होर्मुज स्ट्रेट पर Goldman Sachs की चेतावनी, सप्लाई आधी भी घटी, तो 110 डॉलर पार जाएगा क्रूड ऑयल
अमेरिका इन्वेस्टमेंट बैंक और रिसर्च फर्म Goldman Sachs का दावा है कि अगर हॉर्मुज स्ट्रेट से तेल की सप्लाई आधी भी रुक जाती है, तो तुरंत इसका असर ग्लोबल ऑयल मार्केट पर देखने को मिलेगा. इससे ब्रेंट क्रूउ की कीमत 110 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जा सकती है.

Goldman Sachs Estimates Brent Crude spike to $110: ईरान की तरफ से होर्मुज स्ट्रेट को बंद किए जाने की आशंका के बीच Goldman Sachs ने कहा है कि होर्मुज का बंद होना ग्लोबल ऑयल मार्केट के लिए बहुत बड़ी विपदा साबित हो सकता है. फर्म की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रूट से अगर कच्चे तेल का प्रवाह 50 फीसदी तक भी कम हो जाता है, तो ब्रेंट क्रूड की कीमतें 110 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं. इसके साथ ही कहा गया है कि युद्ध की वजह से ईरान के तेल उत्पादन में कमी और हॉर्मुज के बंद होने की आशंका से तेल की कीमतों में भारी स्थिरता बनी रहेगी.
Goldman Sachs ने सोमवार को इस संबंध में एक बयान भी जारी किया, जिसमें कहा कि होर्मुज से तेल का प्रवाह एक महीने के लिए 50 प्रतिशत कम हो जाता है और अगले 11 महीनों में 10 प्रतिशत कम रहता है, तो ब्रेंट क्रूड की कीमतें अस्थायी रूप से 110 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती हैं. इसके साथ ही कहा कि इस तरह के हालात में 2025 की चौथी तिमाही में कच्चे तेल की कीमतें औसतन 95 डॉलर प्रति बैरल तक बनी रह सकती है. इसके अलावा यह भी अनुमान लगाया गया है कि अगर ईरान का उत्पादन आगे भी कम रहता है, तो 2026 में क्रूड की कीमत 90 डॉलर तक पहुंच सकती है, जिसके बाद 70 से 80 डॉलर प्रति बैरल पर स्थिर हो सकती है.
अलग-अलग फर्म की अलग-अलग राय
Goldman Sachs से पहले इस संबंध में कई और अनुमान भी सामने आ चुके हैं. मसलन, सिटीग्रुप की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगर होर्मुज को पूरी तरह बंद कर दिया गया, तो ग्लोबल क्रूड ऑयल की कीत 90 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है. वहीं, Kotak Institutional Equities का मानना है कि OPEC+के पास जरूरत से कहीं ज्यादा क्षमता है. ऐसे में अगर होर्मुज को बंद भी कर दिया गया, तो भी कीमत मौजूदा रेट के आसपास ही बनी रहेगी. क्योंकि, ओपेक+ के साथ ही अमेरिकी कंपनियों की तरफ से भी उत्पादन बढ़ाया जा सकता है.
भारत की इकोनॉमी पर असर नहीं
BS की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि होर्मुज के बंद होने या वहां से ऑयल की सप्लाई कम होने से भारत की इकोनॉमी पर खास असर नहीं होने वाला है. रिपोर्ट में बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस के हवाले से कहा गया है कि भारत के लिए कच्चे तेल की कीमतों में 10 फीसदी वृद्धि हो सकती है, जिसका भारत की अर्थव्यवस्था पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ सकता है. हालांकि, अगर लॉन्ग टर्म में क्रूड की कीमत 100 डॉलर ज्यादा होती है, तो इसका व्यापकर असर देखने को मिल सकता है.
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