हर चमकता फंड सोना नहीं होता! सेक्टोरल और थीमैटिक फंड के हाई रिटर्न का जानें असली सच
थीमेटिक और सेक्टोरल फंड्स में निवेश करते समय भावनाओं की बजाय फैक्ट्स पर ध्यान देना चाहिए. इन फंड्स में अक्सर जबरदस्त तेजी देखने को मिलती है, लेकिन अगर एंट्री और एग्जिट टाइमिंग सही न हो तो निवेशक को उम्मीद से कम रिटर्न मिल सकता है.
Sectoral and Thematic Fund: पिछले कुछ समय से निवेशकों को सेक्टोरल और थीमेटिक फंड खूब भा रहा है. इन फंड्स ने बहुत मजबूत प्रदर्शन के दम पर 1.83 लाख करोड़ रुपये का नेट निवेश अर्जित किया है. ये बाकी सभी कैटेगरी के कुल नेट निवेश का लगभग 30 फीसदी हिस्सा है. लेकिन इसको लेकर जो आंकडे़ कागज पर दिए गए हैं, वह असल संख्या से काफी अलग है. दरअसल बुल रन को लेकर हमेशा निवेशक उत्साहित रहते हैं. इन रन्स में अक्सर हमें सेक्टोरल/थीमैटिक फंड ही आगे जाते हुए दिखते हैं. इस बार पीएसयू और इंफ्रास्ट्रक्चर फंड सबसे आगे हैं. इन अवधि के दौरान पीएसयू फंड में 174 फीसदी और इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में 147 फीसदी की उछाल आई है. हालांकि पिछले दो दशक के दौरान इन 2-3 फंड्स ने ही अच्छा रिटर्न दिया है.
बुल फेज के दौरान कैसा था रिटर्न?
वैल्यू रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2008 के मार्केट क्रैश के बाद से हर कैटेगरी की तेजी में टॉप 5 में 2 या 3 ही सेक्टरोल और थीमेटिक फंड्स देखी गई हैं.
बुल मार्केट चरण | शीर्ष 5 म्यूचुअल फंड कैटेगरी |
मार्च 2009 से नवम्बर 2010 | बैंकिंग (152%), मिड-कैप (102%), टेक्नोलॉजी (99%), स्मॉल-कैप (96%), वैल्यू-ओरिएंटेड (93%) |
दिसम्बर 2011 से जनवरी 2015 | स्मॉल-कैप (40%), एमएनसी (39%), मिड-कैप (38%), फार्मा (37%), वैल्यू-ओरिएंटेड (33%) |
फरवरी 2016 से जनवरी 2020 | बैंकिंग (20%), ईएसजी (16%), कंजम्पशन (15%), एनर्जी (15%), लार्ज-कैप (15%) |
मार्च 2020 से अक्टूबर 2021 | टेक्नोलॉजी (120%), स्मॉल-कैप (103%), एनर्जी (96%), मिड-कैप (87%), इन्फ्रास्ट्रक्चर (84%) |
जून 2022 से सितम्बर 2024 | पीएसयू (56%), इन्फ्रास्ट्रक्चर (46%), स्मॉल-कैप (41%), मिड-कैप (40%), वैल्यू-ओरिएंटेड (39%) |
एसआईपी vs इन्वेस्टर्स रिटर्न
अब सवाल कि क्या सेक्टरल या थीमैटिक फंड हमेशा अपने निवेशकों को मालामाल करते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, जवाब है नहीं. जब 10 साल के एसआईपी रिटर्न को 61 सेक्टोरल या थीमैटिक फंड से तुलना किया गया तब नतीजों में अलग ही बात निकल कर सामने आई. इस दौरान SIP के रिटर्न, फंड के रिटर्न से काफी अधिक थे. इन दौरान बैंकिंग के सेक्टोरल या थीमैटिक फंड में एसआईपी ने 11 फीसदी का रिटर्न दिया है वहीं इन्वेस्टर रिटर्न से 8.1 फीसदी रहे हैं. यानी दोनों में 2.9 फीसदी का रिटर्न गैप है.
सेक्टोरल/थीमेटिक कैटेगरी | SIP रिटर्न (%) | निवेशक का रिटर्न (%) | रिटर्न गैप (%) |
---|---|---|---|
बैंकिंग | 11.0 | 8.1 | -2.9 |
टेक्नोलॉजी | 20.0 | 14.6 | -5.4 |
डिविडेंड यील्ड | 16.4 | 9.3 | -7.1 |
कंजंप्शन | 15.1 | 9.5 | -5.6 |
इन्फ्रास्ट्रक्चर | 17.6 | 6.4 | -11.2 |
एमएनसी | 10.1 | 6.4 | -3.7 |
पीएसयू | 18.1 | 8.4 | -9.7 |
एनर्जी | 16.6 | 13.9 | -2.7 |
फार्मा | 16.9 | 9.2 | -7.7 |
ईएसजी | 13.1 | 6.5 | -6.6 |
वहीं इस बीच टेक्नोलॉजी ने जहां 20 फीसदी का एसआईपी रिटर्न दिया है दूसरी ओर इन्वेस्टर्स रिटर्न ने 14.6 फीसदी का रिटर्न दिया है. अब सवाल कि इतना बड़ा गैप आखिर आता क्यों है. इसका जवाब काफी आसान है. ‘देर कर देना’. दरअसल जब हम सुनते हैं कि कोई सेक्टोरल या थीमैटिक फंड अच्छा रिटर्न दे रहा है तब निवेशक जल्दबाजी करते हुए उसमें कूद जाते हैं. लेकिन तब तक, वह फंड काफी हद तक बुलिश हो चुका होता है.
ऐसे में क्या करना चाहिए?
समय ही सबकुछ है. यानी सही समय में किसी फंड में जाना और सही पर उससे निकल जाना है आपको बेहतर रिटर्न के करीब ले जा सकता है. हालांकि ये इतना आसान भी नहीं होता. इससे इतर, किसी भी फंड में एंट्री करना अच्छे रिटर्न नहीं दिला सकती जब वह अपने उच्चतम स्तर पर हो. उससे भी जरूरी बात, हमेशा अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड रखना चाहिए. उदाहरण से समझते हैं, मान लीजिए आपने 2020 में टेक्नोलॉजी फंड में 1 लाख रुपये लगाए. 2021 तक टेक सेक्टर ने शानदार प्रदर्शन किया और आपका पैसा 1.5 लाख हो गया. लेकिन 2022 में टेक सेक्टर गिर गया और आपका निवेश 80,000 रुपये तक आ गया. दूसरी तरफ, अगर आपने डायवर्सिफाइड फंड में पैसा लगाया होता, तो नुकसान कम होता क्योंकि उसका पैसा कई सेक्टर्स में बंटा होता.