Explainer: क्या है गोल्ड लीजिंग रेट? एक महीने में हुई दोगुनी, क्या है इसका अमेरिका कनेक्शन?
Gold leasing एक निवेश विकल्प है. पिछले एक महीने में भारत में गोल्ड लीजिंग रेट दोगुनी हो गई है. गोल्ड लीजिंग निवेश कैसे काम करता है, किस तरह से इसके जरिये गोल्ड मे किए गए इन्वेस्टमेंट पर अतिरिक्त रिटर्न मिलता और इसका अमेरिका से क्या कनेक्शन है? यहां मिलेंगे इन सभी सवालों के जवाब.

Gold Rate फिलहाल ऑल टाइम हाई लेवल पर है. दुनिया में गोल्ड के भंडार सीमित हैं. वहीं, गोल्ड का इस्तेमाल जूलरी, इन्वेस्टमेंट, करेंसी रिजर्व के साथ ही हाई टेक मैन्युफैक्चरिंग में हो रहा है, जिससे इसके दाम लगातार बढ़ रहे हैं. गोल्ड में निवेश के कई विकल्पों के साथ ही गोल्ड लीजिंग भी इन्वेस्टमेंट का एक जरिया है. Gold leasing एक ऐसा इनोवेटिव इन्वेस्टमेंट विकल्प है, जिसके जरिये गोल्ड में किए गए निवेश पर अतिरिक्त रिटर्न मिलता है.
क्या है गोल्ड लीजिंग?
गोल्ड लीजिंग एक इन्वेस्टमेंट विकल्प है. इसमें निवेशक अपने गोल्ड को ब्याज भुगतान के बदले में किसी मैन्युफैक्चरर या जूलर को लीज यानी पट्टे पर देता. गोल्ड को लीज पर लेने वाला इसका उपयोग अपने बिजनेस ऑपरेशन में करता है. आखिर में लीज खत्म होने पर निवेशक को उसका गोल्ड ब्याज सहित लौटा दिया जाता है. ऑफलाइन बाजार में गोल्ड लीजिंग बिजनेस लंबे समय से चल रहा है. डिजिटल गोल्ड लीजिंग एक नया ट्रेंड है.
क्या है ऑफलाइन गोल्ड लीजिंग?
ऑफलाइन गोल्ड लीजिंग का मतलब फिजिकल गोल्ड को जूलर्स या मैन्युफैक्चरर को किराये पर देना है. हालांकि, यह विकल्प कुछ ऐसे अमीर लोगों तक ही सीमित रहता है, जिनके जूलर्स और मैन्युफैक्चरर से करीबी रिश्ते होते हैं और जिनके पार भारी मात्रा में सोना होता है.
क्या है डिजिटल गोल्ड लीजिंग?
डिजिटल गोल्ड लीजिंग एक इनोवेटिव इन्वेस्टमेंट विकल्प है. इसके तहत कोई भी व्यक्ति कितनी भी मात्रा में अपने डिजिटल गोल्ड को लीज पर यानी किराये पर दे सकता है. इसके बदले उसे गोल्ड पर मिलने वाले रिटर्न के साथ ही निश्चित किराया भी मिलता है. डिजिटल गोल्ड और इसकी लीजिंग का पूरा बाजार फिलहाल अनरेगुलेटेड है. हालांकि, कई फिनटेक कंपनियां इसमें काम कर रही हैं.
भारत में कितनी है गोल्ड लीजिंग रेट?
आमतौर पर भारत में गोल्ड लीजिंग रेट 1.5 से 3 फीसदी के बीच रहती आई है. यानी लीज पर दिए गए सोने की वैल्यू के 1.5 से 3 फीसदी जितना किराया मिलता है. लेकिन, पिछले दिनों में यह रेट दोगुनी होकर 3 से 6 फीसदी तक पहुंच गई है. इस तरह अगर किसी निवेशक को गोल्ड में इन्वेस्ट करने पर साधारण रूप से 20 फीसदी रिटर्न मिलता है, तो गोल्ड को लीज पर देने पर उसका रिटर्न 23 से 26 फीसदी तक हो सकता है.
क्यों डबल हुए गोल्ड लीजिंग रेट?
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में गोल्ड की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए ग्लोबल बुलियन बैंक लंदन, स्विट्जरलैंड, दुबई और हांगकांग जैसे केंद्रों से सोना अमेरिका में भेज रहे हैं. असल में अमेरिका में स्पॉट गोल्ड की तुलना में अमेरिकी में गोल्ड फ्यूचर पर हाई प्रीमियम मिल रहा है. इसकी वजह से ये बैंक गोल्ड की सप्लाई अमेरिका की तरफ डायवर्ट कर रहे हैं. इसके चलते दुनियाभर में गोल्ड की आपूर्ति में कमी आ रही है. मांग की तुलना में आपूर्ति कम होने की वजह से भारत में गोल्ड लीजिंग के रेट में इजाफा हो रहा है.
क्या गोल्ड लीजिंग सेफ है?
जूलर्स आमतौर पर लीज पर लिए गए गोल्ड के बदले 100% बैंक गारंटी देते हैं. इसके साथ ही लीज एग्रीमेंट में यह साफ लिखा जाता है कि लीज पर देने वाला निवेशक ही गोल्ड का मालिक बना रहेगा. इस संबंध में कानूनी रूप से बाध्य समझौता किया जाता है. ऐसे में गोल्ड लीजिंग को बहुत हद तक सेफ माना जा सकता है.
क्या गोल्ड लीजिंग रेगुलेटेड है?
बजाज फिनसर्व के मुताबिक भारत में गोल्ड लीजिंग को भारतीय रिजर्व बैंक नियंत्रित करता है. इसमें पारदर्शिता और अनुपालन के लिए कई कानूनी और विनियामक ढांचे बनाए गए हैं. गोल्ड लीज ट्रांसफर के लिए वित्तीय संस्थानों को RBI के निर्देशों का पालन करना होता है. इसके अलावा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) का भी अनुपालन करना होता है.
डिस्क्लेमर: यहां गोल्ड लीजिंग के बारे में सिर्फ जानकारी दी गई है. Money9live किसी भी तरह के निवेश की सलाह नहीं देता है. किसी भी निवेश से पहले रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार से सलाह जरूर लें.
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