14 दिन में 20% रिटर्न! चीन का बैन और इस कंपनी को मिल गया रेयर अर्थ एलिमेंट का टेंडर, स्टॉक लाया मुनाफे का तूफान
सरकार के एक अहम फैसले के बाद देश के Rare Earth क्षेत्र में हलचल मच गई है. विदेशी निर्भरता को कम करने की कवायद में अब एक देसी कंपनी चर्चा में आ गई है. हाल में मिले एक खनिज ब्लॉक ने देश की रणनीति को एक नई दिशा दी है.
मई 2025 में जब Hindustan Zinc ने सोनभद्र (उत्तर प्रदेश) में Rare Earth Elements (REE) ब्लॉक का टेंडर जीता और उसकी घोषणा कंपनी ने 28 मई को की. टेंडर जीतने के बाद कंपनी बड़े उत्साह के साथ वहां काम में लगी हुई थी. मगर हाल ही में सरकार ने REE निर्यात पर कड़े कदम उठाए और IREL को जापान को एक्सपोर्ट रोकने का निर्देश दिया. इस फैसले ने देश का ध्यान स्थानिय उत्पादकों की ओर खींच लिया है और अब Hindustan Zinc का परफॉर्मेंस सबके लिए अहम बन गया है.
ऑक्शन जितने के बाद कंपनी के शेयरों ने रफ्तार पकड़ी और 10 जून को कंपनी ने 544 रुपये तक का आंकड़ा छूआ. यानी महज कुछ दिनों में इसने निवेशकों को 20.62 फीसदी तक का रिटर्न दिया. बाजार अब इस कदम को देख रहा है कि HZL REE ब्लॉक पर किस हद तक कामयाब होता है और इसे अपने Zinc‑Lead‑Silver व्यवसाय के साथ कितनी जल्दी जोड़ पाता है.
सरकार का निर्णय और कंपनी की जिम्मेदारी
विश्व बाजार में Rare Earth Element का दबदबा चीन के पास है. चीनी प्रतिबंधों के चलते भारत ने घरेलू आपूर्ति को बचाने के लिए REE खनिज ब्लॉकों की नीलामी तेज कर दी. IREL से जापान को निर्यात बंद करवाने का मकसद भी यही था कि स्थानीय स्तर पर जरूरी खनिज मिलें. इन परिस्थितियों में Hindustan Zinc का REE ब्लॉक पर काम देश की खनिज सुरक्षा के लिहाज से अहम मोड़ साबित होगा. FY25 में REE उत्पादन की शुरुआत से कंपनी की कमाई में नई धार आने की भी संभावना है.
Zinc से Rare Earth तक, HZL का सफर
1966 में स्थापित Hindustan Zinc ने जिंक, सीसा और चांदी में अपनी खास पहचान बनाई है. राजस्थान के Rampura Agucha खदान से लेकर म्यांमार तक, कंपनी जिंक उत्पादन में देश का लगभग 75 फीसदी हिस्सा संभालती है. चांदी में भी यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी निर्माता है. अब REE ब्लॉक पर काम शुरू करके HZL ने अपने आप को एक और अहम क्षेत्र में खड़ा किया है.
REE खनन में आम खानों की तुलना में नए तरीके और तकनीक की जरूरत होती है. HZL ने अपनी टीम में विशेषज्ञ जोड़े हैं और नयी मशीनरी लगाई है, ताकि अन्वेषण से लेकर उत्पादन तक हर कदम सुरक्षित और पारदर्शी हो. पर्यावरण के मद्देनजर कंपनी मिट्टी और जल संरक्षण की दिशा में भी काम कर रही है, इस कदम से उसकी छवि में भी इजाफा होगा.
Rare Earth एलिमेंट जैसे नेओडिमियम और प्रैसिओडिमियम का इस्तेमाल स्पेस, ऑटोमोटिव और ग्रीन एनर्जी क्षेत्र में बढ़ रहा है. विदेशी निर्भरता कम करने के लिए भारत सरकार इन्हें घरेलू स्तर पर प्रोत्साहित कर रही है. HZL की ऑपरेशंस से देश की रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऊर्जा उद्योगों को जरूरी कच्चा माल मिलेगा साथ ही कंपनी वैश्विक स्तर पर भी खनिज क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत कर पाएगी.
वित्तीय ताकत और निवेश
Hindustan Zinc का मार्केट कैपिटलाइजेशन लगभग 2.17 लाख करोड़ है और उसका शेयर करीब 514 रुपये पर बंद हुआ. P/E अनुपात 21 गुना और ROE लगभग 72 फीसदी बताता है कि कंपनी अच्छा मुनाफा कमा रही है. FY24 में 3,038 करोड़ रुपये का रख-रखाव (sustenance) और 1,172 करोड़ रुपये का ग्रोथ निवेश निर्धारित किया गया था. इन निवेशों से भविष्य में प्रोडक्शन बढ़ाने में मदद मिलेगी.
FY24 के अंत तक कंपनी के पास 456 मिलियन टन खनिज संसाधन (Resources & Reserves) थे, यानी कंपनी के पास इतना खनिज है कि कम से कम 25 साल तक लगातार प्रोडक्शन जारी रख सकती है. इनमें 9.9 मिलियन टन जिंक, 2.8 मिलियन टन सीसा और 312 मिलियन औंस चांदी शामिल है. FY25 के लिए HZL ने जिंक उत्पादन 1100–1125 किलो टन और चांदी उत्पादन 750–775 टन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है.
यह भी पढ़ें: TATA के लिए कमाऊपूत बनी छुटकू कंपनियां, A कैटेगरी ने बढ़ाई टेंशन, जानें B कैटगरी कैसे कर रही कमाल
निवेशकों और बाजार का नजरिया
कंपनी के शेयरों की बात करें तो शुक्रवार को कंपनी के शेयर 514 रुपये पर बंद हुए थे. बीते एक साल में कंपनी ने 22.5 फीसदी नेगेटिव रिटर्न दिया है वहीं एक महीने में इसने निवेशकों को 16 फीसदी का मुनाफा दिया है. उच्च ROE और स्थिर डिविडेंड यील्ड (5.6%) ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है.
डिस्क्लेमर: यह सामग्री केवल सूचना के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है और इसे निवेश सलाह या सिफारिश के रूप में न माना जाए. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें. बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन होता है.