सरकार ने खाद्य तेलों पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 10 फीसदी घटाई, कारोबारियों से कहा-उपभोक्ताओं को दें फायदा

केंद्र सरकार ने बुधवार को कच्चे खाद्य तेलों पर BCD यानी बेसिक कस्टम ड्यूटी को 20% से घटाकर 10% कर दिया है. इसके साथ ही खाद्य तेल उद्योग से जुड़े कारोबारियों के संघों से कहा है कि वे इस बदलाव का लाभ आम लोगों तक पहुंचाने में सरकार की मदद करें.

खाद्य तेल Image Credit: Getty image

उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने बुधवार को देश में कच्चे खाद्य तेलों के आयात पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी करने का ऐलान किया. इसके साथ ही मंत्रालय ने खाद्य तेल उद्योग संघों को कहा है कि वे फूड इन्फ्लेशन को काबू में रखने में सरकार की मदद करें . इसके लिए सरकार की तरफ से जो बेसिक कस्टम ड्यूटी में कटौती की गई, उसका लाभ आम लोगों तक पहुंचाएं. मंत्रालय का स्पष्ट निर्देश है कि कच्चे खाद्य तेल पर जो कस्टम ड्यूटी में कमी आई है, उसका लाभ उपभोक्ताओं तक तुंरत पहुंचते हुए दिखना चाहिए.

क्यों लिया यह फैसला?

मंत्रालय ने एक वक्तव्य जारी कर बताया कि इस बदलाव की वजह से सूरजमुखी, सोयाबीन और पाम ऑयल जैसे तेलों के आयात पर असर होगा. इस फैसले के चलते कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों के बीच आयात शुल्क में अंतर 8.75% से 19.25% हो गया है. मंत्रालय का कहना है कि इस बदलाव का मकसद सितंबर 2024 में की गई बढ़ोतरी और अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों में हुई बढ़ोतरी से आम उपभोक्ता को बचाना है.

उद्योगों को क्या निर्देश?

पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव की अध्यक्षता में प्रमुख खाद्य तेल उद्योग संघों और उद्योग के अंशधारकों के साथ एक बैठक हुई, जहां उन्हें कस्टम ड्यूटी में दी गई छूट का लाभ उपभोक्ताओं को देने का निर्देश दिया गया है. इसके साथ ही विभाग ने एक बयान में कहा कि उद्योग के हितधारकों से अपेक्षा की जाती है कि वे तत्काल प्रभाव से कम लागत के हिसाब से अपनी डिस्ट्रीब्यूटर और रिटेल प्राइस को बदलें.

मंत्रालय को देनी होगी जानकारी

खाद्य तेल संघों से कहा गया है कि वे तत्काल मूल्य कटौती को लागू करें और साप्ताहिक आधार पर नई MRP की जानकारी दें. इसके लिए कीमत में की गई कटौती की रिपोर्टिंग करने के लिए एक प्रारूप साझा किया गया, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि आपूर्ति श्रृंखला के जरिये इस कटौती का लाभों रिटेल स्तर पर कीमतों में कमी के तौर पर उपभोक्ताओं तक पहुंचता हुआ दिखना चाहिए.

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