RBI Bulletin: गांव बने इंडिया की ग्रोथ का इंजन, ग्लोबल रिस्क के बावजूद इकोनॉमी की रफ्तार बरकरार

RBI Bulletin के मुताबिक ग्लोबल रिस्क और रिकॉर्ड ट्रेड डेफिसिट के बावजूद भारत की ग्रोथ स्टोरी मजबूत बनी हुई है. अक्टूबर में GST सुधार, रूरल डिमांड और फेस्टिव स्पेंडिंग ने इकोनॉमी की रफ्तार को और तेज किया, जबकि CPI महंगाई 0.3% के ऐतिहासिक लो पर आ गई. मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज दोनों एक्सपेंशन मोड में रहे.

भारत की अर्थव्यवस्था Image Credit: money9live/CanvaAI

ग्लोबल इकोनॉमी में रिस्क बढ़ रहे हैं. ट्रेड डिफिसिट रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं सुस्ती से जूझ रही हैं. लेकिन, इन सबके बीच भारत की ग्रोथ स्टोरी न सिर्फ स्थिर बनी हुई है, बल्कि और मजबूत होती दिख रही है. RBI की State of Economy रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर में घरेलू मांग, रूरल रिकवरी, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज के मोर्चों पर गतिविधियां तेज रहीं, जबकि महंगाई ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गई है. इससे साफ है कि बाहरी दबावों के बावजूद भारत की इकोनॉमी की नींव और मजबूत होती जा रही है.

रिपोर्ट बताती है कि AI स्टॉक्स में अतिउत्साह और ओवरवैल्यूएशन को लेकर उठी चिंताओं ने नवंबर में ग्लोबल मार्केट में वोलैटिलिटी बढ़ा दी है. अमेरिका-चीन तनाव से लेकर सर्विसेज के हाई इन्फ्लेशन तक, बाहरी दबाव कायम रहे. इसके अलावा PMI एक्सपोर्ट ऑर्डर्स लगातार घट रहे हैं, जो ग्लोबल डिमांड में कमजोरी का सीधा संकेत है. इसके बावजूद भारत की ग्रोथ मोमेंटम प्रभावित नहीं हुई और डोमैस्टिक रिकवरी पहले से बेहतर है.

रूरल इंडिया ग्रोथ ड्राइवर

अक्टूबर 2025 में फेस्टिव स्पेंडिंग और GST रेट कट्स के दोहरे प्रभाव से डोमैस्टिक डिमांड में तेज उछाल आया. रूरल मार्केट्स ने सबसे मजबूत रिवाइवल दिखाया है. टू-व्हीलर रिटेल में 51.8% का उछाल और ऑटो सेगमेंट के लगभग सभी हिस्सों में ग्रोथ बताती है कि गांवों में इनकम और कॉन्फिडेंस दोनों सुधरे हैं. शहरी मांग ने भी रफ्तार पकड़ी है, जहां पैसेंजर व्हीकल सेल्स ने 9 महीने का हाई लेवल टच किया. डिजिटल पेमेंट्स का विस्तार और ई-वे बिल्स की मजबूती यह संकेत देती है कि खपत में बुनियादी सुधार हो चुका है.

ट्रेड डेफिसिट जोखिम का संकेत

मजबूत घरेलू गतिविधियों के बीच सबसे बड़ा रिस्क भारत के बाहर से है. अक्टूबर में देश का मर्चेंडाइज ट्रेड डिफिसिट 41.7 अरब डॉलर के ऑल टाइम हाई लेवल पर पहुंच गया. एक्सपोर्ट्स तीन महीने की तेजी के बाद दोबारा गिरावट में चले गए, जबकि फेस्टिव सीजन में गोल्ड-सिल्वर इम्पोर्ट्स के उछाल ने दबाव और बढ़ा दिया. ग्लोबल डिमांड की कमजोरी का असर इतना व्यापक रहा कि भारत के 20 प्रमुख निर्यात बाजारों में से 17 में शिपमेंट कम हुए. हालांकि IT और बिजनेस सर्विसेज ने सर्विसेज एक्सपोर्ट्स में 17% की मजबूत बढ़त दी, जिससे चलन खाते पर कुछ राहत आई.

कृषि की हालत मजबूत

पोस्ट-मॉनसून में अत्यधिक वर्षा और साइक्लोन ‘मोंथा’ के कारण देशभर के रिजर्वॉयर 89% क्षमता तक भर गए हैं, जो कई वर्षों की तुलना में सर्वोच्च स्तर है. इसने रबी बुवाई को मजबूत पकड़ दी है, जो पिछले साल से 12% अधिक रही है. चावल और गेहूं दोनों का सरकारी स्टॉक बफर नॉर्म्स से कहीं ऊपर हैंं. चावल का स्टॉक 5.3 गुना है और गेहूं 1.5 गुना. यह कृषि क्षेत्र की स्थिरता और खाद्य आपूर्ति की सुरक्षा दोनों तरफ से भरोसा दिलाता है, खासकर तब जब वैश्विक खाद्य कीमतें उतार-चढ़ाव में हों.

कोर इकोनॉमी में संतुलन

अक्टूबर में मैन्युफैक्चरिंग PMI 59.2 पर पहुंचा, जो घरेलू ऑर्डर्स की मजबूती और GST रिफॉर्म्स के पॉजिटिव इंपैक्ट को दर्शाता है. स्टील आउटपुट, कैपिटल गुड्स इम्पोर्ट और कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी से जुड़े अन्य डाटा बताते हैं कि इंडस्ट्री में ब्रॉड बेस्ड रिकवरी जारी है. सर्विसेज सेक्टर भी एक्सपेंशन मोड में बना रहा, जहां पोर्ट ट्रैफिक, कमर्शियल व्हीकल सेल्स और सीमेंट प्रोडक्शन ने पिछले महीनों की तुलना में बेहतर रफ्तार दिखाई. अनियमित बारिश ने हल्की रुकावट जरूर पैदा की, लेकिन मोमेंटम पर इसका खास असर नहीं पड़ा.

महंगाई ऐतिहासिक निचले स्तर पर

अक्टूबर में CPI महंगाई घटकर 0.3% पर आ गई. 2012 बेस ईयर के बाद का यह सबसे निचला स्तर है. फूड प्राइसेज में गहरे डिफ्लेशन, GST रेट कट्स और पॉजिटिव बेस इफेक्ट्स ने हेडलाइन इन्फ्लेशन को लक्ष्य से काफी नीचे धकेल दिया. कोर महंगाई भी काफी नरम पड़ी है, खासकर गोल्ड-सिल्वर प्राइस इफेक्ट को हटाकर देखें, तो ट्रेंड और मजबूत दिखता है. यह RBI को निकट भविष्य में पॉलिसी रेट तय करने में अधिक लचीलापन देता है, बशर्ते बाहरी जोखिम काबू में रहें.