चीनी कंपनियों पर सरकार का बड़ा कदम! इक्विटी निवेश को 10 फीसदी तक सीमित करने की तैयारी
भारत सरकार चीनी कंपनियों के भारत में निवेश को लेकर बड़ा कदम उठा सकती है. सरकार इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में जॉइंट वेंचर के लिए चीनी कंपनियों के निवेश को 10% तक सीमित करने की योजना बना रही है. हालांकि, इसमें चीनी कंपनियों के लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की शर्त पूरी करनी होगी.
Tariff War के बीच भारत सरकार घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए चीनी कंपनियों के भारत में निवेश को सीमित करना चाहती है. चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापारिक युद्ध की वजह से चीनी कंपनियां नए अवसर तलाश रही हैं. ऐसे में ये कंपनियां भारत की शर्तों पर भारत में निवेश की इच्छा भी दिखा रही हैं. टैरिफ वॉर के बीच उपजी इस स्थिति का फायदा उठाने के लिए भारत सरकार चीनी कंपनियों के भारत में निवेश पर बड़ा फैसला लेने की तैयारी में है. ET की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में चीनी कंपनियों को निवेश की मंजूरी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की अनिवार्य शर्त के साथ मिल सकती है.
ET ने मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों के हवाले बताया है कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में जॉइंट वेंचर के लिए चीनी कंपनियों को 10% इक्विटी निवेश तक की मंजूरी दी जा सकती है. हालांकि, इसके लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर एक अनिवार्य शर्त रखी जा सकती है. बहरहाल, इस खबर की मनी9लाइव स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करता है.
भारत की शर्तें चीन को स्वीकार
रिपोर्ट के मुताबिक यह तब हो रहा है, जब चीनी कंपनियां भारत में निवेश के लिए भारत की सभी शर्तों को स्वीकार करने के की इच्छुक दिख रही हैं, जिससे उन्हें अमेरिकी टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए भारत जैसे प्रमुख बाजार में विस्तार करने का मौका मिल सके. इसके साथ ही अधिकारियों का कहना है किइक्विटी स्वामित्व के मामले में चीनी ब्रांडों के बजाय पड़ोसी देश की कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन कंपनियों को प्राथमिकता दी जाएगी.
भारत नियम बदलने को क्यों तैयार?
अधिकारियों का कहना है कि अगर अमेरिकी या यूरोपीय फर्म चीन से भारत में अपनी इकाइयां स्थानांतरित करना चाहती हैं, तो सरकार चीनी इक्विटी पर नियमों में बदलाव करने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि इन फर्मों के चीनी आपूर्तिकर्ताओं की हिस्सेदारी 49% तक हो सकती है, लेकिन यह अपवाद हो सकता है. इस तरह के मामलों में आवेदनों की जांच केस-दर-केस आधार पर की जाएगी.
भारत को चीनी कंपनियों की जरूरत
इस मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों का कहना है कि भारतीय कंपनियों को चीनी कपंनियों से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की जरूरत है. यह भी एक वजह है कि सरकार जॉइंट वेंचर के लिए 10% चीनी इक्विटी की अनुमति देने के बारे में विचार कर रही है.
चीन की चालबाजी
एक तरफ चीनी कंपनियां भारत में निवेश के लिए आतुरता दिखा रही हैं. वहीं, दूसरी तरफ ड्रिलिंग मशीन, सोलर पैनल और इलेक्ट्रॉनिक्स की सप्लाई चेन को बाधित कर रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक ड्रिलिंग मशीनें जर्मन कंपनियां बनाती हैं लेकिन, आपूर्ति श्रृंखला चीन में है, जिसे चीन अपनी मर्जी के मुताबिक बाधित करता है. ऐसे में अगर चीनी कंपनियां भारतीय कंपनियों के साथ जॉइंंट वेंचर करती हैं, तो सप्लाई चेन में आने वाले रुकावटों से निजात मिल सकती है.