Plane Crash: जब आसमान में टकरा गए 2 प्लेन, धमाके से हिल गईं घरों की खिड़कियां, लाशों की नहीं हो पाई थी शिनाख्त
Charkhi Dadri Mid Air Collision: चरखी-दादरी के सरसों के खेतों के ऊपर दो प्लेन आग के गोले में बदल गए और सैकड़ों लोगों की लाशें बिखर गईं. कुल 349 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 93 लोगों की कभी पहचान नहीं हो पाई.

Charkhi Dadri Mid Air Collision: 12 नवंबर 1996 की सर्द शाम थी. दिल्ली से करीब 120 किलोमीटर दूर चरखी-दादरी के ऊपर से सूरज अपने लाव-लश्कर समेट चुका था. घरों की लाइटें जलने लगी थीं. अब तक शाम एक रोजाना थी तरह सामान्य थी, लेकिन अगले कुछ समय में ये शाम, उस इलाके लिए सबसे भयावह शाम में बदलने वाली थी. ये वो समय था, जब उदारीकरण के बाद भारतीय स्पेस में तेजी से एयर ट्रैफिक बढ़ रहा था. एयरपोर्ट्स पर दबाव बढ़ रहा था, लेकिन पुराने कंट्रोलिंग सिस्टम से ही काम चल रहा था. लेकिन इस शाम से पहले तक सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा था. लेकिन उस शाम चरखी-दादरी के सरसों के खेतों के ऊपर दो प्लेन आग के गोले में बदल गए और सैकड़ों लोगों की लाशें बिखर गईं. धमाका इतना तेज हुआ कि लोगों को लगा कि भूकंप आ गया. प्लेन का मलबा करीब 7 किलोमीटर के क्षेत्र में बिखर गया.
कजाकिस्तान एयरलाइंस का प्लेन
12 नवंबर की दोपहर 3 बजकर 55 मिनट पर कजाकिस्तान एयरलाइंस की एक फ्लाइट ने शिमकेंट से दिल्ली के लिए उड़ान भरी. यह एक चार्टर प्लेन था, जिसमें 10 क्रू मेंबर और 27 यात्री सवार थे. प्लेन का नाम इल्यूशिन-76 था, जो एक मॉडिफायड रशियन मिलिटरी विमान था. फ्लाइट की कमान 44 वर्षीय कैप्टन एलेग्जेंडर शेरेपनो के हाथों में थी और उनके को पायलट एरमेक झेंगिरो थे. इसके अलावा नैविगेटर, फ्लाइट इंजीनीयर और रेडियो ऑपरेटर भी फ्लाइट में सवार थे. कजाकिस्तान एयरलाइंस की फ्लाइट अपने ठीक समय यानी करीब तीन घंटे में नई दिल्ली एयरपोर्ट यानी इंदिरा गांधी इंटरनेशनल हवाई अड्डे से करीब 80 मील दूरी पर पहुंच गया. अब उसे कुछ ही मिनट में रनवे को हीट करना था.
IGI पर समस्या
दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल उन दिनों एक बड़ी समस्या से जूझ रहा था. दरअसल उन दिनों इंदिरा गांधी एयरपोर्ट के आसपास के एयरस्पेस को इंडियन एयरफोर्स कंट्रोल करती थी. यानी सिविल या पब्लिक विमानों को उस स्पेस के इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं थी. पब्लिक फ्लाइट्स के लिए लैंडिंग और टेकऑफ के लिए एक नैरो कॉरिडोर था. लैंडिंग और टेकऑफ दोनों के लिए ही उसी का इस्तेमाल होता था.
अरेबियन एयरलाइंस की फ्लाइट
शाम 6:30 बजे कजाकिस्तान एयरलाइंस का प्लेन करीब 80 मील की दूरी पर आ गया था. उसकी लैंडिंग से पहले एक फ्लाइट उड़ान भरने के लिए शेड्यूल थी. यह सउदी अरेबियन एयरलाइंस, फ़्लाइट 763 थी. यह बोईंग 747 विमान था. विमान में कुल 313 पैसेंजर बैठे, जिनमें 213 भारतीय नागरिक थे. IGI से सउदी अरेबियन एयरलाइंस की फ्लाइट का डिपार्चर का टाइम 6 बजकर 33 मिनट था.
दो प्लेन की बीच की दूरी
उस दिन इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ATC इंचार्ज की भूमिका में वीके दत्ता थे. दत्ता 16 साल से एयर ट्रैफिक कंट्रोल की जिम्मेदारी निभा रहे थे. दत्ता का काम इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) के स्टैंडर्ड का पालन करना था. यानी कोई भी फ्लाइट इस नियम का उल्लंघन न करे. क्योंकि तब ज्यादातर विमानों में ट्रैफिक कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (TCAS) नहीं लगा होता था. इसलिए दत्ता की जिम्मेदारी काफी बड़ी थी. उनका काम था यह सुनिश्चित करना था कि दो आसमान में दो फ्लाइट्स के बीच में दूरी कम से कम 1000 फीट की हो.
उन दिनों IGI की ATC में पुराने जमाने का रडार सिस्टम इंस्टॉल था, जिसमें प्लेन की दिशा और दूरी का पता तो चल जाता था, लेकिन स्पीड और हाइट की जानकारी के लिए पायलट पर ही निर्भर रहना पड़ता था. यानी पायलट जो बताता था, उसे ही मान लिया जाता था. वापस एयरपोर्ट पर लौटते हैं.
आसमान में फ्लाइट्स
सउदी अरेबियन एयरलाइंस के प्लेन के टैकऑफ से पहले हुए रूटीन इंस्पेक्शन टेल नैविगेशन लाइट में गड़बड़ी का पता चला. फिर उसे बदल दिया गया. प्लेन ने ठीक अपने तय समय 6 बजकर 33 मिनट पर नोज उठाकर टेकऑफ किया और आसमान में हवा से बातें करने लगी. कुछ ही मिनटों के भीतर प्लेन ने 10 हजार फीट की ऊंचाई को छू लिया. इसके बाद पायलट ने ATC से और ऊंचाई पर जाने की परमिशन मांगी. ATC ने क्लियरेंस दी और विमान 14 हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंच गया. पायलट ने फिर और ऊंचाई पर जाने की अनुमति मांगी, लेकिन इस बार दत्ता ने क्लियरेंस नहीं दिया. यानी फ्लाइट को 14 हजार फीट को मेंटेन करने का निर्देश था.
दूसरी तरफ, कजाकिस्तान एयरलाइंस का प्लेन KZ 1907 के पाइलट एलेग्जेंडर शेरेपनोव लैंडिंग की तैयारी कर रहे थे. घड़ी में 6 बजकर 39 हुआ था. शेरेपनोव ने ATC से संपर्क साधा. उन्हें दत्ता ने निर्देश दिया कि वो 15000 फीट तक डिसेंट कर सकते हैं. यानी 15000 फीट की ऊंचाई तक नीचे आ सकते हैं. क्योंकि 14000 फीट की ऊंचाई पर सउदी अरेबियन एयरलाइंस की प्लेन 14000 फीट पर थी. कजाक प्लेन तब दिल्ली से 46 मील की दूरी पर था.
आखिरी संदेश
15000 फीट की ऊंचाई पर ATC की तरफ से एक संदेश आया, जिसमें कुछ बताया गया और कुछ पूछा गया. ATC की तरफ से कहा गया- सऊदी बोईंग 747 आपसे 10 मील की दूरी पर है और अगले 5 मील में ये आपको क्रॉस करेगा. अगर प्लेन दिखाई दे रहा है, तो बताएं. कजाकिस्तान प्लेन के पायलट ने दूरी की पुष्टि करने को कहा. दत्ता ने जवाब दिया- ट्रैफिक अब 8 मील की दूरी पर है और उसकी ऊंचाई 14 हजार फ़ीट है. कजाक फ्लेन के पायलट ने कहा- हम दूसरी फ्लाइट को देखने की कोशिश कर रहे हैं. इसके बाद दत्ता को कोई और मैसेज नहीं मिला.
धमाका और फिर लाशें और मलबा
फिर चरखी दादरी के आसमान में जोरदार धमाका हुआ. धमाका इतना तेजा था कि लोगों के घरों की खिड़कियां हिलने लगीं और आग दो गोले जमीन पर गिरकर बिखर गए. इंडिया टुडे ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि 600 मारुति कारों के बराबर मलबा जमीन पर बिखरा पड़ा था. कुल 349 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 93 लोगों की कभी पहचान नहीं हो पाई.
कहां हुई गड़बड़ी?
गड़बड़ी किसने की और कहां हुई इसके बारे में तहकीकात के बाद आई रिपोर्ट में पता चला.
जैसा की कजाकिस्तान एयरलाइंस की प्लेन को लैंड करना था, इसलिए वो नीचे की ओर आ रही थी. जबकि सऊदी की प्लेन ऊंचाई पर जा रही थी. कजाकिस्तान के प्लेन में रेडियो ऑपरेटर इगोर रेप थे. उन्होंने की ATC से 15000 फीट से नीचे आने के लिए अनुमति मांगी थी. नैविगेटर जाहनबेक अरिपबाएव ने फीट को मेट्रिक में कन्वर्ट कर पाइलट को बताया था कि 4570 मीटर तक नीचे आ सकते सकते थे. सारी गड़बड़ी यहीं हुई थी.
दरअसल उड़ान के दौरान बाकी दुनिया फीट और नौटिकल माइल्स में बातचीत करती थी, लेकिन सोवियत एविएशन मेट्रिक सिस्टम को फोलो करता था. साथ ही सोवियत पायलटों की अग्रेंजी में भी हाथ थोड़ा तंग हुआ करता था. इसलिए एक ट्रांसलेटर भी रहता था.
6.38 मिनट पर रेप ने पायलट से दुबारा कंन्फर्म किया. ठीक इसी समय सऊदी की प्लाइट 14 हजार फीट तक जाने की अनुमति मांग रही थी. इसके 9 सेकेंड के बाद कजाकिस्तान प्लेन के रेडियो ऑपरेटर रेप ने दत्ता को बताया कि वो 15 हजार फीट की ऊंचाई पर आ चुके हैं. लेकिन रेप यहीं चूक कर गए.
सबसे बड़ा मिड एयर कोलिजन
फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर से मिवी जानकारी के अनुसार कजाक फ्लाइट 16438 फीट तक ही पहुंची थी. दत्ता ने उन्हें बताया था कि 14000 पर एक दूसरी फ्लाइट है, जो 5 मील की दूरी पर है. गड़बड़ी यहीं हुई कि दत्ता ने कजाकिस्तान एयरलाइंस की प्लेन से 14 हजार फीट पर दूसरे प्लेन के होने की बात की थी. लेकिन पायलट ने शायद समझ लिया कि उसे 14000 फीट तक नीचे आना है. लेकिन जब तक वो दूसरी फ्लाइट को देख पाते देर हो चुकी थी. ATC रडार की स्क्रीन पर घूमती ब्लिंक करती हुई लाइट्स एक दूसरे में समाहित होकर गायब हो चुके थे. ये आज तक दुनिया में हुआ सबसे बड़ा मिड एयर कोलिजन था.
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