साल की सबसे बड़ी कॉरर्पोरेट डील की तैयारी में Shell, BP का 80 अरब डॉलर में कर सकती है अधिग्रहण

दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनियों में शामिल शेल और बीपी के बीच संभावित अधिग्रहण की चर्चाएं तेज हो गई हैं. वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक शेल की तरफ से बीपी को खरीदने पर विचार किया जा रहा है. अगर ऐसा होता है, तो यह इस साल की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट डील होगी.

शेल-बीपी का मर्जर इस साल की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट डील होगी Image Credit: Money9live

ब्रिटिश तेल दिग्गज शेल और बीपी के मर्जर की चर्चा फिर से तेजी हो गई है. वॉल स्ट्रीट जर्नल और ब्लूमबर्ग की अलग-अलग रिपोर्टों में बताया गया है कि दोनों शेल की तरफ से बीपी के अधिग्रहण को लेकर विचार किया जा रहा है. अगर दोनों कंपनियां इस सौदे के लिए सहमत होती हैं, तो यह कॉर्पोरेट इतिहास के सबसे बड़े सौदों में एक होगा. क्योंकि, फिलहाल बीपी का वैल्यूएशन करीब 80 अरब डॉलर है. रिपोर्ट में बताया गया है कि शेल की तरफ से इस 80 अरब डॉलर के संभावित अधिग्रहण पर एक्सॉन मोबिल और शेवरॉन जैसे प्रतिद्वंद्वियों से निपटने के लिए विचार किया जा रहा है.

असल में एक्सॉन मोबिल भी इसी तरह की डील का नतीजा है. पहले अमेरिकी कंपनी एक्सॉन और मोबिल दोनों अलग-अलग कंपनियां थीं, जिनके मर्जर के बाद एक बड़ी कंपनी बनाई गई. 1999 में एक्सॉन मोबिल के विलय का सौदा 83 अरब डॉलर में हुआ था. माना जा रहा है कि शेल और बीपी का सौदा इससे बड़ा भी हो सकता है. हालांकि, ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक बीपी का मौजूदा वैल्यूएशन करीब 80 अरब डॉलर है. WSJ की रिपोर्ट में कहा गया है कि तेल और गैस क्षेत्र की दिग्गज कंपनी शेल अपनी प्रतिद्वंद्वी बीपी का अधिग्रहण करने के लिए बातचीत कर रही है, जो अब तक का सबसे बड़ा विलय एवं अधिग्रहण सौदा साबित हो सकता है.

वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दोनों ब्रिटिश तेल कंपनियां एक-दूसरे के साथ सक्रिय रूप से बातचीत कर रही हैं और बीपी अपने दृष्टिकोण पर सावधानीपूर्वक विचार कर रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सौदा शेल को एक्सॉन मोबिल और शेवरॉन की तुलना में मजबूत स्थिति में ला सकता है.

WSJ की रिपोर्ट सामने आने के बाद न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड बीपी के शेयरों में 10 फीसदी की तेजी देखने को मिली है. खबर लिखे जाते समय बीपी का शेयर 32.94 डॉलर पर ट्रेड कर रहा था. रिपोर्ट में कहा गया है कि दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों के बीच किसी भी तरह का समझौता अभी तक तय नहीं हुआ है.