BEL-TATA की साझेदारी से भारत का डिफेंस सेक्टर होगा अभेद्य, खत्म होगी चीनी चिप पर निर्भरता

BEL और Tata इलेक्ट्रॉनिक्स ने भारत के डिफेंस सेक्टर को अभेद्य बनाने के लिए साझेदारी की है. दोनों कंपनियां मिलकर देश में ही सेमीकंडक्टर और चिप निर्माण का काम शुरू करेंगी. फिलहाल, इस मामले में भारत चीन पर निर्भर है, जो डिफेंस के लिहाज से बड़ी रणनीतिक कमजोरी का संकेत है.

टाटा-बेल ने चिप बनाने के लिए की साझेदारी Image Credit: Money9live

BEL-TATA Partnership को लेकर ब्रोकरेज हाउस Motilal Oswal Financial Services ने बताया है कि यह गठजोड़ देश के डिफेंस सेक्टर को अभेद्य बना सकता है. मोतीलाल ओसवाल ने इसे लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक थ्रेड साझा किया है. इसमें बताया गया है कि फिलहाल देश के डिफेंस सेक्टर में इस्तेमाल होने वाली 99 फीसदी चिप विदेश से आती हैं. मोटे तौर पर इस मामले में भारत चीन पर निर्भर है. इस थ्रेड में कहा गया है कि जब भी भारत कोई मिसाइल लॉन्च करता है, तो असल में किसी दूसरे देश की तकनीक पर भरोसा कर रहा होता है.

क्या है BEL-TATA की डील?

डिफेंस सेक्टर में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए BEL और TATA Electronics के बीच एक समझौता हुआ. इसके तहत गुजरात के धोलरा में 91,000 करोड़ का निवेश कर Tata Electronics एक सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी शुरू करेगी. इस फैसिलिटी में 2027 तक प्रोडक्शन शुरू होने की उम्मीद है. यह कदम न सिर्फ भारत के डिफेंस सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाएगा. बल्कि इससे ग्लोबल सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन में भी भारत को एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी. BEL की भूमिका इस डील में सिर्फ खरीदार की नहीं है, बल्कि चिप टेक्नोलॉजी तैयार करने में भी टाटा की मदद की जाएगी.

क्यों की गई यह डील?

दुनियाभर में राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता ने युद्ध का जोखिम बढ़ा दिया है. वहीं, चीन जैसे देश बिजनेस को हथियार बनाने में जुटे हैं. खासतौर पर सेमीकंडक्टर बनाने के लिए कच्चे माल की सप्लाई चेन पर चीन का बड़ा कब्जा है, जिससे वह दूसरे देशों की आपूर्ति प्रभावित करता रहता है. इसके अलावा किसी भी देश पर इस मामले में निर्भर रहने से संकट के समय में जोखिम बढ़ सकता है. पिछले दिनों रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से BEL को सेमीकंडक्टर की कमी का सामना करना पड़ा था, जिसकी वजह से कई कई मिसाइल सिस्टम और रडार अपग्रेडेशन के प्रोजेक्ट धीमे पड़ गए.

किस देश से कितना आयात?

भारत अपनी सेमीकंडक्टर जरूरतें 99 फीसदी आयात से पूरी करता है. 2021-22 में 50 फीसदी से ज्यादा चिप्स चीन से आयात की गईं. इसके अलावा अमेरिका, यूरोप, रूस और जापान से भी भारत चिप आयात करता है. भारत के चिप आयात में 2024 में सालाना आधार पर 18 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. इसके अलावा भारत ने करीब 1.71 लाख करोड़ रुपये चिप्स के आयात पर खर्च किए हैं.

डील का क्या फायदा?

BEL देश की सबसे बड़ी रक्षा कंपनियों में से एक है. डिफेंस से जुड़े तमाम इलेक्ट्रिकल कंपोनेंट्स के लिए BEL को बल्क में चिप आयात करनी पड़ती हैं. लेकिन, सप्लाई चेन से जुड़ी बाधाओं के चलते BEL के प्रोजेक्ट डिले होते हैं, जिनका असर राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी होता है. ऐसे में इस डील से BEL को सप्लाई से जुड़ी किसी बाधा का सामना नहीं करना पड़ेगा. वहीं, टाटा को एक स्थायी ग्राहक मिलेगा, जिसके लिए वह बल्क में चिप बना पाएगी. इस तरह टाटा और BEL दोनों के लिए यह सौदा फायदेमंद है.