ट्रंप की ‘टैरिफ हिपोक्रेसी’ पर पुतिन का वार, कहा- ऊर्जा सुरक्षा का हक अमेरिका को है, तो भारत को क्यों नहीं?
भारत दौरे पर आए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की हिपोक्रेसी पर कड़ा हमला किया. पुतिन ने कहा कि जब US रूस से न्यूक्लियर फ्यूल खरीद सकता है, तो भारत को ऐसा करने से क्यों रोका जा रहा है?
भारत यात्रा से ठीक पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में अमेरिका, ऊर्जा सहयोग, भारत की विकास यात्रा और यूक्रेन युद्ध पर वैश्विक राजनीति से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब दिए. उन्होंने साफ कहा कि रूस–भारत साझेदारी कभी किसी के खिलाफ नहीं रही, और ट्रंप के टैरिफ प्लान और भारत पर लगाए जा रहे प्रतिबंधों पर भी खुलकर राय रखी.
ट्रंप के टैरिफ पर दो टूक
पुतिन ने कहा कि अमेरिका आज भी रूस से न्यूक्लियर फ्यूल और यूरेनियम खरीद रहा है, ताकि उसके रिएक्टर चल सकें. ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब वाशिंगटन खुद यह कर सकता है, तो भारत को क्यों रोका जाए. पुतिन ने कहा कि यह मुद्दा गंभीर समीक्षा का विषय है और रूस इसे विस्तार से चर्चा करने के लिए तैयार है, चाहे वो भारत से हो या राष्ट्रपति ट्रंप से.
भारतीय कंपनियां बेहद भरोसेमंद
पुतिन ने माना कि पहले नौ महीनों में व्यापार में मामूली उतार-चढ़ाव जरूर आया, लेकिन रूस–भारत ऊर्जा संबंध स्थिर बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि रूसी ऑयल इंडस्ट्री भारतीय कंपनियों को “बहुत भरोसेमंद पार्टनर” मानती है और दोनों देशों के बीच ऊर्जा आपूर्ति की स्थिरता भू-राजनीति की हलचल से अप्रभावित है.
भारत-रूस के संबंध किसी के खिलाफ नहीं
एक सवाल पर पुतिन ने कहा कि वे और प्रधानमंत्री मोदी हमेशा यह सुनिश्चित करते रहे हैं कि भारत–रूस सहयोग किसी तीसरे देश के खिलाफ इस्तेमाल न हों. ट्रंप के एजेंडे को लेकर उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति अपने हितों के अनुसार फैसले लेते हैं, लेकिन भारत और रूस का रिश्ता किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं है. दुनिया को भी यह बात समझनी चाहिए.
भारत की विकास यात्रा चमत्कारिक
पुतिन ने भारत की तरक्की की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि सिर्फ 77 वर्षों में भारत की प्रगति लगभग एक चमत्कार जैसी है. लाइफ एक्सपेक्टेंसी लगभग दोगुनी हो चुकी है और सामाजिक–आर्थिक परिवर्तन इतने तेज हैं कि दुनिया का ध्यान अभी भी पूरी तरह इस बदलाव पर नहीं गया है.
G8 को बताया विचित्र
पुतिन से जब पूछा गया कि क्या रूस फिर से G-8 का हिस्सा बनना चाहता है? इसके जबाव में पुतिन ने कहा कि उनकी इस संगठन में कोई दिलचस्पी नहीं है. उन्होंने कहा कि G-8 को ग्रेट 8 यानी आर्थिक रूप से 8 सबसे बड़े देशों के तौर पर देखा जाता रहा है. लेकिन, अगर परचेजिंग पावर के लिहाज से देखा जाए, तो भारत तमाम जी 8 देशों से ज्यादा क्षमता रखता है. भारत की इकोनॉमी इस संगठन के तकरीबन सभी देशों से मजबूत है.
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस जैसे देश बुरे आर्थिक हालात से जूझ रहे हैं. ऐसे में इस तरह के संगठन में रूस की अब कोई दिलचस्पी नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जी8 अब एक विचित्र संगठन रह गया है, जिसका असल दुनिया में बहुत ज्यादा औचित्य नजर नहीं आता है. लेकिन, फिर भी वे साथ काम कर रहे हैं, उन्हें मेरी शुभकामनाएं हैं.