Starlink ने मानी भारत की शर्तें, कितना महंगा या सस्ता होगा स्टारलिंक का इंटरनेट प्लान
Starlink ने सिक्योरिटी और डेटा स्टोरेज से जुड़े सरकार के अहम नियमों को मान लिया है, लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक इसका इंटरनेट प्लान महंगा हो सकता है. इससे यह भारत के प्राइस-सेंसिटिव मार्केट में ज्यादा प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएगी.

Starlink Internet: भारत में सैटेलाइट इंटरनेट की एंट्री होने जा रही है. हाल में एलन मस्क की Starlink ने भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस शुरू करने के लिए सरकार की शर्तें मान ली हैं. जानकारी के मुताबिक, कंपनी ने सिक्योरिटी और डेटा स्टोरेज से जुड़े अहम नियमों को मान लिया है, जो कि डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन (DoT) के तहत लाइसेंस प्राप्त करने के लिए अनिवार्य हैं.
कम्युनिकेशंस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, Starlink ने सुरक्षा और डेटा स्टोरेज के नियमों को मान लिया है. इसके मुताबिक, यूजर्स का डेटा भारत में ही स्टोर होगा. सरकार की शर्तों के अनुसार, Starlink भारत में लोकल डेटा स्टोरेज करेगी, ताकि संवेदनशील जानकारी देश के अंदर ही सुरक्षित रहे. स्टारलिंक ने यह भी आश्वासन दिया है कि जरूरत पड़ने पर भारतीय खुफिया एजेंसियों को कानूनी इंटरसेप्शन की सुविधा मिलेगी. इससे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में सहयोग आसान होगा.
लेकिन स्टारलिंक के सब्सक्रिप्शन का खर्च कितना होगा और वह मौजूदा ब्रॉडबैंड के मुकाबले कितना सस्ता या महंगा होगा, अब ये जानते हैं.
Starlink vs भारतीय टेलीकॉम कंपनियों के प्लान्स
रिपोर्ट के अनुसार, जेएम फाइनेंशियल बताती है कि, Starlink और अन्य सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेस भारत के ब्रॉडबैंड के मुकाबले काफी महंगी हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक Starlink के प्लान्स:
- मंथली चार्ज: $10-$500 यानी ₹860 से ₹41,000
- स्टारलिंक के हार्डवेयर की वन-टाइम कीमत: $250-$380 (₹20,000 – ₹31,000)
भारत में ब्रॉडबैंड प्लान्स की कीमत 399 से 1000 रुपये तक होती है.
Starlink और अन्य सैटेलाइट इंटरनेट कंपनियां डेटा कैप और स्पीड लिमिटेशन लगाती हैं, जबकि भारतीय कंपनियां अनलिमिटेड डेटा और बेहतर स्पीड देती हैं. भारत का बाजार किफायती प्लान्स पर चलता है, इसलिए Starlink को टक्कर देने के लिए कीमतें काफी घटानी पड़ सकती हैं.
फिलहाल Starlink की सर्विस महंगी दिखाई दे रही है और यह भारत के प्राइस-सेंसिटिव मार्केट में ज्यादा प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएगी. लेकिन अगर कंपनी अपनी कीमतें घटाती है, तो यह गेम चेंजर भी बन सकती है!
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