हर रोज 16 KM सड़क, 84000 करोड़ के निवेश प्रस्ताव, 335 कानून बदले, धारा 370 के बाद ऐसे बदला कश्मीर

Article 370 हटने के बाद कश्मीर में विकास की गति तेज हुई है. पर्यटन में वृद्धि हुई है. क्या इस ग्रोथ को रोकने के लिए ये हमला हुआ है? चलिए यहां जानते हैं कि आर्टिकल 370 के रद्द होने के बाद किस तरह से तस्वीर बदली और पहले क्या हालात थे...

आर्टिकल 370 रद्द होने के बाद कैसी बदली कश्मीर की तस्वीर Image Credit: Money9live/Canva

Kashmir Terror Attack: कश्मीर के पहलगाम में पुलवामा के बाद सबसे बड़ा हमला हो गया है. 26 लोगों की मौत हो गई हैं. जबकि कई लोग घायल हैं. सवाल ये उठ रहा है क्या आर्टिकल 370 हटने के बाद से जो कश्मीर में डेवलपमेंट हो रहा है उसे निशाना बनाने के लिए ये हमला हुआ है? क्योंकि अगस्त 2019 में आर्टिकल 370 हटाने के बाद पर्यटन तेजी से बढ़ा है, अब करोड़ों लोग कश्मीर पहुंचते हैं. अकेले पहलगाम में ही 2024 में 22 लाख लोग घूमने आए थे. लेकिन आर्टिकल 370 के हटने के बाद कश्मीर की तस्वीर कैसे बदली और उससे पहले वहां कैसे हालात थे. चलिए जानते हैं.

335 कानून बदले गए

आर्टिकल 370 को रद्द करने के बाद केंद्र सरकार के सभी कानून जम्मू-कश्मीर में लागू हैं. 205 राज्य कानूनों को रद्द किया गया है और 130 को संशोधित कर लागू किया गया है. गृह मंत्रालय (MHA) के आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में वित्त वर्ष 2022-23 तक कुल 92,560 प्रोजेक्ट्स पूरे किए गए, जबकि 2018-19 में ये संख्या सिर्फ 9,229 थी.

सड़कों का फैला जाल

सड़क कनेक्टिविटी को लेकर रिपोर्ट में बताया गया है कि जम्मू से श्रीनगर जाने में अब पहले के मुकाबले काफी कम समय लगता है. पहले यह सफर 8 से 10 घंटे का होता था, जो अब घटकर 5 से 6 घंटे रह गया है. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत पिछले तीन सालों में 6,912 किलोमीटर सड़क बनाई गई है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले चार सालों में 19,096 किलोमीटर सड़कों पर ब्लैक टॉप बिछाई गई है. 2019 तक रोजाना औसतन 8.57 किलोमीटर सड़क बनाई जाती थी, जो 2023 में बढ़कर 15.75 किलोमीटर हो गई.

नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत पांच एक्सप्रेसवे, जम्मू और श्रीनगर के लिए रिंग रोड्स, 10 बड़े और 11 अन्य सुरंगें, 33 फ्लाईओवर और 18 प्रमुख कस्बों के लिए बायपास बनाए जा रहे हैं.

पर्यटन ने पकड़ी रफ्तार

2024 में:

कश्मीर में निवेश

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 2015 में जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए केंद्र सरकार ने 80,000 करोड़ के 63 प्रोजेक्ट्स की मंजूरी दी थी, जिनमें से 51,000 करोड़ की राशि खर्च हो चुकी है. इंडस्ट्रियल पॉलिसी के चलते अब राज्य में भारी मात्रा में निवेश आ रहा है. जहां पहले 70 सालों में जम्मू-कश्मीर को केवल 14,000 करोड़ का निवेश मिला था, वहीं पिछले 2014 से 2023 के बीच 12,000 करोड़ का इंडस्ट्रियल निवेश हुआ है.

रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2021 में आई नई औद्योगिक नीति के बाद 2023 तक 42 औद्योगिक क्षेत्रों में 84,544 करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं. इन प्रस्तावों में से 60% यानी 50,538 करोड़ जम्मू के लिए हैं, लेकिन संख्या के लिहाज से सिर्फ 1,551 प्रस्ताव (कुल 6,117 में से 25%) जम्मू के हैं. बाकी 4,566 प्रस्ताव कश्मीर के लिए हैं जिनकी वैल्यू 34,006 करोड़ है. सरकार की केंद्रीय योजना में 300% GST रिफंड, लोन पर ब्याज में छूट जैसे फायदे शामिल हैं.

रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि, 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर में हर साल औसतन सिर्फ 300 करोड़ का निवेश होता था.

बिजली

बिजली की बात करें तो, जम्मू-कश्मीर में 20,000 मेगावाट बिजली बनाने की क्षमता है, लेकिन पहले केवल 3,500 मेगावाट का ही उपयोग हो पा रहा था. अब हाल के वर्षों में 3,000 मेगावाट के नए प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं और इन पर काम चल रहा है.

सरकार ने बताया कि सौभाग्य योजना के तहत 100% बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य पूरा कर लिया गया है.

कम हुआ आतंकवाद