Trump Tariff पर भारत का पलटवार, अरबों डॉलर की Boing P-8I Poseidon डील ठंडे बस्ते में डाली: रिपोर्ट
भारत ने ट्रंप के टैरिफ पर जोरदार पलटवार किया है. एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के रक्षा मंत्रालय ने 6 Boing P-8I एयरक्राफ्ट की डील को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. भारत ने 3.6 अरब डॉलर में कुल 12 एयरक्राफ्ट खरीदने का सौदा किया था.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय अर्थव्यवस्था को हिलाने वाला फैसला करते हुए भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया है. भारत ने ट्रंप के इस अप्रत्याशित फैसले पर पलटवार किया है. पहले भारत ने अमेरिकी डिफेंस कंपनी Lockheed Martin के F-35 के आयात की संभावनाओं को खारिज कर दिया था. अब रक्षा मंत्रालय (MoD) ने भारतीय नौसेना के लिए आने वाले 6 P-8I Poseidon एयरक्राफ्ट की डील को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. Sputnik की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने यह फैसला इस सौदे की बढ़ी हुई कीमत और बदली हुई जरूरतों को ध्यान में रखकर किया है.
क्या काम आता है P-8I?
पी-8I एक मल्टी मिशन मरीन पेट्रोलिंग एयरक्राफ्ट है. भारतीय नौसेना की तरफ से इसका इस्तेमाल एंटी सबमरीन और खुफिया और निगरानी मिशनों के लिए काम लिया जाता है. भारत इन एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीनी नौसेना की बढ़ती गतिविधियों की रोकथाम और अपने हितों की रक्षा के लिए करता है.
भारत ने कब की यह डील?
भारतीय नौसेना के पास फिलहाल 12 P-8I एयरक्राफ्ट हैं, जिन्हें 2009 और 2016 के दौरान हुए दो सौंदों के तहत हासिल किया गया है. नौसेना को इस तरह के 18 विमानों की जरूरत है, ताकि ताकि हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में चीन की पनडुब्बियों और युद्धपोतों की निगरानी की जा सके. इसके लिए भारत ने 2021 में 6 और एयरक्राफ्ट के लिए 2.42 अरब डॉलर में सौदा किया. लेकिन, 2025 तक इस सौदे की कीमत को बढ़ाकर 3.6 अरब डॉलर कर दिया गया था.
डील पर क्यों लगी रोक?
ट्रंप प्रशासन के 25% टैरिफ फैसले ने भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों को झटका दिया है. भारत के विदेश मंत्रालय ने इसे “अप्रत्याशित और निराशाजनक” कदम बताया है. माना जा रहा है कि अमेरिका की तरफ से भारत पर ज्यादा हथियार खरीदने का दबाव बनाया जा रहा था. लेकिन, भारत ने ट्रंप के टैरिफ और रूस से तेल आयात को लेकर लगाए गए अनर्गल आरोपों के बाद अपना रुख कड़ा कर लिया है, जिसकी वजह से ही P-8I और F-35 स्टील्थ जेट्स के संभावित सौंदों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.
क्या होगा रणनीतिक इम्पैक्ट?
डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह फैसला रणनीतिक और आर्थिक नजरिये से अहम है. भारत पहले ही 7.6 अरब डॉलर की राफेल M डील और स्वदेशी AMCA प्रोजेक्ट में भारी निवेश कर रहा है. ऐसे में 3.6 अरब की यह नई डील बजटीय दबाव बढ़ा रही थी.
क्या डील दोबारा शुरू होगी?
रिपोर्ट के मुताबिक MoD के सूत्रों का कहना है कि इस डील को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाला गया है. रद्द नहीं किया गया है. लिहाजा, भविष्य में फिर से इस डील पर बात हो सकती है और भारत इन एयरक्राफ्ट को खरीद सकता है. फिलहाल, भारत ने संकेत दे दिया है कि टैरिफ वाले कदम का असर अमेरिका को भी भारी पड़ेगा. इसके अलावा भारत ने यह भी साफ कर दिया है कि वह हथियारों की खरीद अपनी जरूरत और अपनी शर्तों पर करेगाा, किसी तरह के दबाव में आकर कोई रक्षा सौदा नहीं किया जाएगा.