खराब डिजाइन और लोकेशन के चलते किफायती घरों की मांग में गिरावट, 53 फीसदी खरीदार नाखुश
ANAROCK के डेटा से पता चलता है कि प्रमुख शहरों में किफायती आवास की आपूर्ति कम हो रही है, जो 2021 में कुल लॉन्च के 26 फीसदी से घटकर 2024 तक सिर्फ 17 फीसदी रह गई है.

कोविड-19 के बाद से किफायती घरों की मांग में भारी गिरावट आई है. एनारॉक-फिक्की होमबॉयर सेंटीमेंट सर्वे से पता चला है कि कम से कम 53 फीसदी घर खरीदार शहरों में इस अहम सेगमेंट में मौजूदा समय में उपलब्ध ऑप्शन से खुश नहीं है. रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी के अनुसार, मौजूदा समय में उपलब्ध किफायती घरों की खरीदारी से मोहभंग होने के तीन कारण हैं. पहला- खराब प्रोजेक्ट लोकेशन एक्सेसिबिलिटी, दूसरा- कंस्ट्रक्शन क्वालिटी को लेकर संदेह और खराब डिजाइन और तीसरा- लिमिटेड यूनिट साइज.
किफायती घरों की घटती मांग
पिछले एक साल में किफायती घरों की घटती मांग का इसकी सप्लाई पर बड़ा असर पड़ा है. ANAROCK के डेटा से पता चलता है कि प्रमुख शहरों में किफायती आवास की आपूर्ति कम हो रही है, जो 2021 में कुल लॉन्च के 26 फीसदी से घटकर 2024 तक सिर्फ 17 फीसदी रह गई है. 2019 में महामारी से पहले किफायती घरों की संख्या नए प्रोजेक्ट का 40 फीसदी थी.
बड़ा घर खरीद रहे हैं खरीदार
पुरी कहते हैं कि पिछले एक साल में कीमतों में उछाल के बावजूद बड़े घर खरीदारों की पसंद पर हावी हैं. मौजूदा सर्वे में शामिल कुल लोगों में से 51 फीसदी ने 3BHK यूनिट को प्राथमिकता दी है. सिर्फ 39 फीसदी ने 2BHK विकल्प को चुना. शहर के अनुसार, एनालिसिस से पता चलता है कि 3BHK की मांग चेन्नई, हैदराबाद, दिल्ली-एनसीआर और बेंगलुरु में खास तौर पर ज्यादा है.
इन शहरों में 50 फीसदी से अधिक उत्तरदाताओं ने इसे दूसरे फ्लैट साइज के मुकाबले ज्यादा पसंद किया. इसके उलट, कोलकाता, एमएमआर और पुणे में 40 फीसदी से ज्यादा प्रतिभागियों ने 2BHK को अपना पसंदीदा ऑप्शन बताया.
रेडी टू मूव की डिमांड
कंस्ट्रक्शन के पसंदीदा स्टेज के संदर्भ में, H1 2024 सर्वे एक महत्वपूर्ण विपरीत ट्रेंड दिखाता है. नए लॉन्च के लिए रेडी टू मूव वाले घरों की मांग का रेश्यो अब 20:25 है. H1 2020 में रेडी टू मूव की डिमांड का रेश्यो 46:18 था. इस बदलाव का एक प्रमुख कारण यह है कि ज्यादातर घर खरीदार बड़े और लिस्टेड डेवलपर्स के प्रोजेक्ट को पसंद करते हैं, जिनके बारे में उन्हें भरोसा है कि वे समय पर उनके घर डिलीवर कर देंगे.
किराये से होने वाली कमाई पर फोकस
H1 2024 सर्वे का एक और मुख्य आकर्षण यह है कि कम से कम 57 फीसदी आवासीय रियल एस्टेट निवेशक स्थिर किराये की इनकम पर फोकस कर रहे हैं. हालांकि, ये हैरान करने वाली बात नहीं है, क्योंकि पिछले दो वर्षों में शहरों में किराये की दरों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. (माइक्रो मार्केट 70% से अधिक). इसलिए किराये की कमाई की संभावना ने लोगों को निवेश के लिए प्रेरित किया है.
प्रीमियम और लग्जरी घरों की मांग में तेजी
प्रीमियम और लग्जरी घरों की मांग में अभी भी तेजी बनी हुई है. सर्वे में शामिल लोगों में से कुल 45 फीसदी को अब 90 लाख रुपये से अधिक कीमत वाले घर पसंद हैं. कोविड से पहले के सर्वे 2019 के एडिशन में केवल 27 फीसदी उत्तरदाताओं को इस प्राइस कैटेगरी में या इससे ऊपर की प्रॉपर्टी में रुचि थी.
आवासीय प्लॉट पसंदीदा ऑप्शन
नए सर्वे में आवासीय प्लॉट के लिए बढ़ती प्राथमिकता की भी पहचान की गई है. प्रॉपर्टी खरीदने के इच्छुक 20 फीसदी लोगों ने शहरों में प्लॉट को आकर्षक विकल्प के रूप में शामिल किया. शहर दर शहर के डेटा इस बात पर ध्यान खींचते हैं कि यह प्राथमिकता प्रमुख दक्षिणी शहरों में सबसे अधिक साफ है. चेन्नई में 30 फीसदी खरीदार इसे पसंद करते हैं, बेंगलुरु में 29 फीसदी और हैदराबाद में 27 फीसदी खरीदार प्लॉट को पसंद करते हैं. कई बड़े और ब्रांडेड डेवलपर्स ने पिछले कुछ वर्षों में इन शहरों में आवासीय प्लॉट प्रोजेक्ट शुरू किए हैं और उन्हें खरीदार मिल रहे हैं.
विला और रो हाउस की डिमांड
इन दक्षिणी शहरों में विला और रो हाउस की भी काफी मांग है. इसके विपरीत, एमएमआर, एनसीआर और पुणे में 70% से अधिक सर्वे में शामिल प्रतिभागी अपार्टमेंट पसंद करते हैं. 59% से अधिक उत्तरदाताओं के लिए रियल एस्टेट निवेश के लिए सबसे पसंदीदा एसेट है, जो पिछले सर्वे की तुलना में 2% अधिक है. 66 फीसदी मिलेनियल और 42 फीसदी जेन-एक्स उत्तरदाता भविष्य में घर खरीदने के लिए अपने निवेश बेनिफिट का उपयोग करेंगे.
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