BrahMos की मार से बचने को जर्मनी की शरण में पहुंचा पाकिस्तान, मांगा IRIS-T SLM, जानें कितना दम?
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान भारत की ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल की मार खा चुका है. अब पाकिस्तान ब्रह्मोस से बचने के लिए जर्मनी से IRIS-T SLM एयर डिफेंस सिस्टम मांग रहा है. यूक्रेन में रूसी हमले के दौरान जर्मन सिस्टम की कामयाबी ने पाकिस्तान का ध्यान इस तरफ खींचा है.

पाकिस्तान भारत की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का मुकाबला करने के लिए जर्मनी के IRIS-T SLM एयर डिफेंस सिस्टम को खरीदना चाहता है. पाकिस्तान का मौजूदा एयर डिफेंस सिस्टम ब्रह्मोस के सामने बुरी तरह नाकाम साबित हुआ है. वहीं, पिछले दिनों यूक्रेन में जर्मन एयर डिफेंस सिस्टम ने रूसी हमलों को रोकने में कामयाबी हासिल की है. इसे देखते हुए पाकिस्तान अपनी खराब आर्थिक हालत के बावजूद जर्मनी से यह एयर डिफेंस सिस्टम मांगने पहुंच गया है. हालांकि, अगर जर्मनी पाकिस्तान के साथ यह सौदा करता है, तो भारत के लिए यह एक चिंता का विषय बन सकता है. बहरहाल, जानते हैं कि इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम में कितना दम है और भारत के लिए क्यों चुनौती बन सकता है?
क्यों चर्चा में आया IRIS-T SLM ?
पाकिस्तानी मीडिया की तमाम रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि पाकिस्तान अपने मौजूदा चीन निर्मित HQ-16 और HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम की जगह जर्मनी का IRIS-T SLM एयर डिफेंस सिस्टम को खरीदना चाहता है. इसके साथ ही दावा किया गया है कि जर्मन एयर डिफेंस सिस्टम ने पिछले दिनों यूक्रेन में रूस की तरफ से दागी गईं 60 से ज्यादा सुपरसोनिक मिसाइलों को मार गिराया. इसकी वजह से जर्मनी का यह सिस्टम खासी चर्चा में है.
कौन बनाता है कि IRIS-T SLM?
IRIS-T SLM का निर्माण जर्मन डिफेंस दिग्गज Diehl Defence करती है. जर्मन मीडिया ने भी यह दावा किया है कि इस एयर डिफेंस सिस्टम ने रूस की पी-800 ओनिक्स मिसाइलों के हमले को नाकाम किया है, जो ब्रह्मोस की तरह सुपरसोनिक हैं. इसके अलावा जर्मन मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक IRIS-T SLM की एक यूनिट की कीमत करीब 20 करोड़ डॉलर है.
ब्रह्मोस और S-400 के सामने कहां टिकता है IRIS-T?
भारत के एयर डिफेंस सिस्टम में कई लेयर हैं. उनमें से एक लेयर S-400 की है. यहां देखते हैं कि जर्मन सिस्टम S-400 के साथ ब्रह्मोस के सामने कहां टिकता है.
फीचर | IRIS-T | S-400 | BrahMos |
कहां बना | जर्मनी | रूस | भारत-रूस |
भूमिका | डिफेंस | लॉन्ग रेंज डिफेंस | प्रिसिजन स्ट्राइक |
रेंज | 40 km | 400 km | 400 km |
क्षमता | सुपरसोनिक | हायपरसोनिक | सुपरसोनिक |
कहां काम आ रहे | जर्मनी, यूक्रेन | रूस, भारत और चीन | भारत |
यहां देखने से यह पता चलता है कि अगर क्षमताओं के लिहाज से देखा जाए, तो IRIS-T भले ही सुपरसोनिक मिसाइल हमले को रोकने की क्षमता रखता है. लेकिन, भारत के लिए यह एक्टिव थ्रेट नहीं है, क्योंकि यह एक डिफेंसिव एसेट है. इससे भारत पर हमला नहीं किया जा सकता है. हालांकि, भारत के मिसाइल हमलों को रोकने की इसकी क्षमता भारत के लिए चुनौती खड़ी कर सकती है. लेकिन, इसकी सीमित रेंज की वजह से भारत के हमले की क्षमता बहुत ज्यादा प्रभावित होने की संभावना नहीं है.
क्या जर्मनी-पाकिस्तान में हो चुका है सौदा?
IDRW की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जर्मन कंपी हाइहल डिफेंस अपने एयर डिफेंस सिस्टम की मार्केटिंग कर रही है. पाकिस्तानी रक्षा अधिकारियों ने भी जर्मन कंपनी के अधिकारियों से मुलाकात की है. ऐसे में इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि जर्मन कंपनी और पाकिस्तान के बीच IRIS-T को लेकर बातचीत हो रही है. हालांकि, कंपनी या जर्मनी की सरकार की तरफ से इस संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है.
भारत कैसे पलट सकता है पासा?
IRIS-T को बनाने वाली जर्मन कंपनी डाइहल डिफेंस का भारत में अच्छा खासा कारोबार है. मंगलवार को ही डाइहल डिफेंस ने रिलायंस डिफेंस के साथ 10 हजार करोड़ रुपये के एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. ऐसे में भारत के पास जर्मनी की बांह मरोड़ने के लिए पर्याप्त ताकत है. अगर भारतीय रक्षा बलों को लगा कि वाकई IRIS-T की पाकिस्तान में मौजूदगी भारतीय रक्षा हितों के खिलाफ है, तो भारत सरकार जर्मनी की सरकार और डाइहल से कई स्तरों पर निपट सकती है. इसमें कंपनी की भारत के साथ डिफेंस डील खत्म करना भी शामिल हो सकता है.
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