क्या पंजाब में किसान कर पाएंगे हाइब्रिड धान की खेती, इस संस्थान ने प्रतिबंध हटाने के लिए केंद्र से की बड़ी मांग
फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (FSII) ने पंजाब सरकार द्वारा हाइब्रिड धान पर लगाए गए प्रतिबंध को किसानों की आय पर सीधा आघात बताया है. संगठन के मुताबिक, इससे किसानों को प्रति एकड़ 8,000 से 10,000 रुपये तक का नुकसान हो सकता है. FSII ने वैज्ञानिक आंकड़ों के आधार पर दावा किया कि हाइब्रिड धान उपज, पानी की बचत और मिलिंग रिकवरी के मामले में बेहतर है.
Paddy cultivation: फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (FSII) ने मंगलवार को केंद्र सरकार से अपील की है कि वह पंजाब सरकार द्वारा हाइब्रिड धान के बीजों पर लगाए गए प्रतिबंध पर दखल दे. संगठन ने चेतावनी दी कि खरीफ सीजन की बुवाई से पहले यह प्रतिबंध किसानों की आमदनी को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है. FSII के चेयरमैन अजय राणा ने कहा कि 7 अप्रैल को लगाया गया यह बैन किसानों की आमदनी को प्रति एकड़ 8,000 से 10,000 रुपये तक घटा सकता है. उन्होंने कहा कि इन बीजों को रोककर राज्य सरकार छोटे किसानों की करीब एक महीने की कमाई पर सीधा असर डाल रही है.
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब सरकार ने हाइब्रिड धान की खेती पर प्रतिबंध लगाते हुए इसका कारण भूजल स्तर की गिरावट और मिलिंग (चावल निकालने की प्रक्रिया) में कम रिकवरी बताया है. लेकिन फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (FSII) इन दावों को गलत मानता है. संगठन का कहना है कि हाइब्रिड धान से ज्यादा उपज मिलती है, पानी की बचत होती है और पराली जलाने की जरूरत भी कम होती है.
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FCI के मानकों से ऊपर हैं
FSII के चेयरमैन अजय राणा ने बताया कि उन्होंने पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, ICAR और इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टिट्यूट (IRRI) के आंकड़े पेश किए हैं, जिनके मुताबिक हाइब्रिड धान से 70–72.5 फीसदी तक कुल मिलिंग रिकवरी और 60 फीसदी से ज्यादा हेड-राइस (संपूर्ण दाने) मिलते हैं, जो FCI के मानकों से ऊपर हैं.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय से संपर्क किया
FSII ने पंजाब सरकार और केंद्रीय कृषि मंत्रालय दोनों से संपर्क किया है और पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की है. इस मामले में जस्टिस कुलदीप तिवारी ने राज्य सरकार से पूछा है कि इस बैन का कानूनी आधार क्या है. राणा ने कहा कि सीड एक्ट 1966 और सीड कंट्रोल ऑर्डर 1983 के तहत राज्य सरकारें केंद्र से मंजूरी प्राप्त बीजों की बिक्री पर रोक नहीं लगा सकतीं. उनके अनुसार, राज्य सरकारें बीज की गुणवत्ता को रेगुलेट कर सकती हैं, लेकिन बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगा सकतीं.
मालवा क्षेत्र के किसानों में अनिश्चितता
इस बैन से खासकर मालवा क्षेत्र के किसानों में अनिश्चितता फैल गई है, जहां खारेपन वाली मिट्टी में हाइब्रिड धान की किस्में ज्यादा बेहतर साबित होती हैं. इसके अलावा, जिन बीज डीलरों ने पहले ही हाइब्रिड धान के बीज खरीदे हैं, उन्हें भी भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
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