India-UK FTA: कार्बन टैक्स के मामले में चूक गया भारत, निर्यात पर बना रहेगा संकट : GTRI रिपोर्ट
भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच दशकों चली बातचीत के बाद आखिर फ्री ट्रेड डील हो गई है. हालांकि, इस ट्रेड डील में भारत कार्बन टैक्स से छूट पाने में नाकाम रहा. इसकी वजह से 2027 से स्टील, एल्युमिनियम जैसे उत्पादों पर 24% तक टैक्स लग सकता है.
भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) में भारत कार्बन टैक्स से छूट हासिल करने में नाकाम रहा है. थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के अनुसार, यह असफलता भारत के लिए कार्बन-इंटेंसिव उत्पादों के निर्यात में बड़ी चुनौती बन सकती है. इसकी वजह से भारत से ब्रिटेन को होने वाले 77.5 करोड़ डॉलर मूल्य के निर्यात प्रभावित होने की आशंका है.
PTI की एक रिपोर्ट में GTRI के फाउंडर अजय श्रीवास्तव के हवाले से बताया गया है कि यूके की कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) नीति जनवरी 2027 से लागू होगी. इसके तहत भारत से यूके में आयात किए जाने वाले स्टील और एल्युमिनियम जैसे उत्पादों पर 14% से 24% तक कार्बन टैक्स लगाया जा सकता है. श्रीवास्तव का कहना है कि जब भारत की तरफ से यूके को ड्यूटी-फ्री एक्सेस दिया जा रहा है, लेकिन बदले में भारत के उत्पादों पर टैक्स लगने की गुंजाइश बनी रहे, तो यह एकतरफा और असंतुलित सौदा बन जाता है.
ट्रेड बैरियर है CBAM
भारत ने पहले भी ब्रिटेन की इस नीति और इससे जुड़े टैक्स को ‘ट्रेड बैरियर’ बताया है. इसके अलावा अलग-अलग स्तर पर भारत ने ब्रिटेन के सामने इस मसले पर अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई है. लेकिन FTA में इसे लेकर किसी तरह की छूट या सुरक्षा नहीं मिल पाई है. इससे भारत की तरफ से ब्रिटेन को आयरन, स्टील, एल्युमिनियम, फर्टिलाइजर और सीमेंट के निर्यात पर असर पड़ सकता है.
भारत रखेगा हित सुरक्षित
यूरोपीय संघ (EU) पहले ही CBAM को लागू कर चुका है. इस तरह यूरोप में ब्रिटेन की तरफ से इस नीति को लागू किए जाने के बाद करीब पूरा यूरोप CBAM के दायरे में होगा. हालांकि, भारत की तरफ से EU और यूके दोनों को यह साफ कर दिया गया है कि अगर भविष्य में ये टैक्स भारतीय निर्यात पर बड़ा असर डालते हैं, तो भारत रीटेलिएटरी कार्यवाही करने का अधिकार सुरक्षित रखता है.
क्यों है चिंता का विषय?
यह घटनाक्रम भारत जैसे विकासशील देशों के लिए चिंता का विषय है, जो अभी भी अपने औद्योगिक सेक्टर को ग्रीन एनर्जी में बदलने की प्रक्रिया में हैं. FTA में इस तरह की असमानता भारत के औद्योगिक और व्यापारिक हितों पर विपरीत असर डाल सकती है. इस पहलू के लिहाज से देखा जाए तो यूके के साथ हुआ यह समझौता भारत के लिए रणनीतिक मोर्चे पर झटका है. अब भारत को भविष्य के व्यापार समझौतों, खासकर यूरोपीय संघ (EU) के साथ और अधिक सावधानी व रणनीति के साथ आगे बढ़ाने होंगे, ताकि घरेलू उद्योगों को ऐसे टैक्स से सुरक्षा मिल सके.