रिहायशी प्रॉपर्टी बेचने पर LTCG टैक्स से कैसे बचें? जानें क्या है सेक्शन 54 के नियम

अगर आप मकान बेचते हैं, तो सिर्फ मुनाफे (LTCG) को नए घर में निवेश करने पर टैक्स छूट मिलती है (Section 54). लेकिन अगर आप दुकान या जमीन बेचते हैं, तो टैक्स छूट के लिए पूरी बिक्री रकम निवेश करनी होती है (Section 54F). दोनों नियमों के अलग-अलग प्रावधान हैं।

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Capital Gains Tax Section 54: अगर आप अपनी रिहायशी प्रॉपर्टी बेचने जा रहे हैं और इस पर लगने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स से बचना चाहते हैं, तो इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 54 आपके लिए फायदेमंद हो सकता है.लेकिन अगर आप कोई कमर्शियल प्रॉपर्टी बेच रहे हैं, तो आपको सेक्शन 54F के नियमों को ध्यान में रखना होगा.दोनों मामलों में टैक्स से राहत के लिए निवेश की जाने वाली राशि में फर्क होता है, इसलिए सही जानकारी जरूरी है।

क्या है कैपिटल गेन टैक्स और कब लगता है?

जब आप कोई संपत्ति (जैसे मकान, प्लॉट या दुकान) बेचते हैं और उस पर आपको मुनाफा होता है, तो उस मुनाफे को कैपिटल गेन कहा जाता है. अगर संपत्ति दो साल से ज्यादा समय तक आपके पास रही है, तो यह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) कहलाता है और इस पर टैक्स देना होता है.

सेक्शन 54 कब लागू होता है

जो व्यक्ति अपना खुद का रहने वाला मकान बेच रहा है, उसके लिए इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 54 के तहत टैक्स से राहत पाने का मौका होता है. अगर मकान बेचने से जो मुनाफा यानी लांग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) होता है, उसे दो साल के भीतर किसी दूसरी रिहायशी संपत्ति की खरीद में या तीन साल के भीतर नई रिहायशी संपत्ति के निर्माण में लगाया जाए, तो इस पूरे मुनाफे पर टैक्स छूट मिलती है. ध्यान देने वाली बात यह है कि टैक्स छूट के लिए आपको सिर्फ मुनाफे की रकम का निवेश करना होता है, न कि मकान बेचने से मिली पूरी राशि का. उदाहरण के लिए, अगर आपने मकान 20 लाख रुपये में खरीदा था और 50 लाख रुपये में बेचा, तो मुनाफा 30 लाख रुपया हुआ. आपको सिर्फ 30 लाख रुपये को ही फिर से मकान में लगाना होगा.

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खरीदी की लागत कैसे निकाली जाए अगर संपत्ति पुरानी हो?

अगर आपकी संपत्ति 1 अप्रैल 2001 से पहले खरीदी गई है, तो आप उस समय की Fair Market Value (FMV) को खरीद मूल्य मान सकते हैं. लेकिन ध्यान दें, यह FMV उस समय की स्टाम्प ड्यूटी वैल्यू से ज्यादा नहीं हो सकती. अगर आप मकान बेचते हैं, तो सिर्फ मुनाफे (LTCG) को नए घर में निवेश करने पर टैक्स छूट मिलती है (Section 54).लेकिन अगर आप दुकान या जमीन बेचते हैं, तो टैक्स छूट के लिए पूरी बिक्री रकम निवेश करनी होती है (Section 54F).दोनों नियमों के अलग-अलग प्रावधान हैं.

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