हरियाणा में बड़े स्तर पर सब्सिडी वाले यूरिया की तस्करी, अब तक 27 खाद डीलरों के लाइसेंस रद्द

सरकार ने किसानों के लिए नीम-कोटेड सब्सिडी वाला यूरिया लॉन्च किया था, लेकिन यमुनानगर जिले में इसकी तस्करी धड़ल्ले से हो रही है. प्लाईवुड फैक्ट्रियां महंगा टेक्निकल-ग्रेड यूरिया न खरीदकर सस्ता कृषि-ग्रेड यूरिया गैरकानूनी तरीके से ले रही हैं. इससे किसानों को खाद की कमी का सामना करना पड़ता है. कृषि विभाग ने कार्रवाई करते हुए 41 एफआईआर दर्ज कर 27 लाइसेंस रद्द और 112 लाइसेंस सस्पेंड किए हैं.

यूरिया खाद की तस्करी. Image Credit: @tv9

subsidized urea: सरकार ने 2015 में किसानों के लिए सब्सिडी वाला नीम-कोटेड यूरिया लॉन्च किया था, ताकि इसका गलत इस्तेमाल रोका जा सके और मिट्टी की सेहत बेहतर बनाई जा सके. लेकिन हरियाणा के यमुनानगर जिले में कृषि विभाग, मुख्यमंत्री फ्लाइंग स्क्वॉड और अन्य सरकारी एजेंसियों की सख्ती के बावजूद भी यूरिया की तस्करी लगातार जारी है. यहां सब्सिडी वाले यूरिया की तस्करी प्लाईवुड फैक्ट्रियों, पशु आहार बनाने वाली इकाइयों और दूसरी इंडस्ट्रीज में धड़ल्ले से हो रही है. खासतौर पर प्लाईवुड फैक्ट्रियों में इसका इस्तेमाल गोंद (एडहेसिव) बनाने में किया जाता है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, असल में इन फैक्ट्रियों में टेक्निकल-ग्रेड यूरिया या अन्य केमिकल्स का उपयोग होना चाहिए, लेकिन टेक्निकल-ग्रेड यूरिया महंगा होने के कारण, सब्सिडी वाले कृषि-ग्रेड यूरिया की तस्करी ज्यादा होती है. इसका सीधा नुकसान किसानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि समय-समय पर उन्हें खाद की कमी का सामना करना पड़ता है. सरकार ने सब्सिडी वाले यूरिया के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए नीम-कोटेड यूरिया बनाया था. नीम की परत यूरिया से नाइट्रोजन के रिलीज को धीमा कर देती है, जिससे यह इंडस्ट्रियल इस्तेमाल, जैसे गोंद बनाने के लिए कम असरदार हो जाता है. साथ ही, नीम को हटाना महंगा और मुश्किल होता है, ताकि इसका गलत इस्तेमाल रोका जा सके.

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यमुनानगर जिले में करीब 350 प्लाईवुड फैक्ट्रियां

यमुनानगर जिले में करीब 350 प्लाईवुड फैक्ट्रियां हैं, जिन्हें प्लाईवुड प्रोडक्ट्स बनाने के लिए गोंद की जरूरत होती है. इनमें से कई फैक्ट्रियां टेक्निकल-ग्रेड यूरिया की जगह गैरकानूनी तरीके से नीम-कोटेड सब्सिडी वाला कृषि-ग्रेड यूरिया इस्तेमाल कर रही हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है कम दाम है.

45 किलो की बोरी सिर्फ 266.50 रुपये में

सब्सिडी वाले यूरिया की 45 किलो की बोरी सिर्फ 266.50 रुपये में मिलती है, जबकि टेक्निकल-ग्रेड यूरिया की 50 किलो की बोरी का रेट करीब 2,200 से 2,400 रुपये तक है. इसी वजह से कई प्लाईवुड फैक्ट्रियां और गोंद बनाने वाली यूनिट्स महंगा टेक्निकल-ग्रेड यूरिया खरीदने की बजाय सस्ता सब्सिडी वाला यूरिया गैरकानूनी तरीके से खरीद रही हैं.

किसानों को होता है नुकसान

इस अवैध धंधे के पीछे प्राइवेट एजेंट्स, कई खाद डीलर और कुछ प्लाईवुड फैक्ट्रियां शामिल हैं. आरोप है कि कुछ खाद डीलर सीधे या एजेंटों के जरिए सब्सिडी वाला यूरिया प्लाईवुड इंडस्ट्री को बेचते हैं, ताकि ज्यादा मुनाफा कमा सकें. इस अवैध धंधे का सबसे बड़ा नुकसान किसानों को होता है. कई बार उन्हें वक्त पर अपनी फसलों के लिए यूरिया नहीं मिल पाता. कभी उन्हें यूरिया की बोरियों के लिए लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ता है, तो कभी सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करना पड़ता है.

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112 लाइसेंस सस्पेंड किए गए

हरियाणा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, यमुनानगर के उपनिदेशक आदित्य प्रताप डाबास ने कहा कि सब्सिडी वाले कृषि-ग्रेड यूरिया की अवैध सप्लाई और इस्तेमाल में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि साल 2020 से मार्च 2025 तक इस मामले में 41 एफआईआर दर्ज की गई हैं. इसी दौरान 27 खाद डीलरों के लाइसेंस रद्द किए गए और 112 लाइसेंस सस्पेंड किए गए. इसके अलावा, 189 खाद डीलरों, प्लाईवुड फैक्ट्रियों और अन्य लोगों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किए गए हैं.