रामबुतान और ड्रैगनफ्रूट की खेती ने बना दिया करोड़पति, कभी पैसों की तंगी के चलते छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई

इस सफलता तक पहुंचने के लिए लोहित ने लंबा संघर्ष किया है. बचपन में बड़े सपने देखने वाले लोहित ने पढ़ाई छोड़कर कई बिजनेस में हाथ आजमाए, लेकिन सफलता की चाबी उन्हें खेत में ही मिली.

रामबुतान और ड्रैगनफ्रूट की खेती. Image Credit: pixabay

एक किसान परिवार में जन्मे लोहित शेट्टी की कहानी गरीबी से अमीरी तक की है. पैसों की तंगी के चलते 10वीं क्लास के बाद पढ़ाई छोड़ने से लेकर सालाना एक करोड़ के रेवेन्यू कमाने तक की है. हरे-भरे खेतों और लहराते नारियल के पेड़ों के बीच, लाल और हरे रंग के रामबुतान, गहरे बैंगनी रंग के मैंगोस्टीन उगाने की है.

कर्नाटक के मंगलुरु में कडाबा के शांत ग्रामीण इलाके में रामबुतान, ड्रैगन फ्रूट और मैंगोस्टीन उगाते हैं और इससे जोरदार कमाई करते हैं. हालांकि, इस सफलता तक पहुंचने के लिए लोहित ने लंबा संघर्ष किया है. बचपन में बड़े सपने देखने वाले लोहित ने पढ़ाई छोड़कर कई बिजनेस में हाथ आजमाए, लेकिन सफलता की चाबी उन्हें खेत में ही मिली.

कई कारोबार में आजमाया हाथ

लोहित अपने पिता और चाचाओं को खेत में रबर, नारियल, सुपारी और काजू उगाने के लिए कड़ी मेहनत करते देखा था. बचपन में बड़ी आकांक्षाएं होने के बावजूद, वित्तीय चुनौतियों ने उन्हें कक्षा 10 के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया. इसके बाद वो अपने परिवार की इनकम को बढ़ाने की कोशिश में जुट गए. एक छोटी सी दुकान और एक रेस्तरां सहित कई बिजनेस में हाथ आजमाया. लेकिन करोड़पति बनने का सफर तब शुरू हुआ जब वह एक खेत पर काम करने के लिए पहुचे.

रामबुतान, ड्रैगन फ्रूट और मैंगोस्टीन

लोहित को अपने गृहनगर से लगभग एक घंटे की दूरी धर्मस्थल के एक खेत में नौकरी मिली. यहीं पर उन्हें रामबुतान, ड्रैगन फ्रूट और मैंगोस्टीन जैसे विदेशी फलों की खेती के बारे में जानकारी मिली. यह प्रगतिशील कृषि पद्धतियों और खेती को मुनाफा वाला वेंचर बनाने के लिए नए तरीकों को समझने का उनका पहला कदम बना. लोहित ने द बेटर इंडिया को बताया कि मैंने 10 साल तक एक ऐसे एस्टेट में काम किया, जहां रामबुतान और मैंगोस्टीन की खेती होती थी. मुझे इस बात का अंदाजा हो गया कि ये फल कैसे उगाए जाते हैं, ये कहां से आते हैं और उगाने के लिए आदर्श परिस्थितियां क्या हैं.

रंग लाई मेहनत

2016 में कड़ी मेहनत से हासिल किए गए अपने नए ज्ञान के साथ लोहित घर लौटे और तय किया यहीं पर कुछ किया जाएगा. अपने साथ, वो रामबुतान, मैंगोस्टीन और ड्रैगन फ्रूट के बीज और कटिंग का एक गुच्छा लेकर आए थे. उन्होंने 20 एकड़ जमीन लीज पर लेकर खेती की शुरुआत की. उनके परिवार के पास पहले से ही 21 एकड़ जमीन थी, अब उनके पास काम करने के लिए 41 एकड़ जमीन थी. इसे बाद उन्होंने केरल से पौधे मंगवाए और खेती में जुट गए. मेहनत रंग लाई और अगले आठ सालों में लोहित ने अपने क्षेत्र में विदेशी फलों के पहले उत्पादकों में से एक बन गए.

करोड़ों की कमाई

आज, अपने खेत और नर्सरी की देखभाल करने के अलावा लोहित ऐसे लोगों की भी मदद करते हैं, जो ऐसी फसलें और सब्ज़ियां उगाने में रुचि रखते हैं. उनके इस वेंचर से उन्हें हर साल एक करोड़ रुपये से अधिक की कमाई होती है. रामबुतान, मैंगोस्टीन और ड्रैगन फ्रूट जैसे फल आमतौर पर केरल में उगाए जाते हैं और ऊंचे दामों पर बिकते हैं.

इससे किसानों को भारी मुनाफा होता है. जब लोहित अपने खेत पर काम नहीं कर रहे होते हैं तो वे नर्सरी चलाते हैं, जहां वे रामबुतान, मैंगोस्टीन और ड्यूरियन के पौधे बेचते हैं. वे उन लोगों के लिए भी पौधे संभालते हैं जो इन विदेशी फलों को उगाना चाहते हैं. स्कूल छोड़ने से लेकर करोड़पति बनने तक, लोहित शेट्टी की यात्रा इनोवेशन और कड़ी मेहनत की शक्ति का प्रमाण है.

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