चीन पर नए अमेरिकी टैरिफ के बाद भारत रहे सतर्क, GTRI ने कहा- US ट्रेड डील में बरतें सावधानी

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंस्टीट्यूट (GTRI) की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अमेरिका के साथ किसी भी व्यापारिक समझौते में सावधानी बरतनी चाहिए और अपनी आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप सरकार द्वारा चीन पर लगाए गए 100 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ से ग्लोबल सप्लाई चेन और टेक्नोलॉजी सेक्टर पर बड़ा असर पड़ेगा.

चीन, अमेरिका और भारत Image Credit: @Tv9

US Tariff China and India Stand: नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंस्टीट्यूट (GTRI) ने अपनी नई रिपोर्ट में अमेरिका की ओर से हाल में चीन पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ को लेकर भारत के स्टैंड पर कमेंट किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अमेरिका के साथ किसी भी व्यापारिक समझौते या बातचीत में बेहद सतर्क रहना चाहिए. इससे इतर, भारत को अपनी रणनीतिक आत्मनिर्भरता बनाए रखनी चाहिए. जिस GTRI रिपोर्ट की हम बात कर रहे हैं उसका शीर्षक “ट्रंप की टैरिफ नीति और रेयर अर्थ संकट” है. इसमें अमेरिका की ओर से चीन पर लगाए गए भारी शुल्कों के असर और भारत के लिए उनसे निकलने वाले सबक पर विस्तार से चर्चा की गई है.

अमेरिका-चीन के बीच बढ़ा तनाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में चीन से आयात होने वाले सामान पर 100 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिससे कुल शुल्क दर लगभग 130 फीसदी तक पहुंच जाएगी. यह फैसला 1 नवंबर से लागू होगा. यह कदम 2018 के बाद से अमेरिका और चीन के बीच सबसे बड़ी व्यापारिक टकराव की घटना मानी जा रही है. ट्रंप प्रशासन का यह निर्णय चीन द्वारा रेयर अर्थ के निर्यात पर लगाई गई पाबंदियों के जवाब में आया है. ये रेयर अर्थ अमेरिका की रक्षा, क्लीन एनर्जी और हाई-टेक इंडस्ट्री के लिए बेहद जरूरी हैं.

भारत के लिए क्या संदेश है?

GTRI की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अमेरिका के साथ बराबरी के स्तर पर बातचीत करनी चाहिए और किसी भी समझौते में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. रिपोर्ट के मुताबिक, “अमेरिका के साथ किया गया कोई भी सौदा स्थायी नहीं होता,” इसलिए भारत को हर कदम सोच-समझकर उठाना चाहिए. थिंक टैंक ने सुझाव दिया है कि भारत को पारस्परिक लाभ सुनिश्चित करते हुए अपनी आर्थिक और रणनीतिक स्वतंत्रता को सुरक्षित रखना चाहिए. साथ ही, रिपोर्ट ने कहा कि भारत को “अमेरिकी वादों पर निर्भर” रहने के बजाय अहम तकनीकों और खनिजों में आत्मनिर्भरता विकसित करनी चाहिए ताकि भविष्य के किसी भी ग्लोबल व्यापारिक झटके से भारतीय अर्थव्यवस्था सुरक्षित रह सके.

भारत की कूटनीतिक रणनीति

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को अपनी तटस्थ यानी न्यूट्रल स्टांस का फायदा उठाकर पश्चिमी देशों और BRICS ग्रुप यानी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका दोनों के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने चाहिए. इससे भारत को आर्थिक और रणनीतिक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी.

महंगे होंगे EVs और टेक उत्पाद

GTRI ने बताया कि अमेरिका और चीन के बीच नए टैरिफ युद्ध से इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), विंड टरबाइनों और सेमीकंडक्टर इक्विपमेंट की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिलेगी. अमेरिका इन प्रोडक्ट्स के लिए चीन पर निर्भर है, और अब वह अपने सप्लाई चेन को ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम और कनाडा जैसे “दोस्ताना देशों” की ओर मोड़ने की कोशिश करेगा. दूसरी ओर, चीन अपने संसाधनों को गैर-पश्चिमी देशों की ओर मोड़कर वैकल्पिक इंडस्ट्रियल नेटवर्क को मजबूत करेगा.

अमेरिका पर भी पड़ेगा असर

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका अभी भी चीन पर इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े, जूते, घरेलू उपकरण और सोलर पैनलों के लिए भारी निर्भर है. यदि चीन जवाबी कदम उठाता है, तो अमेरिकी बाजार में कीमतें और बढ़ जाएंगी. नए टैरिफ लागू होने के बाद अमेरिकी उपभोक्ताओं को महंगाई और उत्पादन लागत में भारी वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है, जिससे ट्रंप प्रशासन की “कड़ा रुख अपनाओ” नीति उलटी पड़ सकती है.

‘चीन ज्यादा तैयार दिखता है’

GTRI के अनुसार, चीन ने इस स्थिति के लिए पहले से रणनीतिक तैयारी कर रखी है, जबकि अमेरिका ने बिना आर्थिक परिणामों का आकलन किए कदम उठा लिया है. रिपोर्ट के शब्दों में, “अमेरिका जहां तुरंत कार्रवाई करता है, वहीं चीन अपने कदम सोच-समझकर और दीर्घकालिक योजना के तहत उठाता है. यही उसका सबसे बड़ा फायदा है.”

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