14 महीने के निचले स्तर पर IIP, कोयला और बिजली उत्पादन में तेज गिरावट से दबाव में औद्योगिक उत्पादन

अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन 14 महीने के निचले स्तर 0.4% पर आ गया है. कोर इंडस्ट्री की ग्रोथ भी 0% पर अटक गई, जिसमें कोयला और बिजली क्षेत्र की तेज गिरावट का बड़ा असर दिखा. IIP में शामिल आठ प्रमुख सेक्टरों में ऊर्जा आधारित उद्योगों की कमजोरी ने औद्योगिक गतिविधियों को धीमा किया है.

औद्योगिक उत्पादन Image Credit: Getty image

अक्टूबर में भारत का औद्योगिक उत्पादन जोरदार मंदी के साथ 14 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया. सरकार द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक Index of Industrial Production (IIP) की ग्रोथ सितंबर के 4.6% से गिरकर अक्टूबर में सिर्फ 0.4% रह गई. यह गिरावट ऐसे समय में आई है जब भारतीय अर्थव्यवस्था में festive demand के बाद भी इंडस्ट्रियल सेगमेंट में रफ्तार नहीं दिख रही है.

कोर सेक्टर की ग्रोथ भी 0% पर अटकी

औद्योगिक उत्पादन में यह गिरावट कोर इंडस्ट्री की कमजोर परफॉर्मेंस के साथ मेल खाती है. अक्टूबर में आठ प्रमुख कोर सेक्टर कोयला, कच्चा तेल, नेचुरल गैस, रिफाइनरी प्रोडक्ट्स, उर्वरक, स्टील, सीमेंट और बिजली की ग्रोथ 0% रही, जो पिछले 14 महीनों का सबसे खराब स्तर है. IIP में इन आठ सेक्टरों का 40% वजन होता है, इसलिए कोर सेक्टर की किसी भी कमजोरी का सीधा असर इंडस्ट्रियल आउटपुट पर दिखता है.

कोयला उत्पादन में 8.5% की भारी गिरावट

सबसे तेज झटका कोयला सेक्टर से लगा, जहां अक्टूबर में उत्पादन 8.5% घटा. अगस्त में आए मजबूत ग्रोथ ट्रेंड के बाद इस सेक्टर का अचानक मंद पड़ना IIP में स्लोडाउन की सबसे बड़ी वजह रहा. विशेषज्ञों के मुताबिक, मौसम, लॉजिस्टिक गड़बड़ियों और इन्वेंट्री एडजस्टमेंट जैसे कारणों ने कोयला उत्पादन दबाया.

बिजली उत्पादन 7.6% गिरा

बिजली उत्पादन में 7.6% की गिरावट ने ऊर्जा क्षेत्र की कमजोरी को और गहरा किया. बिजली उत्पादन में यह तेज गिरावट औद्योगिक गतिविधियों की कुल गति को धीमा करती है, क्योंकि मैन्युफैक्चरिंग और heavy industries में पावर डिमांड एक प्रमुख संकेतक मानी जाती है. ऊर्जा आधारित सेक्टरों की यह कमजोरी IIP में stagnation का बड़ा कारण बनी.

उद्योगों की कुल गतिविधि पर असर

अक्टूबर में मैन्यूफैक्चरिंग ग्रोथ लगभग थम गई, जबकि माइनिंग और बिजली दोनों सेगमेंट में कमजोरी ने मिलकर IIP को नीचे धकेला. फेस्टिव सीजन की मांग के बाद भी उत्पादन में यह गिरावट बताती है कि सप्लाई चेन साइड ये दिक्कतें अभी जारी हैं और कैपेसिटी यूटिलाइजेशन पर भी दबाव बन रहा है.

अगले महीनों में क्या उम्मीद?

नवंबर-दिसंबर में ऊर्जा उत्पादन के सामान्य होने और सरकार की तरफ से कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ाने के असर से IIP में कुछ सुधार देखने को मिल सकता है. हालांकि वैश्विक मांग में नरमी, उच्च ब्याज दरें और कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव इंडस्ट्रियल आउटलुक के लिए चुनौतियां बनाए रखेंगे.