सामान्य से अधिक बारिश ने खरीफ फसलों का बढ़ाया रकबा, दाल और धान की बुवाई क्षेत्र में रिकॉर्ड बढ़ोतरी

Monsoon and Sowing: 36 में से 19 सब-डिविजन (देश का 49%) में इस अवधि के दौरान सामान्य से अधिक वर्षा हुई है, जबकि 10 राज्य कम वर्षा वाले क्षेत्र में हैं. 27 जून 2025 तक कुल बुआई क्षेत्र में पिछले साल की तुलना में 11.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

बुवाई के लिए खेत को तैयार करता किसान. Image Credit: PTI

Monsoon and Sowing: दक्षिण-पश्चिम मानसून ने गति पकड़ी और अब तक 30 जून 2025 तक लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) से 9 फीसदी अधिक सामान्य वर्षा हुई है. सामान्य से अधिक बारिश के चलते पिछले साल की तुलना में खरीफ फसलों का बोया गया क्षेत्र इस वर्ष बढ़ गया है. दालों, धान और तिलहन का अधिक रकबा दर्ज किया गया है. 36 में से 19 सब-डिविजन (देश का 49%) में इस अवधि के दौरान सामान्य से अधिक वर्षा हुई है, जबकि 10 राज्य कम वर्षा वाले क्षेत्र में हैं.

किस इलाके में कम बारिश?

बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के अनुसार, क्षेत्रवार सभी इलाकों में व्यापक आधारित विचलन (अनुमानित रूट से अलग) देखा गया है. पूर्व और उत्तर पूर्वी भारत में कम वर्षा (-17%) दर्ज की गई, इसके बाद दक्षिणी प्रायद्वीप (-3%) जबकि मध्य (25%) और उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों (42%) में सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई. जुलाई 2025 के लिए भारतीय मैसम विभाग (IMD) को LPA से 106 फीसदी अधिक सामान्य वर्षा की उम्मीद है. हालांकि, दक्षिणी प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों और उत्तर पश्चिमी क्षेत्र के कुछ क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा हो सकती है.

खरीफ की बुआई की स्थिति क्या है?

27 जून 2025 तक कुल बुआई क्षेत्र में पिछले साल की तुलना में 11.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. धान और दालों के कुल बुआई क्षेत्र में क्रमशः 47.3 फीसदी और 37.2 फीसदी की वृद्धि हुई है. दालों में उड़द और मूंग की बुआई में वृद्धि दर्ज की गई है. सोयाबीन और मूंगफली के नेतृत्व में तिलहन के लिए भी अधिक रकबा दर्ज किया गया है. इसके विपरीत, कपास और जूट और मेस्टा दोनों के रकबे में इसी अवधि के लिए क्रमशः (-) 8.9% और (-) 2.7% की गिरावट आई है.

फसल2024-25 में बुआई क्षेत्र (हेक्टेयर में)025-26 में बुआई क्षेत्र (हेक्टेयर में)वार्षिक वृद्धि (प्रतिशत)
मोटा अनाज35.01 लाख41.75 लाख19.30%
धान23.78 लाख35.02 लाख47.30%
दालें15.37 लाख21.09 लाख37.20%
तेलहन40.82 लाख48.99 लाख20.00%
कपास59.97 लाख54.66 लाख(–8.9%)
गन्ना54.88 लाख55.16 लाख0.50%
जूट व मेस्ता5.62 लाख5.47 लाख(–2.7%)
कुल फसलें235.45 लाख262.14 लाख11.30%
स्रोत: सीईआईसी, बैंक ऑफ बड़ौदा, डेटा 27 जून 2025 तक

मानसून

1 जून 2025 से 30 जून 2025 की अवधि के लिए, दक्षिण पश्चिम मानसून पिछले वर्ष की तुलना में LPA से 9 फीसदी अधिक है. देश के एक बड़े हिस्से, विशेष रूप से उत्तरी और मध्य क्षेत्रों में अब तक अधिक बारिश हुई है. इनमें गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं.

मध्य और दक्षिणी क्षेत्र के कुछ हिस्सों जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में इस अवधि के दौरान सामान्य बारिश हुई है. देश के पूर्वी और उत्तर पूर्वी क्षेत्र में बिहार, छत्तीसगढ़, असम, नागालैंड और मेघालय जैसे राज्यों में कम बारिश दर्ज की गई है. दक्षिणी क्षेत्र के कुछ राज्य जैसे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना अभी भी कमी वाले क्षेत्र में बने हुए हैं.

संचयी रूप से (1 जून-30 जून 2025), भारत में 180 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से अधिक है और पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान दर्ज की गई 147 मिमी से भी अधिक है. इसका मतलब है कि पिछले वर्ष की तुलना में दक्षिण-पश्चिम मानसून LPAA से 9 फीसदी अधिक है.

धान और तिलहन के रकबे में सुधार

दालों, धान और तिलहन के रकबे में सुधार दर्ज किया गया है, जबकि कपास अनाज के रकबे में 27 जून 2025 तक (वर्ष दर वर्ष आधार पर) गिरावट देखी गई है. जल भंडार का स्तर पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है, अखिल भारतीय जलाशय कुल भंडारण क्षमता का 36% है जबकि इसी अवधि के दौरान पिछले वर्ष 20% था.

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