निवेशकों के साथ अब नहीं होगा धोखा! SEBI और Google मिलकर ऐसे रोकेंगे फेक ब्रोकिंग ऐप्स का खेल
निवेशकों को फर्जी ब्रोकिंग ऐप्स से बचाने के लिए सेबी ने गूगल से आग्रह किया है कि वह Play Store पर रजिस्टर्ड स्टॉक ब्रोकर ऐप्स के लिए वेरिफिकेशन टिक मार्क शुरू करे. सेबी के सदस्य कमलेश चंद्र वर्श्ने ने बताया कि यह नया फीचर दो महीनों में लागू हो सकता है.
SEBI Verification Mark Google Play Store: निवेशकों को फर्जी ब्रोकिंग ऐप्स से बचाने के लिए सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने एक बड़ा कदम उठाया है. सेबी के होल-टाइम मेंबर कमलेश चंद्र वर्श्ने ने बताया कि नियामक संस्था ने गूगल से अनुरोध किया है कि वह अपने Play Store पर रजिस्टर्ड ब्रोकिंग ऐप्स के लिए वेरिफिकेशन टिक मार्क शुरू करे, ताकि निवेशकों को असली और नकली ऐप्स में अंतर आसानी से समझ आ सके.
दो महीने में दिखेगा बदलाव
वर्श्ने ने शनिवार, 11 अक्टूबर को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ब्रोकर्स फोरम के कैपिटल मार्केट कॉन्फ्लुएंस कार्यक्रम में कहा कि गूगल ने सेबी के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. उन्होंने बताया, “जब कोई निवेशक ऐप स्टोर खोलेगा, तो रजिस्टर्ड स्टॉक ब्रोकरों के ऐप्स पर टिक मार्क दिखाई देगा. इससे लोगों को तुरंत समझ आ जाएगा कि कौन-सा ऐप असली है और कौन-सा नकली.” यह नया फीचर अगले दो महीनों के भीतर गूगल प्ले स्टोर पर लागू हो सकता है.
निवेशकों की सुरक्षा और जागरूकता पर फोकस
वर्श्ने ने कहा कि सेबी निवेशकों को ठगी से बचाने और वित्तीय जागरूकता बढ़ाने के लिए कई नए अभियान चला रहा है. इनमें प्रमुख हैं-
- Valid UPI Initiative: जहां केवल वैलिड UPI आईडी के जरिए लेन-देन को प्रोत्साहित किया जा रहा है.
- Sebi vs Scam Campaign: निवेशकों को ठगी और फर्जीवाड़े से सतर्क करने के लिए एक जागरूकता अभियान.
कमोडिटी मार्केट को पुनर्जीवित करने की तैयारी
सेबी के अधिकारी ने बताया कि संस्था अब कमोडिटी मार्केट को पुनर्जीवित करने और उसमें लिक्विडिटी बढ़ाने पर काम कर रही है. उन्होंने कहा, “कमोडिटी मार्केट में कुछ चुनौतियां हैं, लेकिन ब्रोकर इसमें अहम भूमिका निभा सकते हैं. संवैधानिक सीमाओं के कारण सेबी स्पॉट ट्रेडिंग को नियंत्रित नहीं कर सकती, क्योंकि यह राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है. किसान चाहते हैं कि उन्हें तुरंत भुगतान मिले, जबकि फ्यूचर मार्केट में उन्हें इंतजार करना पड़ता है. इस स्थिति में ब्रोकर किसानों और बाजार के बीच सेतु का काम कर सकते हैं.”
एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग है अगली चुनौती
कमलेश चंद्र वर्श्ने ने आगे कहा कि सेबी एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग (Algo Trading) से जुड़ी तकनीकी चुनौतियों को दूर करने पर भी काम कर रहा है. उन्होंने बताया कि इस ढांचे के कार्यान्वयन में कुछ दिक्कतें आने के कारण नियामक ने इसकी समयसीमा दिसंबर तक बढ़ा दी है. वर्श्ने ने कहा, “एल्गो ट्रेडिंग भविष्य का हिस्सा है, और हमें इसे व्यवहार में लाने के लिए तैयार रहना होगा. उम्मीद है कि दिसंबर तक सभी मुद्दे सुलझा लिए जाएंगे.”
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