क्‍या होती है Short Selling? जिससे ट्रेडर्स करते हैं मोटी कमाई!

हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से अडानी ग्रुप पर रिपोर्ट सामने आने के बाद से इस शब्द की चर्चा काफी बढ़ गई है. आइए जानते हैं शॉर्ट सेलिंग क्या होती है और इसके फायदे और नुकसान क्या हैं.

शॉर्ट सेलिंग क्या है? Image Credit: freepik

शॉर्ट सेलिंग शेयर बाजार की एक एडवांस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है. इसका इस्तेमाल ट्रेडर्स मोटी कमाई के लिए करते हैं, लेकिन नए ट्रेडर्स को अक्सर भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है. हाल ही में हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से अडानी ग्रुप पर रिपोर्ट सामने आने के बाद से इस शब्द की चर्चा काफी बढ़ गई है. आइए जानते हैं शॉर्ट सेलिंग क्या होती है और इसके फायदे और नुकसान क्या हैं.

शेयर बाजार में शॉर्ट सेलिंग क्या होती है?

शॉर्ट सेलिंग एक पेचीदा ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी होती है. इसमें ट्रेडर पहले शेयरों को ऊंची कीमत पर बेचता है और फिर जब शेयर की कीमत घट जाती है, तो उसे कम कीमत पर खरीद लेता है. खरीदने और बेचने के बीच के अंतर से ट्रेडर को मुनाफा होता है.

शॉर्ट सेलिंग कैसे की जाती है?

कैश: इस तरीके में ट्रेडर केवल एक दिन (इंट्राडे) के लिए शेयरों को बेचता और खरीदता है. इसमें एक दिन के लिए शॉर्ट पोजिशन ली जाती है.

ऑप्शन: ट्रेडर ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग करके भविष्य में शेयर की कीमत कम होने पर शॉर्ट पोजिशन ले सकता है. यह पोजिशन लंबे समय तक भी रखी जा सकती है.

फ्यूचर्स: ट्रेडर फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग करके भविष्य की तारीख में शेयर की कीमत कम होने पर शॉर्ट पोजिशन ले सकता है. इसे भी लंबे समय तक कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है.

आइए शॉर्ट सेलिंग को उदाहरण से समझते हैं

मान लीजिए, श्याम नाम का एक ट्रेडर है और उसे लगता है कि XYZ कंपनी के शेयर की कीमत अभी 500 रुपए है. श्याम को लगता है कि आने वाले समय में यह शेयर गिरने वाली है. तो वह पहले इन शेयरों को उधार लेकर 500 रुपए में बेच देता है.

जैसे ही शेयर की कीमत घटकर 400 रुपए हो जाती है, श्याम इन्हें 400 रुपए में खरीद लेता है और उधार देने वाले को लौटा देता है. इस प्रकार, श्याम को खरीद और बिक्री के बीच का अंतर, यानी 100 रुपए प्रति शेयर का मुनाफा होता है.

किन बातों का रखें ध्यान

जोखिम: शॉर्ट सेलिंग में जोखिम अधिक होता है. यदि शेयर की कीमत गिरने के बजाय बढ़ जाती है, तो ट्रेडर को बड़ा नुकसान हो सकता है. कभी-कभी यह नुकसान 100 फीसदी से भी ज्यादा हो सकता है. इसीलिए, शॉर्ट सेलिंग अनुभवी ट्रेडर्स द्वारा की जाती है.

निगरानी: शॉर्ट सेलिंग पर SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) की कड़ी निगरानी होती है. किसी भी गड़बड़ी की स्थिति में त्वरित कार्रवाई की जाती है.