MDR से किसे फायदा, FinTech कंपनियां क्यों कर रहीं इसे लागू करने की मांग; क्या है सरकार का रुख?
केंद्रीय वित्त मंत्रालय की तरफ से UPI ट्रांजैक्शन पर MDR शुल्क लागने से इन्कार कर दिया गया है. सरकार का यह फैसला FinTech कंपनियों को रास नहीं आ रहा है. इन कंपनियों की मांग है कि इसे लागू किया जाना चाहिए. जबकि, सरकार का इस मामले में रुख पूरी तरह अलग है. जानते हैं आखिर फिनटेक कंपनियों को इससे क्या फायदा है?
MDR यानी मर्चेंट डिस्काउंट रेट को लेकर कारोबारियों, FinTech कंपनियों और सरकार के बीच रस्साकशी चल रही है. एक तरफ फिनटेक कंपनियां चाहती हैं कि सरकार जल्द MDR को लागू करे. वहीं, कारोबारी चाहते हैं सभी तरह का MDR खत्म हो जाना चाहिए. वहीं, सरकार ने साफ कर दिया है कि फिलहाल UPI से होने वाले भुगतान पर MDR नहीं वसूला जाएगा. सरकार के इस फैसले का असर देश की सबसे बड़ी फिनटेक कंपनी Paytm के शेयरों पर भी देखनो को मिला है. गुरुवार सुबह पेटीएम के शेयरों में 10% की गिरावट देखी गई और दिन के आखिर में पेटीएम का शेयर 7.02% की गिरावट के साथ 893 रुपये पर बंद हुआ.
वित्त मंत्रालय ने क्या कहा?
वित्त मंत्रालय ने बुधवार शाम को उन खबरों को सिरे से खारिज कर दिया, जिनमें UPI लेनदेन पर MDR लगाए जाने का दावा किया गया था. असल में यह खबर PCI यानी पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया की सिफारिशों के आधार पर एक अटकल थी. PCI ने सिफारिश की है कि सरकार बड़े कारोबारियों को UPI के जरिये किए जाने वाले लेनदेन पर MDR शुल्क वसूलना शुरू करे.
क्या है MDR?
MDR यानी मर्चेंट डिस्काउंट रेट असल में कारोबारी की तरफ से डिजिटल पेमेंट ट्रांजैक्शन के लिए बैंक या FinTech को दी जाने वाली फीस है. जब कोई ग्राहक क्रेडिट या डेबिट कार्ड से खरीदारी करता है, तो कारोबारी को उस भुगतान की प्रॉसेसिंग के लिए यह शुल्क चुकाना होता है.
किसे होता है फायदा?
बैंक या Fintech कंपनियों को इसका फायदा होता है. इससे उनका रेवेन्यू और प्रॉफिट बढ़ता है. फिलहाल, देश में ज्यादातर ट्रांजैक्शन UPI और Rupay कार्ड के जरिये हो रहे हैं. इन दोनों पर ही फिलहाल MDR नहीं लगता है. इसकी वजह से खासतौर पर FinTech कंपनियों के रेवेन्यू और प्रॉफिट पर असर पड़ रहा है. यही वजह है कि ये कंपनियां चाहती हैं कि UPI लेनदेन पर MDR लगाया जाए.
क्या है सरकार का रुख?
केंद्र सरकार अलग-अलग मौकों पर यह साफ कर चुकी है कि फिलहाल UPI पर MDR लगाने का कोई इरादा नहीं है. वहीं, UBS की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार 2027 तक UPI लेनदेन को MDR से बाहर रख सकती है. सरकार का ध्यान फिलहाल जीरो MDR पॉलिसी के जरिये डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना है.
क्या PCI की बात मानेगी सरकार?
PCI असल में 180 नॉन-बैंकिंग पेमेंट कंपनियों का एक संगठन है. इस संगठन ने कई बार जीरो MDR मॉडल पर सवाल उठाए हैं. हालांकि, सरकार का कहना है UPI भुगतान NCPI के जरिये संचालित हो रहा है, जिसका इस्तेमाल सभी कंपनियां कर रही हैं, ऐसे में सरकार फिलहाल लोगों के बीच डिजिटल भुगतान को ज्यादा लोकप्रिय बनाना चाहती है.
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