शहर से गांव तक लोकप्रिय हो रही स्ट्रोबेरी की खेती, जानिए पूरा प्लान, सही समय और बेस्ट तरीका

भारत में स्ट्रोबेरी की खेती तेजी से किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही है. यह खेती कम समय में अच्छा उत्पादन और बेहतर मुनाफा देने वाली मानी जाती है. सितंबर से नवंबर के बीच रोपाई करने पर जनवरी से अप्रैल तक फल बाजार में आ जाते हैं. सही मिट्टी, उन्नत किस्म के पौधे, ड्रिप सिंचाई, प्लास्टिक मल्चिंग और संतुलित उर्वरक प्रयोग से उत्पादन में बढ़ोतरी होती है.

शहर से गांव तक लोकप्रिय हो रही स्ट्रोबेरी की खेती, जानिए पूरा प्लान, सही समय और बेस्ट तरीका
भारत में स्ट्रोबेरी की खेती का सही समय

भारत में स्ट्रोबेरी की खेती मुख्य रूप से सितंबर से नवंबर के बीच शुरू की जाती है. पौधों की रोपाई सर्दियों की शुरुआत में होती है और जनवरी से अप्रैल के बीच फल तैयार होकर बाजार में आते हैं. ठंडा और शुष्क मौसम स्ट्रोबेरी के लिए सबसे उत्तम माना जाता है.
1 / 5
शहर से गांव तक लोकप्रिय हो रही स्ट्रोबेरी की खेती, जानिए पूरा प्लान, सही समय और बेस्ट तरीका
खेत की तैयारी और मिट्टी का चयन

स्ट्रोबेरी के लिए दोमट और रेतीली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. खेत को 2 से 3 बार जुताई करके भुरभुरा बनाया जाता है. इसके बाद उठी हुई क्यारियां बनाई जाती हैं, जिससे जल निकास सही बना रहता है.
2 / 5
शहर से गांव तक लोकप्रिय हो रही स्ट्रोबेरी की खेती, जानिए पूरा प्लान, सही समय और बेस्ट तरीका
पौध रोपाई की सही विधि

स्ट्रोबेरी के पौधे रनर से तैयार किए जाते हैं. पौधों की पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 से 60 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर रखी जाती है. रोपाई हमेशा शाम के समय करना बेहतर होता है.
3 / 5
शहर से गांव तक लोकप्रिय हो रही स्ट्रोबेरी की खेती, जानिए पूरा प्लान, सही समय और बेस्ट तरीका
सिंचाई और मल्चिंग

स्ट्रोबेरी की खेती में ड्रिप सिंचाई सबसे प्रभावी मानी जाती है. क्यारियों पर प्लास्टिक मल्चिंग शीट बिछाने से नमी बनी रहती है, खरपतवार नहीं उगते और फल साफ रहते हैं. समय-समय पर उर्वरक और कीटनाशकों का संतुलित उपयोग जरूरी होता है.
4 / 5
शहर से गांव तक लोकप्रिय हो रही स्ट्रोबेरी की खेती, जानिए पूरा प्लान, सही समय और बेस्ट तरीका
फल तुड़ाई और उत्पादन

रोपाई के लगभग 45 से 60 दिन बाद फल आना शुरू हो जाता है. जब फल पूरी तरह लाल हो जाए, तभी तुड़ाई करनी चाहिए. सही तकनीक से खेती करने पर 1 एकड़ से 10 से 12 टन तक उत्पादन हो सकता है.
5 / 5