LVM3-M5 Launch: ‘बाहुबली’ ने रचा इतिहास, भारत का अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट GSAT-7R पहुंचा अंतरिक्ष में

भारत के सबसे भारी रॉकेट LVM3-M5 ‘बाहुबली’ ने 4,410 किलोग्राम वजनी GSAT-7R सैटेलाइट को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किया. यह पूरी तरह स्वदेशी मिशन भारतीय नौसेना की कम्युनिकेशन क्षमता को नई ऊंचाई देगा और भारत को भारी सैटेलाइट लॉन्च में आत्मनिर्भर बनाएगा.

बाहुबली रॉकेट लॉन्च Image Credit: x.com/@isro

LMV3-M5 Bahubali Rocket Launch: इंडियन सैटेलाइट रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने रविवार, 2 नवंबर को एक और ऐतिहासिक मिशन को अंजाम दिया. श्रीहरिकोटा से भारत के सबसे भारी रॉकेट LVM3-M5, जिसे प्यार से ‘बाहुबली’ कहा जाता है, ने आसमान की ओर शानदार उड़ान भरी. इस रॉकेट ने 4,410 किलोग्राम वजनी GSAT-7R सैटेलाइट को सफलतापूर्वक Geosynchronous Transfer Orbit (GTO) में स्थापित किया जो अब तक का भारत का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट है.

LVM3-M5 मिशन की खासियत

ISRO का यह मिशन तकनीकी क्षमता और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम है. LVM3 (Launch Vehicle Mark-3), जिसे GSLV Mk-III भी कहा जाता है, भारत का सबसे शक्तिशाली और भरोसेमंद लॉन्च व्हीकल है. यह रॉकेट 4,000 किलोग्राम तक के सैटेलाइट को GTO और 8,000 किलोग्राम तक के पेलोड को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में पहुंचाने में सक्षम है. इस तीन-स्तरीय रॉकेट में-

  • दो सॉलिड मोटर बूस्टर (S200) हैं जो लॉन्च के समय जोरदार थ्रस्ट प्रदान करते हैं.
  • L110 लिक्विड स्टेज, जिसे दो ‘विकास इंजन’ संचालित करते हैं.
  • और C25 क्रायोजेनिक स्टेज, जो भारत में विकसित की गई सबसे उन्नत तकनीक है.

यह पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित रॉकेट है, जो भारत को भारी सैटेलाइट लॉन्च में आत्मनिर्भर बनाता है.

‘बाहुबली’ का अब तक का सफर

LVM3-M5 इस सीरीज का पांचवां ऑपरेशनल मिशन है और अब तक इस लॉन्च व्हीकल का रिकॉर्ड 100 फीसदी सफल रहा है. इसकी पहली उड़ान 2014 में हुई थी, जब ISRO ने Crew Module Atmospheric Re-entry Experiment (CARE) लॉन्च किया था. गौरतलब है कि भविष्य के बड़े गगनयान मिशन में भी इसी रॉकेट का ह्यूमन रेटेड सीरीज HRLV (Human Rated LVM3) इस्तेमाल किया जाएगा, जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाएगा.

GSAT-7R: भारतीय नौसेना का नया ‘आंख और कान’

इस मिशन का मुख्य पेलोड GSAT-7R सैटेलाइट है जो पूरी तरह भारत में डिजाइन और विकसित किया गया सबसे एडवांस कम्युनिकेशन सैटेलाइट है. भारतीय नौसेना की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया यह सैटेलाइट समुद्री इलाकों में हाई-स्पीड और सिक्योर कम्युनिकेशन सुनिश्चित करेगा.

यह भारतीय नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों, विमानों और Maritime Operations Centres को रीयल-टाइम डेटा, वीडियो और वॉइस कम्युनिकेशन के जरिए जोड़े रखेगा. GSAT-7R में मौजूद मल्टी-बैंड ट्रांसपोंडर इसे सभी मौसम और ऑपरेशनल परिस्थितियों में काम करने योग्य बनाते हैं. यह भारतीय नौसेना के समुद्री कम्युनिकेशन नेटवर्क को एकीकृत करेगा और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की निगरानी और ऑपरेशनल क्षमता को कई गुना बढ़ा देगा.

तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम

ISRO का यह मिशन सिर्फ एक लॉन्च नहीं बल्कि भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता और अंतरिक्ष नेतृत्व का प्रतीक है. जहां पहले भारी सैटेलाइट के लिए भारत को विदेशी रॉकेट्स जैसे Ariane-5 पर निर्भर रहना पड़ता था, अब ‘बाहुबली’ ने यह साबित कर दिया है कि भारत खुद अपने सबसे भारी सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में पहुंचाने में सक्षम है. LVM3-M5 की सफलता ने भारत को उन चुनिंदा देशों की कतार में खड़ा कर दिया है जो अपने बलबूते पर 4 टन से अधिक वजनी सैटेलाइट्स लॉन्च कर सकते हैं. यह सफलता न सिर्फ भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के आत्मविश्वास को मजबूत करती है, बल्कि भारत को वैश्विक स्पेस कम्युनिकेशन मिशनों में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करती है.

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