विदेश जाने वाली फ्लाइट्स में कितना होता है फ्यूल? कैसे पल भर में आग का गोला बन गया Air India का विमान
अंतरराष्ट्रीय विमानों में ईंधन कितनी मात्रा में भरा जाता है, यह जानकारी सबसे अधिक महत्व रखती है. अहमदाबाद में क्रैश हुए AI‑171 में भी एक आंकड़ा सामने आया है. इसकी क्षमता और दुर्घटना के संबंध में उठ रहे सवालों ने सुरक्षा के तमाम पहलुओं को केंद्र में ला दिया है.
अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI‑171 गुरुवार को टेकऑफ के पांच मिनट बाद ही क्रैश हो गई. इस रिपोर्ट के मुताबिक, यह विमान करीब 1 लाख लीटर फ्यूल (ATF) कैरी कर रहा था. इस हादसे में केवल यात्रियों की जान ही नहीं गई, बल्कि आसमान में उठे धुएं और आग के गुबार ने एक सवाल भी खड़ा किया कि इतने बड़े विमानों में आखिर कितना फ्यूल होता है? और उस फ्यूल की ताकत या खतरा कितना होता है?
इंटरनेशनल फ्लाइट्स में कितना फ्यूल भरा जाता है?
इंटरनेशनल फ्लाइट्स के लिए फ्यूल कैलकुलेशन एक बेहद जटिल प्रक्रिया होती है. विमान की दूरी, मौसम, यात्री और कार्गो का वजन, टेकऑफ और लैंडिंग का स्थान, इन सभी को ध्यान में रखते हुए प्लानिंग की जाती है. लंबे रूट्स पर उड़ने वाले बड़े विमानों में मुख्य रूप से Jet A या Jet A-1 फ्यूल भरा जाता है, जो कि केरोसीन आधारित होता है और एनर्जी लेवल में बेहद हाई होता है.
हर एयरक्राफ्ट की फ्यूल कैपेसिटी अलग होती है. उदाहरण के तौर पर, Airbus A380 में करीब 85,472 गैलन (3,23,546 लीटर) तक फ्यूल भरा जा सकता है, जबकि Boeing 777-200LR की क्षमता लगभग 1,81,283 लीटर होती है.
Boeing 787-8 Dreamliner की क्षमता कितनी?
अहमदाबाद हादसे में शामिल विमान Boeing 787-8 Dreamliner था. लॉट की रिपोर्ट के मुताबिक, यह विमान अधिकतम 1,26,917 लीटर फ्यूल स्टोर कर सकता है. इसकी फ्यूल वजन क्षमता 101,456 किलो तक होती है. यह विमान एक बार फ्यूल भरने के बाद 13,620 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है, यानी लंदन जैसी दूरियों के लिए एक आदर्श इंटरनेशनल जेट है.
जानकारी के मुताबिक, हादसे के समय विमान में लगभग 1 लाख लीटर फ्यूल मौजूद था. इतनी भारी मात्रा में फ्यूल किसी भी दुर्घटना में आग और तबाही के स्तर को और गंभीर बना सकता है.
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फ्यूल ज्यादा, खतरा ज्यादा?
फ्यूल का वजन भी विमान के वजन में शामिल होता है. जैसे-जैसे फ्यूल की मात्रा बढ़ती है, वैसे ही टेकऑफ के समय विमान पर लोड बढ़ता है. यही वजह है कि एयरलाइंस केवल आवश्यक मात्रा में ही फ्यूल भरती हैं ताकि संतुलन बना रहे.