की वेबसाइट या प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार के कार्यालय से लीक हो सकती है.

उसके बाद, जब ग्राहक धोखेबाज की बातों पर विश्वास कर लेते हैं, तो वे उन्हें बताते हैं कि वे सीबीआई, आयकर विभाग या किसी अन्य सरकारी विभाग के अधिकारी हैं और उन्हें यह कहते हैं कि आपने इनकम टैक्स की चोरी की है या आपने कोई गैरकानूनी काम किया है. इसके बाद वे ग्राहक को डराकर उनकी जानकारी मांगते हैं. जब ग्राहक उनकी बातों में आ जाते हैं, तो धोखेबाज उन्हें यह बताते हैं कि यदि वे उन्हें रिश्वत देंगे तो सभी कानूनी, कर और अन्य समस्याएं हल हो जाएंगी. फिर वे ग्राहक से कहते हैं कि जांच लंबित रहने तक अलग-अलग बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करें और यह बताते हैं कि जांच पूरी होने के बाद ही पैसे वापस ट्रांसफर किए जाएंगे.

इस प्रकार के धोखाधड़ी के मामलों को आमतौर पर “फिशिंग” या “सोशल इंजीनियरिंग” कहा जाता है, जिसमें धोखेबाज एक वैध अधिकारी के रूप में पेश आते हैं और पीड़ितों को धमका कर उनकी व्यक्तिगत जानकारी या पैसे चुराने की कोशिश करते हैं.

कैसे बचें

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