शराब में इंपोर्टेंड VS मेड इन इंडिया की जंग! कमाई की होड़ में कस्टमर को फायदा या नुकसान, एक्सपर्ट ने बता दिया पूरा हिसाब

भारत और ब्रिटेन के बीच हुए एक नए समझौते और राज्य सरकारों की नीतियों ने शराब बाजार में नई हलचल पैदा कर दी है. कहीं कीमतें घट रही हैं, तो कहीं तेजी से बढ़ रही हैं. लेकिन इन दोनों फैसलों का असली असर किस पर पड़ेगा? जानिए इस रिपोर्ट में.

देश में शराब की कीमतों को लेकर इन दिनों दो तरह के बड़े बदलाव सामने आए हैं. एक तरफ भारत और ब्रिटेन के बीच हुई फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) के तहत विदेशी शराब पर लगने वाला भारी भरकम टैक्स घटाया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ, महाराष्ट्र, तेलंगाना, हरियाणा जैसे कई राज्य शराब पर एक्साइज ड्यूटी लगातार बढ़ा रहे हैं. अगर बाकी राज्य भी यही रास्ता अपनाते हैं, तो इसका सीधा असर देसी और भारतीय ब्रांड की शराब बनाने वाली कंपनियों पर पड़ेगा. इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि कैसे यह दोतरफा मार देसी शराब ब्रांड्स की कमर तोड़ सकती है.

FTA से सस्ती होगी विदेशी शराब

भारत-UK फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के तहत स्कॉच व्हिस्की और जिन जैसी प्रीमियम विदेशी शराब पर लगने वाला इंपोर्ट ड्यूटी अब 150 फीसदी से घटाकर 75 फीसदी किया जा रहा है. अगले 10 सालों में यह और घटाकर 40 फीसदी कर दी जाएगी. इससे ब्रिटेन से आने वाली शराब की कीमतों में भारी गिरावट आएगी. पहले जो शराब 5000 रुपये में मिलती थी, वो अब 3700 में मिलने की उम्मीद है.

कुछ इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इससे विदेशी ब्रांड्स की पहुंच भारतीय बाजार तक और आसान हो जाएगी. प्रीमियम सेगमेंट में विदेशी ब्रांड्स का दबदबा बढ़ सकता है.

हालांकि ब्रुअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल विनोद गिरी का कहना है कि इस टैक्स कटौती से मिलने वाला फायदा पूरी तरह से कंज्यूमर तक नहीं पहुंचेगा. उनके मुताबिक, “FTA के बाद जो कीमत में कमी आएगी, वो पूरी तरह से बाजार में नहीं दिखेगी. कंपनियां उसका एक हिस्सा ही ग्राहकों को पास करेंगी.”

उन्होंने बताया कि शराब के बाजार में अलग-अलग दामों की कैटेगरी पहले से बनी हुई हैं:

उनका कहना है, “अगर किसी 5000 रुपये की इम्पोर्टेड शराब की कीमत FTA के वजह से घटकर 3700 भी हो जाए, तब भी वह 2000 रुपये वाली कैटेगरी से काफी ऊपर रहेगी. यानी ग्राहक अपनी कैटेगरी नहीं बदलेंगे क्योंकि हर सेगमेंट के बीच का अंतर इतना बड़ा है कि 300-400 रुपये की छूट बाजार की संरचना में कोई बड़ा बदलाव नहीं लाएगी.”

इसलिए उनका मानना है कि FTA से कीमत घटेगी जरूर, लेकिन इससे बाजार में कोई क्रांतिकारी बदलाव नहीं होगा.”

राज्य सरकारों ने एक्साइज बढ़ा कर कमाई बढ़ाने का ढूंढा फार्मूला

वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र, तेलंगाना और हरियाणा जैसे राज्यों ने एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी है.

महाराष्ट्र: यहां इंडियन मेड फॉरेन लिकर (IMFL) पर एक्साइज ड्यूटी 300% से बढ़ाकर 450% कर दी गई है. यानी कीमतों में 60-85% तक उछाल आ सकता है. भारत में बनी शराब पर भी प्रति लीटर ड्यूटी 180 से बढ़ाकर 205 रुपये कर दी गई है. सरकार को इससे 14,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई की उम्मीद है.

तेलंगाना: यहां शराब की हर बोतल पर 10 से 40 रुपये तक का इजाफा किया गया है. इससे राज्य को हर महीने 150-170 करोड़ रुपये की कमाई होने की संभावना है.

हरियाणा: यहां बीयर पर एक्साइज ड्यूटी 55% और इंपोर्टेड बीयर पर 45% बढ़ाई गई है. IMFL और इंपोर्टेड शराब दोनों पर 15-20% तक की ड्यूटी बढ़ाई गई है.

अगर बाकी राज्य भी इसी राह पर चलते हैं, तो देश भर में शराब की कीमतों में भारी उछाल आ सकता है.

लोकल ब्रांड्स के लिए दोहरी मुसीबत या फायदा?

IML और IMFL ब्रांड्स पहले से ही महंगाई और इनपुट कॉस्ट बढ़ने की चुनौती झेल रहे हैं. अब टैक्स बढ़ने से इनकी दिक्कत और बढ़ेगी.

अगर FTA के तहत विदेशी शराब और सस्ती होती गई, और राज्यों ने टैक्स कम नहीं किया, तो भारतीय कंपनियों को प्रीमियम सेगमेंट में कड़ी टक्कर मिलेगी.

  1. बिक्री घटने का खतरा: जब कीमतें अचानक बहुत ज्यादा बढ़ती हैं, तो ग्राहक सस्ती शराब की तरफ शिफ्ट कर जाते हैं. इससे कंपनियों की बिक्री पर सीधा असर पड़ता है.
  2. प्रॉफिट मार्जिन पर असर: अगर कंपनियां पूरी टैक्स की मार ग्राहकों पर डालती हैं तो बिक्री घटती है. अगर वो खुद वहन करती हैं, तो मुनाफा घटता है. दोनों ही हालात उनके लिए नुकसानदेह हैं.
  3. नकली शराब का खतरा: एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर लीगल शराब बहुत महंगी हो गई, तो नकली और अवैध शराब का बाजार फिर से पनप सकता है. इससे न सिर्फ कंपनियों को नुकसान होगा, बल्कि उपभोक्ताओं की सेहत पर भी खतरा बढ़ेगा.

हालांकि एक्सपर्ट विनोद गिरी का मानना है कि FTA से कुछ लोकल प्लेयर्स को फायदा भी होगा. उन्होंने कहा, “कई भारतीय कंपनियां इम्पोर्टेड व्हिस्की को अपनी प्रोडक्ट ब्लेंडिंग में इस्तेमाल करती हैं. अगर वह सस्ती हो जाती है, तो इन कंपनियों की लागत घटेगी और मुनाफा बढ़ेगा. साथ ही उनको ज्यादा स्टॉक लाने और प्रीमियम ब्रांड मार्केट में लाने के नए मौके भी मिल सकते हैं.”

उनका कहना है कि अब कंपनियों को डरने की बजाय इस मौके को मुनाफे के लिए इस्तेमाल करना चाहिए.

बाजार में हो सकता है बड़ा बदलाव

2024 में भारत की शराब इंडस्ट्री का मूल्य लगभग 64.19 बिलियन अमेरिकी डॉलर आंका गया है. भारत दुनिया में विस्की का सबसे बड़ा उपभोक्ता बना हुआ है, जो वैश्विक खपत का 48% से ज्यादा अकेले उपयोग करता है.

IMFL ब्रांड्स आज भारत के शराब बाजार का 70% से ज्यादा हिस्सा रखते हैं. लेकिन अगर विदेशी शराब सस्ती और इंडिया में बनी शराब महंगी होती गई, तो बाजार का संतुलन बदल सकता है.

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राजस्व की उम्मीद में जोखिम

राज्य सरकारें मानती हैं कि टैक्स बढ़ाकर उन्हें ज्यादा राजस्व मिलेगा. लेकिन कर्नाटक और कुछ अन्य राज्यों का उदाहरण बताता है कि ज्यादा टैक्स से बिक्री घटती है और अंत में कमाई भी कम हो जाती है. कर्नाटक में बीयर पर टैक्स बढ़ने के बाद बिक्री लगभग स्थिर हो गई है.

विनोद गिरी ने इस बात को सपोर्ट करते हुए कहा कि, “राज्यों में बार-बार टैक्स बढ़ाना एक बड़ी समस्या है. इससे कई बार रेवेन्यू गिरा है, ये हम पहले देख चुके हैं

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