Motilal Oswal financial पर सेबी की सख्ती, स्टॉक ब्रोकर नियमों का किया उल्लंघन, लगाया मोटा जुर्माना

फाइनेंशियल सर्विसेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने नियमों का उल्लंघन किया है. बाजार नियामक सेबी ने स्टॉक ब्रोकर नियमों के उल्लंघन के मामले में फर्म पर कड़ी कार्रवाई करते हुए जुर्माना लगाया है. यह मामला कंपनी के ट्रेडिंग टर्मिनल के अन-ऑथराइज्ड एक्सेस से जुड़ा है.

मोतीलाल ओसवाल पर सेबी का एक्शन Image Credit: Motilal oswal

बाजार नियामक सेबी ने मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड पर स्टॉक ब्रोकर नियमों के उल्लंघन के लिए 3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. सेबी ने जांच में पाया है कंपनी के ट्रेडिंग टर्मिनल अन-ऑथराइज्ड लोकेशन पर पाए गए. इसके अलावा अन-ऑथराइज्ड लोगों की तरफ से एक्सेस किए जा रहे थे. इसके साथ ही सेबी ने पाया कि कंपनी ने ऑथराइज्ड पर्सन के साथ फंड बेस्ड गतिविधियों की सही जानकारी नहीं दी.

45 दिन में जमा कराना होगा जुर्माना

सेबी की तरफ से जारी आदेश के मुताबिक मोतीलाल ओसवाल को जुर्माना भरने के लिए 45 दिन का समय दिया गया है. अगर फर्म की तरफ से 45 दिनों के भीतर 3 लाख रुपये का जुर्माना जमा नहीं कराया जाता है, तो सेबी इससे आगे और भी सख्त एक्शन ले सकती है, जिसमें कंपनी के एसेट्स की जब्ती भी हो सकती है.

कब की गई जांच?

सेबी ने अप्रैल 2022 से जनवरी 2024 के दौरान मोतीलाल ओसवाल का थीम बेस्ड इंस्पेक्शन किया. सेबी की चांज की थीम ऑथराइज्ड पर्सन पर कंट्रोल से जुड़ी थी. जांच में सामने आया कि मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के ऑथराइज्ड ट्रेडिंग टर्मिलन ऑथराइज्ड लोकेशन पर नहीं पाए गए. सेबी के आदेश के मुताबिक 13 टर्मिनल बताई गई जगह नहीं थे.

क्या है सेबी का नियम?

सेबी के नियमों के मुताबिक किसी भी स्टॉक ब्रोकर को अपने सभी ट्रेडिंग टर्मिलन को ऑथराइज्ड प्लेस और पर्सन तक सीमित रखना होता है. अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो जुर्माना लगाया जाता है. यहां तक कि लाइसेंस भी निरस्त किया जा सकता है.

MIS को लेकर भी हुई चूक

सेबी ने अपनी जांच में यह भी पाया कि मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने दो ऑथराइज्ड पर्सन का ऑनसाइट निरीक्षण किया था और निरीक्षण रिपोर्ट बीएसई और एनएसई को सौंपी. लेकिन, निरीक्षण के दौरान फंड बेस्ड एक्टिविटीज की पहचान करने में विफल रहा. MIS यानी मार्जिन इंट्राडे स्क्वायर ऑफ रिपोर्ट में ऑथराइज्ड पर्सन और क्लाइंट के बीच फंड-बेस्ड एक्टिविटी की रिपोर्ट बीएसई-एनएसई को देना जरूरी होता है.

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