India–Russia Summit: 18000 करोड़ की सबमरीन डील फाइनल, बढ़ेगी अंडरवाटर न्यूक्लियर क्षमता

भारत और रूस के बीच 2 अरब डॉलर यानी करीब 18 हजार करोड़ रुपये की न्यूक्लियर पावर्ड अटैक सबमरीन की लीज डील फाइनल हो गई है. अगले दो वर्षों में यह सबमरीन भारत को मिल जाएंगी. भारत की इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी के लिहाज से भी अहम है.

पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन Image Credit: Money9live

India-Russia Summit से ठीक पहले 2 अरब डॉलर की न्यूक्लियर-पावर्ड अटैक सबमरीन लीज डील फाइनल हो गई है. एक दशक से इस डील को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही थी. 5 दिसंबर को दिल्ली में होने जा रही मोदी–पुतिन समिट से ठीक पहले इस डील को हरी झंडी मिली है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक यह सबमरीन भारत को अगले दो वर्षों में मिलने की उम्मीद है.

क्या है डील?

भारत और रूस ने करीब 10 साल चली बातचीत को आखिरकार फाइनल कर दिया है. लगभग 2 अरब डॉलर यानी 18 हजार करोड़ रुपये की लागत से रूस से भारत एक एडवांस्ड न्यूक्लियर-पावर्ड अटैक सबमरीन 10 साल की लीज पर लेगा. भारतीय अधिकारियों ने नवंबर में रूसी शिपयार्ड का दौरा किया और उसके बाद डील पर सहमति बनी. डिलीवरी दो साल में होने का अनुमान है, हालांकि प्रोजेक्ट की जटिलता को देखते हुए यह टाइमलाइन आगे भी खिसक सकती है.

बड़ा स्ट्रैटेजिक डेवलपमेंट

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस हफ्ते भारत पहुंच रहे हैं. यह उनका यूक्रेन युद्ध के बाद पहला भारत दौरा है. ऐसे में इस डील का फाइनल होना दोनों देशों के डिफेंस रिश्तों का सबसे मजबूत संकेत है. मोदी सरकार पिछले महीनों में रूस और चीन दोनों के साथ स्ट्रैटेजिक एंगेजमेंट बढ़ा रही है, खासकर तब से जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय एक्सपोर्ट पर 50% तक के टैरिफ लगा दिए.

युद्ध में नहीं होगी इस्तेमाल

इस न्यूक्लियर अटैक सबमरीन का इस्तेमाल भारत युद्ध में नहीं करेगा. इस लीज एग्रीमेंट में इंडियन नेवी को न्यूक्लियर सब ऑपरेशन में ट्रेन करना और भविष्य की इंडिजिनस अटैक सबमरीन प्रोग्राम के SOP तैयार करना है. इससे पहले भी रूस की एक सबमरीन भारत के पास 10 साल रही थी, जो 2021 में वापस लौटा दी गई.

अंडरवाटर न्यूक्लियर क्षमता में होगा इजाफा

भारत पहले ही तीनों डोमेन लैंड, एयर और सी में एटॉमिक डिलीवरी प्लेटफॉर्म विकसित कर चुका है. SLBM कैपेबल अरिहंत क्लास सबमरीन इस ट्रायड का अहम हिस्सा हैं. NTI की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास 17 डीजल-इलेक्ट्रिक सब हैं, लेकिन न्यूक्लियर अटैक सबमरीन उनके मुकाबले कहीं ज्यादा तेज, शांत और लंबे समय तक पानी में रहने वाली होती हैं.

हिंदी-प्रशांत में भारत रणनीति को मिलेगा बल

भारत की हिंद-प्रशांत रणनीति को धारदार बनाने में यह डील मदद करेगी. इससे भारतीय नौसेना को न्यूक्लियर अटैक सबमरीन के ऑपरेशन का प्रशिक्षण मिलेगा, जो आगे चलकर भारत को असली ब्लू वाटर नेवी में तब्दील करने के लिए बेहद जरूरी है. भारत दो न्यूक्लियर अटैक सबमरीन तैयार कर रहा है.

भारत का स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी गेमप्लान

रूस के साथ यह डील भारत के स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी के गेमप्लान को भी सपोर्ट करता है. इसमें एक तरफ भारत क्वाड का हिस्सा है. वहीं, दूसरी तरफ रूसी सहयोग से अपनी नेवी को मजबूत कर रहा है. रूसी की नेवी को दुनिया में सबसे ताकतवर माना जाता है.

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