गणित में 51 नंबर लाने वाले लड़के ने बनाया भारत का पहला प्राइवेट रॉकेट, खड़ा किया ₹4690 करोड़ का साम्राज्य

कभी गणित में सिर्फ 51 अंक लाने वाला एक औसत छात्र आज भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र का चमकता सितारा है. उस शख्स का नाम Pawan Kumar Chandana है. पवन कुमार चंदना ने साबित कर दिया कि मेहनत, जुनून और सही दिशा मिल जाए तो कोई भी सपना नामुमकिन नहीं होता. स्काईरूट एयरोस्पेस के को-फाउंडर और CEO पवन ने भारत का पहला प्राइवेट रॉकेट स्पेस में भेजकर इतिहास रच दिया.

गणित में 51 नंबर लाने वाले लड़के ने बनाया भारत का पहला प्राइवेट रॉकेट, खड़ा किया ₹4690 करोड़ का साम्राज्य
पवन जब दसवीं में गणित में महज 51 अंक लाए तो उनके पिता ने हार नहीं मानी. उन्होंने तुरंत पवन को आईआईटी-जेईई कोचिंग में दाखिला दिलाया. कोचिंग के दौरान पवन ने न सिर्फ अपनी कमजोरी को ताकत बनाया बल्कि गणित और विज्ञान से मानो सच्चा प्यार कर बैठे. यह पिता का विश्वास ही था जिसने पवन की जिंदगी की दिशा बदल दी.
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गणित में 51 नंबर लाने वाले लड़के ने बनाया भारत का पहला प्राइवेट रॉकेट, खड़ा किया ₹4690 करोड़ का साम्राज्य
2007 में पवन ने पहली ही कोशिश में JEE क्लियर करके IIT खड़गपुर में दाखिला लिया. उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक-एमटेक डुअल डिग्री हासिल की. जहां उनके साथी मोटी सैलरी और विदेशी नौकरियों के पीछे भागे, वहीं पवन का दिल रॉकेट और अंतरिक्ष पर अटक गया.
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कैंपस से सीधे 2012 में इसरो जॉइन किया. कम सैलरी के बावजूद उन्हें काम में मजा आता था और वे सोचते थे कि यहीं रिटायर हो जाएंगे. लेकिन अंदर का उद्यमी जाग गया. 2018 में बिना किसी बिजनेस बैकग्राउंड और नेटवर्क के उन्होंने इसरो की सुरक्षित नौकरी छोड़ दी और स्काईरूट एयरोस्पेस शुरू किया. उस समय भारत में प्राइवेट रॉकेट बनाना न कानूनी रूप से संभव था और न ही कोई फंडिंग करता था.
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पहला निवेश पाने के लिए पवन ने लिंक्डइन पर मिंत्रा के संस्थापक मुकेश बंसल को मैसेज किया. मुकेश ने उनकी विजन पर भरोसा किया और 1.5 मिलियन डॉलर का निवेश किया. कोविड के दौरान सीरीज ए राउंड में सैकड़ों निवेशकों ने मना कर दिया. आखिर में ग्रीनको के संस्थापकों ने विश्वास दिखाया और कंपनी बच गई.
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2021 में भारत सरकार ने स्पेस सेक्टर निजी कंपनियों के लिए खोला. स्काईरूट पहली भारतीय कंपनी बनी जिसने इसरो के साथ MoU साइन किया. 2022 में विक्रम-एस भारत का पहला निजी सबऑर्बिटल रॉकेट 90 किमी ऊंचाई तक पहुंचा. आज कंपनी की वैल्यूएशन करीब 527 मिलियन डॉलर है, 1000 कर्मचारी हैं और देश का सबसे बड़ा प्राइवेट रॉकेट मैन्युफैक्चरिंग प्लांट है. पवन कुमार चंदना ने साबित किया कि मार्कशीट आपकी किस्मत नहीं लिखती, आपका जुनून और मेहनत लिखते हैं. यानी 51 नंबर भी अगर सही दिशा मिले तो अंतरिक्ष तक ले जा सकते हैं.
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