ऑपरेशन सिंदूर के ये हथियार अब दुनिया खरीदेगी, चीन-अमेरिका को लगेगी मिर्ची! मेड इन इंडिया का जलवा

Operation Sindoor में भारत ने अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया और मेड इन इंडिया हथियारों का सफल परीक्षण भी कर लिया. साथ ही दुनिया को दिखा दिया कि मेड इन इंडिया हथियार भी कम नहीं है. इस ऑपरेशन में आकाश मिसाइल सिस्टम, D-4 एंटी-ड्रोन सिस्टम, नागस्त्र-1 सुसाइड ड्रोन, स्काईस्ट्राइकर और ब्रह्मोस मिसाइल जैसे स्वदेशी हथियारों का इस्तेमाल हुआ है.

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में दिखा दी अपनी सैन्य ताकत Image Credit: Money9live/Canva

Operation Sindoor Weapons, Missile: ऑपरेशन सिंदूर ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जबरदस्त बदला लिया, पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक के बाद उसकी जवाबी कार्रवाई में भी उसके कई ड्रोन और हर हमले को नेस्तनाबूद किया गया. इस जीत के अलावा ऑपरेशन सिंदूर ने और दो बड़े मुकाम हासिल किए है. एक तो दुनिया को अपनी सैन्य ताकत दिखा दी और साबित कर दिया कि भारत जरूरत पड़ने पर कड़ा जवाब भी दे सकता है और दूसरा, भारत ने अपने मेड इन इंडिया हथियारों को टेस्ट भी कर लिया. दुनिया ने भी देख लिया कि भारत के बनाए हथियार युद्ध में कितने घातक हैं. तो क्या अब इसके बाद दुनिया में मेड इन इंडिया हथियारों की मांग और बढ़ेगी. क्या हथियारों की दुनिया में भारत बड़ा एक्सपोर्टर बना सकता है. साल 2024-25 में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा हैं जो 23,622 करोड़ है. यह पिछले साल 2023-24 की तुलना में 2,539 करोड़ यानी 12.04% ज्यादा है. चलिए जानते हैं ये कौन से खास हथियार हैं जो भारत को डिफेंस एक्सपोर्टर बना सकते हैं.

Akash मिसाइल सिस्टम

भारत में ही बनी आकाश सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल डिफेंस सिस्टम है. S400 के अलावा इसने पाकिस्तान की तरफ से आने वाले ड्रोन हमलों को रोकने में बड़ी भूमिका निभाई. इस मिसाइल सिस्टम का मुख्य काम हवाई हमलों से संवेदनशील इलाके और रिसोर्सेस की रक्षा करना है.

2021 में भारत सरकार ने इसे मित्र देशों को बेचने की मंजूरी दी थी. इसकी लागत कम है जो महंगी मिसाइलों की तुलना में ज्यादा आकर्षक है. 2022 में अर्मेनिया ने करीब 6000 करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया था. फिलीपींस, मिस्र, वियतनाम और ब्राजील जैसे देशों ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई है.

D-4 एंटी-ड्रोन सिस्टम

ANI की रिपोर्ट के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान DRDO के पूर्व चेयरमैन जी सतीश रेड्डी ने बताया कि इस युद्ध में कई स्वदेशी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हुआ है. जो एंटी-ड्रोन सिस्टम DRDO और निजी इंडस्ट्री ने मिलकर बनाए हैं, उनका इस्तेमाल बहुत सफलतापूर्वक हुआ क्योंकि बड़ी संख्या में दुश्मन के ड्रोन भारत की ओर भेजे गए थे.

पाकिस्तान ने तुर्की के बने ड्रोन का इस्तेमाल किया था, लेकिन भारत का अपना बना D-4 सिस्टम इन पर भारी पड़ा और इन ड्रोन हमलों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया.

नागास्त्र-1 (Nagastra-1)

नागास्त्र-1 भारत का पहला स्वदेशी सुसाइड ड्रोन या लॉयटर म्यूनिशन है. इसे नागपुर की सोलर इंडस्ट्रीज ने तैयार किया है और भारतीय सेना ने इसे जून 2023 में इसे अपनी सेवा में शामिल किया है. ये एक ऐसा हथियारबंद ड्रोन है, जिसे खासतौर पर दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है.

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने कई लॉयटर म्यूनिशन (नागस्त्र-1) इस्तेमाल किए. यह 2 मीटर के अंदर की सटीकता से हमला कर सकता है. ये बहुत ही सटीक और छोटे क्षेत्र में नुकसान पहुंचाता है.

स्काईस्ट्राइकर (SkyStriker)

SkyStriker भी लॉयटर म्यूनिशन यानी सुसाइड ड्रोन है. ये भी एक ऐसा हथियार है जो उड़कर दुश्मन के इलाके में जाता है, वहां कुछ समय तक मंडराता है, और फिर सही मौका मिलने पर सीधा टारगेट पर गिरकर विस्फोट करता है. इसे इजरायल के साथ मिलकर भारत में ही तैयार किया गया है. इसका प्रोडक्शन बेंगलुरु में होता है जो एक जॉइंट वेंचर मिलकर करता है जिसमें अडानी ग्रुप की एल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज और एल्बिट सिक्योरिटी सिस्टम्स शामिल है जो इजरायल की डिफेंस टेक्नोलॉजी कंपनी है.

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, इस ड्रोन का इस्तेमाल लंबी दूरी से सटीक हमले करने के लिए किया गया था. इसने दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने, समय पर हमला करने और जमीन पर मौजूद भारतीय सैनिकों को सुरक्षित रखने में बड़ी भूमिका निभाई.

ब्रह्मोस मिसाइल

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने पहली बार BrahMos सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का इस्तेमाल किया. ये हमला पाकिस्तान के एयरबेस पर किया गया था. ये भारत की सबसे तेज, सटीक और ताकतवर मिसाइलों में से एक है.

भारत ब्रह्मोस मिसाइल पहले से ही एक्सपोर्ट कर रहा है. फिलीपींस इसका बड़ा खरीदार है और अब इंडोनेशिया ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई है. और आपरेशन सिंदूर ने भारत के लिए डिफेंस एक्सपोर्ट का बड़ा रास्ता खोल दिया है.