टेस्ला के लिए क्यों आसान नहीं भारतीय बाजार में कारोबार, टाटा-महिंद्रा कैसे दे सकती हैं टक्कर?
Tesla in Indian Market: टेस्ला एक ग्लोबल लग्जरी ब्रॉन्ड है. इसका डिजाइन जोरदार है और टेक्नोलॉजी भी बेजोड़ है. फिर भी भारत में टेस्ला के लिए कारोबारी सफर आसान नहीं होगा. भारत ऐसा बाजार नहीं है, जो ब्रॉन्ड के झांसे में आ जाए. यह ऐसा बाजार है जो प्राइस के बदले वैल्यू की पूजा करता है.
Tesla in Indian Market: भारतीय इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) मार्केट में अमेरिकी कंपनी टेस्ला की एंट्री ने हलचल मचा दी है. एक तरफ ग्लोबल ब्रॉन्ड टेस्ला की एंट्री से मार्केट में शोर है और दूसरी तरफ भारतीय बाजार को लेकर उसके इरादे को लेकर भी चर्चा गर्म है. टेस्ला एक ग्लोबल लग्जरी ब्रॉन्ड है. इसका डिजाइन जोरदार है और टेक्नोलॉजी भी बेजोड़ है. फिर भी भारत में टेस्ला के लिए कारोबारी सफर आसान नहीं होगा, इसके पीछे की क्या वजहें इसे समझने की कोशिश करते हैं.
कीमत और रेंज के मामले में मुकाबला
सैमको सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट, जाहोल प्रजापति बताते हैं- टेस्ला मॉडल Y, जो इसकी प्रमुख एंट्री है, की कीमत लगभग 60 लाख रुपये है. इसके उलट, महिंद्रा, टाटा और BYD 19-30 लाख रुपये की रेंज में इलेक्ट्रिक वाहन उतार रही हैं, जो रेंज और परफॉर्मेंस के मामले में लगभग बराबर (कभी-कभी ज्यादा भी) वैल्यू देते हैं.
महिंद्रा की BE 6 557 किलोमीटर, BYD eMAX7 530 किलोमीटर और टाटा हैरियर EV और XEV 9e (महिंद्रा की eSUV) इसके ठीक पीछे हैं. टेस्ला 500 किलोमीटर की रेंज देती है. प्राइस टू परफॉर्मेंस रश्यो, जिस पर भारतीय खरीदारों का खासा ध्यान है, वो प्रचार से अलग कहानी बयां करता है.
भारत ऐसा बाजार नहीं है, जो ब्रॉन्ड के झांसे में आ जाए. यह ऐसा बाजार है जो प्राइस के बदले वैल्यू की पूजा करता है.
स्ट्रक्चरल समस्या
टेस्ला की सबसे बड़ी बाधाएं सिर्फ प्रतिस्पर्धी नहीं हैं, बल्कि स्ट्रक्चरल हैं. हाई इंपोर्ट शुल्क इसकी लागत को बढ़ाते हैं. अभी तक स्थानीय स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग न होने का मतलब है कि यह कीमतों को स्थानीय स्तर पर तय नहीं कर सकती. चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्च बड़े पैमाने पर टेस्ला के लिए अभी तक तैयार नहीं है. हालांकि इसमें सुधार हो रहा है.
टेस्ला के लिए चुनौतियां
टेस्ला घरेलू ईवी के बाजार को खत्म कर देगी, यह अतिशयोक्तिपूर्ण है. टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा और यहां तक कि BYD का भारतीय ऑपरेशनल केवल प्रोडक्ट नहीं हैं. वे एक इकोसिस्टम हैं. उन्होंने भरोसा, सर्विस नेटवर्क और प्राइस सेंसिटिविटी को अपने डीएनए में समाहित कर लिया है. टेस्ला को यह जमीन हासिल करने में समय लगेगा. भारतीय ईवी कंपनियों के शेयर रखने वाले निवेशकों के लिए यह चिंता का संकेत नहीं है. यह कहानी में बदलाव को समझने का समय है.
टाटा और महिंद्रा
क्योंकि टेस्ला जहां स्क्रीन और स्पीड से चकाचौंध करती है. यह एक ऐसा युद्धक्षेत्र है जहां टाटा और महिंद्रा पहले ही नींव रख चुकी हैं और टेस्ला अब वैश्विक सफलता से आंखें मूंदकर कदम रख रही है. वास्तव में, यह अवसर का एक क्षण है. भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का सेक्टर बंद नहीं हो रहा है, बल्कि इसका विस्तार हो रहा है.
अधिक प्लेयर्स का मतलब
इस बाजार में अधिक प्लेयर्स का मतलब अधिक इनोवेशन. स्मार्ट निवेशकों के लिए, इसका मतलब है कि अच्छी स्थिति वाले घरेलू और क्षेत्रीय ईवी स्टॉक के लिए एक मजबूत केस है. तो टेस्ला का स्वागत करिए, लेकिन शोर को जीत न समझें. क्योंकि प्रचार सुर्खियां बटोर सकता है, लेकिन जीत वैल्यू की ही होती है.
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