होर्मुज स्ट्रेट किसने बनाया, एक साथ कितने जहाज कर सकते हैं क्रॉस, जानें ईरान की धमकी में कितना दम
ईरान की संसद ने होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने का बिल पारित कर दिया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि होर्मुज स्ट्रेट कहां है? इसकी लंबाई और चौड़ाई कितनी है? व्यापार में इसकी क्या अहमियत है? यह नैचुरल है या मैन मेड? और इसके बंद होने से दुनिया पर क्या असर पड़ेगा?

Hormuz strait: मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ रहा है. ईरान और इजरायल के बीच जंग छिड़ी है, और दोनों देश एक-दूसरे पर हाई-टेक मिसाइलों से हमले कर रहे हैं. इस जंग का असर न सिर्फ मिडिल ईस्ट, बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ रहा है. इसी बीच ईरान की संसद ने होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने का बिल पारित कर दिया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि होर्मुज स्ट्रेट कहां है? इसकी लंबाई और चौड़ाई कितनी है? व्यापार में इसकी क्या अहमियत है? यह नैचुरल है या मैन मेड? और इसके बंद होने से दुनिया पर क्या असर पड़ेगा? इन सब सवालों के जवाब तलाशेंगे आज के हमारे इस आर्टिकल में…
होर्मुज स्ट्रेट मैन मेड या नेचुरल
होर्मुज स्ट्रेट एक समुद्री रास्ता है. यह फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है. यह नैचुरल रूप से बना है, न कि मैन मेड. यह रास्ता ईरान के उत्तरी तट और ओमान और UAE के मुसंदम प्रायद्वीप (Musandam Peninsula) के बीच है. इसकी लंबाई करीब 167 किलोमीटर है, लेकिन सबसे संकरे हिस्से में इसकी चौड़ाई केवल 33 किलोमीटर है. यहां जहाजों के लिए 3 किलोमीटर चौड़े दो रास्ते हैं. इसमें एक आने के लिए और एक जाने के लिए है. वहीं पनामा नहर एक मैन मेड नहर है, जो दुनिया के सबसे व्यस्त और महत्वपूर्ण समुद्री रास्तों में से एक है. यह 82 किलोमीटर (51 मील) लंबी है और पनामा की संकरी जमीन को काटकर अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ती है.

होर्मुज स्ट्रेट का ट्रेड में महत्व
होर्मुज स्ट्रेट दुनिया के लिए इसलिए भी बहुत अहम है क्योंकि इस रास्ते से हर दिन लगभग 1.7 करोड़ बैरल तेल गुजरता है. यह दुनिया के कुल तेल खपत का 20-30 फीसदी है. फारस की खाड़ी से 88 फीसदी तेल का निर्यात इसी रास्ते से होता है. सऊदी अरब, ईरान, कुवैत, इराक और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश अपने तेल को यहीं से भेजते हैं, खासकर एशिया के देशों को. इसके अलावा, दुनिया का एक-तिहाई Liquefied Natural Gas (LNG) भी इसी रास्ते से जाता है. इसलिए इसे दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण तेल मार्ग कहा जाता है. ईरान के द्वारा होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने के बाद तेल की सप्लाई रुक जाएगी. इससे तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं, जिससे पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा.
होर्मुज स्ट्रेट को कौन करता है कंट्रोल (Who controls the Strait of Hormuz)
होर्मुज स्ट्रेट का उत्तरी हिस्सा ईरान के कंट्रोल में है, जो उसकी सीमा से सटा है. दक्षिणी हिस्सा ओमान और संयुक्त अरब अमीरात के पास है. ईरान के द्वारा होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने के बाद तेल की सप्लाई रुक जाएगी. इससे तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं, जिससे पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा.
भारत पर क्या असर पड़ेगा?
भारत को अपना ज्यादातर तेल और गैस रूस, कतर, यूएई, ईराक, कुवैत और सऊदी अरब सहति दूसरे खाड़ी देशों से मिलता है. अगर होर्मुज स्ट्रेट बंद होता है तो भारत को तेल और गैस की कमी हो सकती है. इससे तेल और गैस की कीमतें बढ़ेंगी. इसका असर रोजमर्रा की चीजों की कीमतों पर भी पड़ेगा. हालांकि, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि स्थिति अभी नियंत्रण में है और तेल की कीमतों में ज्यादा उछाल की आशंका नहीं है.
क्या ईरान स्ट्रेट को बंद कर सकता है?
ईरान के पास कानूनी रूप से स्ट्रेट को बंद करने का अधिकार नहीं है. इसे बंद करने के लिए उसे सैन्य बल या धमकी का इस्तेमाल करना होगा. लेकिन अगर ईरान ऐसा करता है तो अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों की नौसेनाएं इसका जवाब दे सकती हैं. साथ ही, स्ट्रेट बंद करने से ईरान को भी नुकसान होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि वह अपने तेल का निर्यात नहीं कर पाएगा. ईरान का तेल निर्यात जास्क टर्मिनल से होता है. यह स्ट्रेट के पूर्वी छोर पर है.
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सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने कुछ पाइपलाइनों के जरिए तेल भेजने की कोशिश की है. इससे स्ट्रेट पर निर्भरता कम हो. अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार, इन पाइपलाइनों से करीब 26 लाख बैरल तेल प्रतिदिन भेजा जा सकता है. लेकिन यह अभी भी पूरी जरूरत को पूरा नहीं कर सकता.
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